राष्‍ट्रीय

पश्चिम यूपी की कई सीटों पर BJP में फंसा पेंच

सत्य खबर/नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है. लेकिन इस लिस्ट में मेरठ लोकसभा सीट पर एक पेच फंस गया है. गाजियाबाद और सहारनपुर लोकसभा सीटों पर भी यही पेंच फंसा हुआ है. तीनों सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं होने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। सवाल उठ रहा है कि इन तीन सीटों पर टिकट रोकने के पीछे बीजेपी की क्या बड़ी रणनीति छिपी है. अब ऐसे में सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या पुराने टिकट की रेस में बाजी मारेंगे या रेस से बाहर हो जाएंगे.

मानों बीजेपी पहली सूची में उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर रही थी. सबकी निगाहें मेरठ लोकसभा सीट के टिकट पर टिकी थीं. लेकिन सूची पूरी होने के बावजूद अंत तक मेरठ का नाम सूची से गायब नजर आया। अब इस बात पर चर्चा चल रही है कि क्या बीजेपी चौथी बार सांसद राजेंद्र अग्रवाल के नाम पर मुहर लगाएगी या कोई और चेहरा लाएगी. सांसद राजेंद्र अग्रवाल के नाम लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी है.

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गाजियाबाद, मेरठ और सहारनपुर के बीच क्या है कनेक्शन?

मेरठ लोकसभा सीट की तरह गाजियाबाद लोकसभा और सहारनपुर लोकसभा सीट के टिकट भी रोक दिए गए हैं. मेरठ से बीजेपी सांसद हैं राजेंद्र अग्रवाल और गाजियाबाद से सांसद और मंत्री जनरल वी.के. सिंह जबकि बसपा के फजलुर रहमान सहारनपुर से मौजूदा सांसद हैं। फजलुर रहमान ने बीजेपी सांसद राघव लखनपाल शर्मा को हराकर यह सीट छीनी थी. तीनों लोकसभा सीटों पर टिकट का रुकना बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है. बीजेपी इन सीटों पर बड़ी जीत हासिल कर रही है और कुछ बड़ा और नया करने की तैयारी में है.

पश्चिमी यूपी की तीन अहम सीटों पर टिकट रोकने के बीजेपी के फैसले के पीछे एक बड़ी रणनीति छिपी है. वरिष्ठ पत्रकार और अमर उजाला मेरठ के संपादक राजेंद्र सिंह का कहना है कि बीजेपी गाजियाबाद लोकसभा सीट पर एक बड़ा चेहरा लाएगी और उसकी वजह से मेरठ और सहारनपुर के जातीय समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए तीन अहम सीटों के टिकट रोके गए हैं. उन्होंने कहा कि मेरठ और गाजियाबाद में बदलाव की प्रबल संभावना है.

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