Rahul Gandhi की नालंदा-गया यात्रा में छुपा बिहार की राजनीति का बड़ा राज क्या होगा नितीश कुमार की मजबूत पकड़ का अंत

Rahul Gandhi: बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा तो अभी नहीं हुई है लेकिन राजनीतिक गरमाहट पूरी तरह महसूस की जा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार में अपना खोया हुआ समर्थन वापस पाने की कोशिशों में लगे हुए हैं। वे नालंदा और गया जैसे नितीश कुमार और जीतन राम मांझी के गढ़ों में जाकर अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।
मांझी परिवार से जुड़कर मुसहर वोट बैंक को साधने की कोशिश
राहुल गांधी की नजर खासकर मुसहर समुदाय पर है जो गया जिले में एक मजबूत वोट बैंक है। वे डैशरथ मांझी के परिवार से मिलेंगे और महिलाओं के साथ संवाद करेंगे। कांग्रेस ने मांझी के बेटे को पार्टी में शामिल किया है ताकि इस समुदाय के वोट हासिल किए जा सकें। मुसहर समुदाय बिहार में महादलित वर्ग का हिस्सा है और इसका प्रभाव खासा माना जाता है।
नालंदा में पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को भेदने की रणनीति
मांझी परिवार से मिलने के बाद राहुल सीधे नालंदा जाएंगे जहां वे राजगीर में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। वे नितीश कुमार के गढ़ में पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के लोगों व छात्रों से मिलकर कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने का प्रयास करेंगे। नालंदा में जदयू की मजबूत पकड़ के बीच कांग्रेस सामाजिक न्याय का संदेश देकर अपनी राजनीति को मजबूत करना चाहती है।
दलित और पिछड़े वर्ग के गठजोड़ पर कांग्रेस का जोर
कांग्रेस बिहार में दलित और पिछड़े वर्ग के वोटों को जोड़कर अपनी राजनीतिक वापसी की तैयारी कर रही है। राहुल गांधी को समझ है कि बिना इन वोटों के सत्ता पाना मुश्किल है। दलित लगभग 17 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग 36 प्रतिशत आबादी में शामिल है। नितीश कुमार की राजनीतिक शक्ति इसी आधार पर बनी थी लेकिन अब उनकी पकड़ कमजोर होती दिख रही है।
पांच महीने में राहुल गांधी की पांचवीं बिहार यात्रा
यह राहुल की पिछले पांच महीनों में बिहार की पांचवीं यात्रा है। उन्होंने रोजगार और शिक्षा के मुद्दों को लेकर युवाओं और पिछड़े वर्ग के बीच संवाद स्थापित किया है। उनका लक्ष्य है नितीश कुमार के वोट बैंक में सेंध लगाना। बिहार में राहुल गांधी की इन गतिविधियों से जदयू के लिए खतरे की घंटी बज सकती है।