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Big change in TB testing: भारत ने बनाई स्वदेशी एक्स-रे मशीन, अब घर बैठे होगी जांच

Big change in TB testing: भारत ने टीबी (क्षयरोग) की जांच के लिए स्वदेशी पोर्टेबल एक्स-रे मशीन का निर्माण कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह मशीन न केवल जल्दी से टीबी का पता लगाने में मदद करेगी, बल्कि समय पर उपचार सुनिश्चित करने में भी सहायक होगी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बताया कि इस मशीन के निर्माण से टीबी जांच की प्रक्रिया सरल हो जाएगी और इसकी कीमत भी विदेशी मशीनों की तुलना में आधी होगी।

घर पर भी हो सकेगी टीबी की जांच

इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटीज इंडिया 2024 के दौरान डॉ. बहल ने बताया कि पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें बहुत महंगी होती हैं, लेकिन IIT कानपुर के साथ साझेदारी में ICMR ने अब एक स्वदेशी हाथ में पकड़ी जाने वाली एक्स-रे मशीन का निर्माण किया है। इस मशीन की कीमत विदेशी मशीनों की आधी है और इससे टीबी की जांच घर पर भी की जा सकेगी।

Big change in TB testing: भारत ने बनाई स्वदेशी एक्स-रे मशीन, अब घर बैठे होगी जांच

यह पोर्टेबल एक्स-रे मशीन भारत की टीबी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, क्योंकि इससे टीबी के मामलों की शुरुआती पहचान संभव होगी और रोगियों को समय पर उपचार मिल सकेगा। टीबी एक गंभीर संक्रामक रोग है, जो फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।

एमपैक्स के लिए भी तैयार की गई परीक्षण किट

टीबी जांच के अलावा, भारत ने एमपैक्स (Mpax) के परीक्षण के लिए भी किट का विकास किया है। डॉ. बहल ने बताया कि डेंगू के टीके के लिए तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की प्रक्रिया भी चल रही है, और उम्मीद है कि अगले एक वर्ष में इसके परिणाम सामने आ जाएंगे। यह टीका भारत के लिए डेंगू जैसी गंभीर बीमारी के खिलाफ एक प्रभावी उपाय साबित हो सकता है।

टीबी उपचार में नई खोज: नाक के माध्यम से दवा की डिलीवरी

टीबी के उपचार में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि पहली बार वैज्ञानिकों ने टीबी की दवाओं को सीधे मस्तिष्क तक पहुंचाने की एक विधि विकसित की है। यह विधि नाक के माध्यम से दवाओं को मस्तिष्क तक पहुंचाती है, जिसे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र टीबी (CNS-TB) कहा जाता है। यह टीबी का सबसे खतरनाक रूप है, क्योंकि यह मस्तिष्क को प्रभावित करता है।

मोहाली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी (INST) के वैज्ञानिकों ने इस नई विधि को विकसित किया है। यह पद्धति टीबी की दवाओं को सीधे मस्तिष्क तक पहुंचाने के लिए चिटोसन नामक प्राकृतिक पदार्थ से बने नैनोपार्टिकल्स का उपयोग करती है। इससे मस्तिष्क में टीबी बैक्टीरिया की संख्या को हजार गुना कम किया जा सकता है।

टीबी बैक्टीरिया को हजार गुना कम करने की क्षमता

INST की टीम ने अपने शोध में पाया कि नाक के माध्यम से दवाओं की इस नई डिलीवरी विधि का उपयोग टीबी संक्रमित चूहों में किया गया, जिससे उनके मस्तिष्क में बैक्टीरिया की संख्या लगभग हजार गुना कम हो गई। यह परिणाम उन चूहों की तुलना में था, जिन्हें यह उपचार नहीं दिया गया था। इस शोध का विवरण नैनोस्केल (रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री) नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

इस नई उपचार विधि से उन लोगों का इलाज बेहतर हो सकेगा, जो मस्तिष्क टीबी से पीड़ित हैं। इसके अलावा, यह विधि अन्य मस्तिष्क संक्रमणों और बीमारियों जैसे अल्जाइमर, पार्किंसन, मस्तिष्क ट्यूमर और मिर्गी के उपचार में भी उपयोगी हो सकती है।

टीबी के खिलाफ भारत की प्रभावी रणनीति

भारत सरकार और चिकित्सा जगत के विशेषज्ञ टीबी के खिलाफ लड़ाई में लगातार नए-नए कदम उठा रहे हैं। स्वदेशी एक्स-रे मशीन के निर्माण और नाक के माध्यम से दवा डिलीवरी जैसी तकनीकों का विकास इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। टीबी एक ऐसा रोग है, जो दुनियाभर में हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करता है, और इसके उपचार में देरी से जान का जोखिम बढ़ जाता है।

स्वदेशी तकनीकों के विकास से भारत अब इस रोग के खिलाफ और अधिक प्रभावी ढंग से लड़ सकेगा। इन नवाचारों से न केवल टीबी के मामलों की जांच आसान होगी, बल्कि गरीब और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी इसका उपचार सुलभ होगा।

टीबी उन्मूलन की दिशा में बड़ा कदम

भारत ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है और इस दिशा में स्वदेशी तकनीकें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। डॉ. बहल का कहना है कि सरकार और अनुसंधान संस्थान मिलकर टीबी के खिलाफ लड़ाई में हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। देशभर में टीबी के मामलों की समय पर पहचान और उपचार से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

स्वदेशी एक्स-रे मशीन और नाक के माध्यम से दवा डिलीवरी जैसे कदम टीबी के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। इससे भारत को न केवल अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी, बल्कि देश के स्वास्थ्य तंत्र को भी मजबूत किया जा सकेगा।

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