हरियाणा

जल विवाद पर केंद्र का बड़ा फैसला, हरियाणा को मिलेगा अतिरिक्त पानी, पंजाब में उबाल

हरियाणा और पंजाब के बीच लंबे समय से चल रहे भाखड़ा जल विवाद को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में दिल्ली में हुई अहम बैठक में केंद्र ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) को निर्देश दिया है कि हरियाणा को आठ दिनों तक प्रतिदिन 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराया जाए। इस फैसले के बाद हरियाणा को पेयजल और फसल की सिंचाई में राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन पंजाब में इस पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।

बैठक में तय हुआ कि जरूरत पड़ने पर पंजाब को भी उसकी मांग के अनुसार अतिरिक्त पानी दिया जाएगा। वहीं राजस्थान को भी इस अतिरिक्त जल आवंटन का लाभ मिलेगा। BBMB ने इस कार्य को क्रियान्वित करने के लिए शनिवार को बोर्ड की एक आपात बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।

पूरे दिन चला मंथन

शुक्रवार को दोनों राज्यों की सरकारें रणनीति बनाने में जुटी रहीं। हरियाणा की सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने जानकारी दी कि अगर पानी की मांग पूरी नहीं हुई, तो राज्य सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा। सभी तथ्य कोर्ट में पेश किए जाएंगे। इसके अलावा हरियाणा सरकार ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है जिसमें सभी प्रमुख दलों को आमंत्रित किया गया है।

हरियाणा-पंजाब पानी विवाद: सर्वदलीय बैठक शुरू, हरियाणा सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में
हरियाणा-पंजाब पानी विवाद: सर्वदलीय बैठक शुरू, हरियाणा सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में

उधर, पंजाब सरकार ने भी शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाकर केंद्र के फैसले का विरोध किया। सभी दलों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में एकजुट होकर यह तय किया कि वे प्रधानमंत्री से मुलाकात कर पंजाब के जल अधिकारों की रक्षा की मांग करेंगे।

कपास की बुवाई और पेयजल संकट

हरियाणा ने दिल्ली बैठक में जोर देते हुए कहा कि राज्य में इस समय पेयजल संकट है और कपास की बुवाई का समय है, इसलिए 8500 क्यूसेक पानी की जरूरत है। वर्तमान में हरियाणा को 4000 क्यूसेक पानी मिल रहा है, जिसमें से कुछ हिस्सा राजस्थान, दिल्ली और पंजाब को भी जाता है। हरियाणा का तर्क है कि वह केवल अपने हिस्से का पानी मांग रहा है, जिसे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने उसका वैध अधिकार माना है।

पंजाब में बढ़ा आक्रोश

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार के फैसले की निंदा की है। उन्होंने आरोप लगाया कि BBMB ने पंजाब के अधिकारों को नजरअंदाज करते हुए रातोंरात फैसला लिया, जिससे पंजाब का पानी छीन लिया गया। मान ने कहा कि मानवता के आधार पर उन्होंने पहले हरियाणा को 4000 क्यूसेक अतिरिक्त पानी दिया था, लेकिन अब 8500 क्यूसेक की मांग पंजाब के हिस्से का उल्लंघन है।

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हरियाणा की ओर से शांति का संदेश

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बयान जारी कर कहा कि पंजाब के नेताओं को राजनीति से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो हरियाणा अपने संसाधनों से पंजाब को पानी देगा, लेकिन राज्य अपने अधिकारों की अनदेखी नहीं करेगा।

केंद्र के हस्तक्षेप से फिलहाल जल विवाद को एक अस्थायी समाधान मिल गया है, लेकिन पंजाब में इसका विरोध बढ़ता जा रहा है। आने वाले दिनों में विधानसभा सत्र और राजनीतिक हलचलों से यह स्पष्ट होगा कि यह समाधान कितना स्थायी बन पाएगा।

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