ताजा समाचार

राजनीति में CM Yogi Adityanath के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे की गूंज, सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष अपने-अपने अनुसार बना रहे हैं राजनीतिक एजेंडा

उत्तर प्रदेश के CM Yogi Adityanath ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का ऐसा राजनीतिक नारा दिया, जिसने न केवल भारतीय जनता पार्टी (BJP) बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को भी अपने समर्थन में खड़ा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक, सभी ने इसे अपनी रैलियों में दोहराया। वहीं विपक्षी पार्टियाँ इस नारे के जवाब में अपने-अपने एजेंडे और नारे बना रही हैं। इस प्रकार, सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष दोनों अपनी राजनीतिक रणनीतियों को अपने-अपने हितों के अनुसार आकार दे रहे हैं।

योगी आदित्यनाथ का यह बयान तीन महीने पहले आगरा में हुआ था, जब उन्होंने बांग्लादेश के संदर्भ में कहा था कि राष्ट्र से बढ़कर कुछ नहीं होता। राष्ट्र मजबूत तभी होगा जब हम एकजुट और धार्मिक रूप से समृद्ध होंगे। ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ उनके इसी विचार का हिस्सा था। इस बयान का राजनीतिक असर सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में भी चर्चा का विषय बन चुका है।

राजनीति में CM Yogi Adityanath के 'बंटेंगे तो कटेंगे' के नारे की गूंज, सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष अपने-अपने अनुसार बना रहे हैं राजनीतिक एजेंडा

संगठन और प्रधानमंत्री का समर्थन

योगी आदित्यनाथ के इस नारे को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी समर्थन दिया। विजयदशमी के मौके पर संघ प्रमुख ने हिंदू एकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए योगी के बयान का समर्थन किया। संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसाबले ने मथुरा में कहा कि हिंदू एकता संघ के लिए जीवनदायिनी है और इसे समाज के कल्याण के लिए जरूरी बताया। होसाबले ने साफ कहा कि हिंदू एकता तोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसे संघ सिरे से नकारता है।

‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का राजनीतिक नारा बनना

योगी के इस बयान को भाजपा और संघ ने एक रणनीति के रूप में अपनाया, खासकर जाति जनगणना और कांग्रेस और समाजवादी पार्टी द्वारा चलाए जा रहे जातिवाद से प्रेरित राजनीति के खिलाफ। भाजपा और उसके सहयोगी संगठन यह देख रहे हैं कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया अलायंस ने पिछड़ों और दलितों को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे के जरिए भाजपा हिंदू समाज के जातिवाद को रोकने की कोशिश कर रही है।

‘हम एक हैं, तो सुरक्षित हैं’ का संदेश

योगी से लेकर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह तक, भाजपा के सभी नेता अपनी रैलियों में ‘बंटेंगे तो कटेंगे, अगर हम एक हैं तो सुरक्षित हैं’ का नारा दे रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका केवल एक ही एजेंडा है, एक जाति को दूसरी जाति से लड़ाना। मोदी ने जोर देते हुए कहा कि कांग्रेस दलितों, पिछड़ों और ओबीसी के प्रगति में आड़े आ रही है।

विपक्ष का आक्रामक जवाब

विपक्ष इस नारे का विरोध करते हुए उसी आक्रामकता के साथ जवाब दे रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी को निशाने पर लिया। खड़गे ने सवाल उठाया कि क्या देश को कोई खतरा है, क्या संघ, भाजपा और मोदी देश के लिए खतरा हैं? खड़गे ने योगी के बयान को आतंकवाद से जोड़ते हुए कहा कि केवल आतंकवादी ऐसे बयान दे सकते हैं, ना कि कोई संत।

अखिलेश यादव और ओवैसी का विरोध

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे को जातिवाद से जोड़ते हुए इसका विरोध किया। यादव ने बयान दिया कि यदि दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक एकजुट हो जाते हैं, तो वे चुनाव जीत सकते हैं। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने इस नारे को मुस्लिमों के खिलाफ बताया और कहा कि जो लोग मुसलमानों के घरों को बुलडोजर से गिराते हैं, वे समाज को कैसे एकजुट करेंगे?

कांग्रेस और राहुल गांधी का हमला

राहुल गांधी ने योगी के बयान पर सीधे टिप्पणी नहीं की, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद उन्होंने आक्रामक रुख अपनाया। उन्होंने एक ट्वीट किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और अन्य नेताओं की तस्वीर साझा की और लिखा कि ‘अगर हम एक हैं, तो सुरक्षित हैं’, लेकिन क्या यही कामयाबी का रास्ता है?

BJP के सहयोगी दूर हुए योगी के बयान से

महाराष्ट्र में भाजपा के सहयोगी अजित पवार ने योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के बयान से खुद को दूर किया। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में कभी भी धार्मिक या जातिगत विभाजन स्वीकार नहीं किया गया है और लोग हमेशा धर्मनिरपेक्षता की राह पर चले हैं। वहीं, एकनाथ शिंदे ने भी पवार के साथ सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में इस तरह की राजनीति का कोई स्थान नहीं है।

विपक्ष की रणनीति और जाति जनगणना

विपक्ष इन दिनों जाति जनगणना और 50 प्रतिशत आरक्षण को लेकर अपने एजेंडे को सख्ती से आगे बढ़ा रहा है। भाजपा इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है, ताकि जातिवाद को तोड़ने के प्रयासों को नकारा जा सके। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा इस चुनाव में हिंदू मतों को एकजुट करने के लिए ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारों का इस्तेमाल कर रही है, ताकि जातिवाद को थामते हुए भाजपा अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत कर सके।

योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे के राजनीतिक परिणाम दूरगामी हो सकते हैं। जहां भाजपा इसे हिंदू एकता के एजेंडे के रूप में पेश कर रही है, वहीं विपक्ष इसे सामाजिक न्याय और जातिवाद के खिलाफ एक युद्ध के रूप में देख रहा है। आने वाले चुनावों में यह नारा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक रणनीति साबित हो सकता है, जो समाज में विभाजन को और गहरा करने के बजाय एकजुट करने का प्रयास करेगा।

Back to top button