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Cyber ​​Crime: हर दिन बन रहे हैं हजारों फिशिंग डोमेन, अंबानी-कोहली जैसे मशहूर हस्तियों के डीपफेक वीडियो किए जा रहे हैं तैयार

Cyber ​​Crime कंपनी CloudSEK ने शुक्रवार को एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि साइबर अपराधी हर दिन एक हजार से अधिक फिशिंग डोमेन तैयार कर रहे हैं। इनमें से कई डोमेन का उपयोग डीपफेक वीडियो बनाने के लिए किया जा रहा है, जिसमें देश और दुनिया की प्रमुख हस्तियों जैसे मुकेश अंबानी, विराट कोहली का नाम सामने आया है। इन डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल गेमिंग ऐप्स को प्रमोट करने के लिए किया जा रहा है।

CloudSEK ने यह भी घोषणा की है कि उसने अपनी डीपफेक पहचान तकनीक को मुफ्त में उपलब्ध करा दिया है, जो लोगों को डीपफेक वीडियो की पहचान करने में मदद करेगी।

Cyber ​​Crime: हर दिन बन रहे हैं हजारों फिशिंग डोमेन, अंबानी-कोहली जैसे मशहूर हस्तियों के डीपफेक वीडियो किए जा रहे हैं तैयार

फेक प्ले स्टोर भी बनाए जा रहे हैं

CloudSEK की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे साइबर अपराधी फर्जी वीडियो बनाने के लिए मशहूर न्यूज़ एंकरों के फुटेज का उपयोग कर रहे हैं। ये डीपफेक वीडियो तैयार किए जा रहे हैं ताकि लोगों को संदेहास्पद ऐप्स डाउनलोड करने के लिए प्रेरित किया जा सके। इसके अलावा, नकली प्ले स्टोर भी बनाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को धोखा देने की कोशिश की जा रही है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हर दिन एक हजार से अधिक फिशिंग डोमेन या फर्जी डोमेन बनाए जा रहे हैं। CloudSEK ने भारत, पाकिस्तान, नाइजीरिया और अन्य देशों में उपयोगकर्ताओं को धोखा देने वाले अभियानों की पहचान की है। इन अभियानों में मुकेश अंबानी, विराट कोहली, नीरज चोपड़ा जैसी प्रमुख हस्तियों और क्रिस्टियानो रोनाल्डो जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों का नाम शामिल है, जिन्हें ऐप्स को प्रमोट करते हुए दिखाया जा रहा है।

डीपफेक वीडियो का खतरा

डीपफेक वीडियो वह वीडियो होते हैं, जिन्हें अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके नकली तरीके से तैयार किया जाता है। इन वीडियो में किसी भी व्यक्ति का चेहरा या आवाज़ उपयोग की जा सकती है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि वह व्यक्ति वीडियो में उपस्थित है या कुछ बोल रहा है। इस तकनीक का दुरुपयोग आजकल साइबर अपराधियों द्वारा तेजी से किया जा रहा है, जिसमें वे प्रमुख हस्तियों के डीपफेक वीडियो तैयार कर उन्हें अपने धोखाधड़ी अभियानों में शामिल कर रहे हैं।

मुकेश अंबानी, विराट कोहली, और नीरज चोपड़ा जैसे प्रमुख हस्तियों के डीपफेक वीडियो तैयार कर साइबर अपराधी उन्हें गेमिंग ऐप्स या अन्य संदिग्ध उत्पादों को प्रमोट करते हुए दिखाते हैं। इससे आम लोग भ्रमित हो जाते हैं और इन फर्जी वीडियो के माध्यम से दिखाए गए ऐप्स को डाउनलोड कर लेते हैं, जिससे वे साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्पूफ कॉल्स पर नकेल

साइबर क्राइम का एक और खतरनाक रूप अंतरराष्ट्रीय स्पूफ कॉल्स का है। इस तरह की कॉल्स में अपराधी नकली नंबरों का उपयोग करके भारत के टेलीकॉम ग्राहकों को कॉल करते हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि कॉल किसी सरकारी अधिकारी या सुरक्षा एजेंसी से आ रही है। इन कॉल्स के माध्यम से अपराधी उपयोगकर्ताओं को डराते और धमकाते हैं, जैसे कि मोबाइल कनेक्शन बंद होने या ड्रग्स और सेक्स रैकेट से जुड़े झूठे आरोप लगाने की धमकी देते हैं।

हाल ही में वर्धमान समूह के प्रमुख को भी इसी तरह की एक साइबर धोखाधड़ी का शिकार बनाया गया, जिसमें उनसे 7 करोड़ रुपये की ठगी की गई। इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने एक नई प्रणाली की शुरुआत की है, जो भारतीय टेलीकॉम ग्राहकों तक पहुंचने से पहले इन अंतरराष्ट्रीय स्पूफ कॉल्स की पहचान कर उन्हें ब्लॉक कर देगी।

फिशिंग डोमेन का बढ़ता खतरा

फिशिंग डोमेन इंटरनेट पर मौजूद उन फर्जी वेबसाइट्स को कहा जाता है, जो किसी असली वेबसाइट की तरह दिखने की कोशिश करती हैं। इनका उद्देश्य होता है उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी जैसे बैंक खातों की जानकारी, पासवर्ड, और अन्य संवेदनशील जानकारी को चोरी करना। CloudSEK की रिपोर्ट के अनुसार, हर दिन एक हजार से अधिक फिशिंग डोमेन बनाए जा रहे हैं, जिनका उपयोग साइबर अपराधी लोगों को धोखा देने के लिए कर रहे हैं।

इन फिशिंग डोमेन के माध्यम से लोगों को नकली प्ले स्टोर या फर्जी ऐप्स डाउनलोड करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इन ऐप्स के जरिए लोगों के डिवाइस में मैलवेयर इंस्टॉल किया जाता है, जिससे साइबर अपराधी उनकी निजी जानकारी तक पहुंच प्राप्त कर लेते हैं।

डीपफेक पहचान तकनीक

डीपफेक वीडियो की बढ़ती संख्या को देखते हुए, CloudSEK ने अपनी डीपफेक पहचान तकनीक को मुफ्त में उपलब्ध कराया है। यह तकनीक उन वीडियो की पहचान कर सकती है, जिन्हें डिजिटल रूप से संपादित किया गया है। इससे आम लोग और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ दोनों ही डीपफेक वीडियो की पहचान कर सकते हैं और साइबर अपराधियों के जाल में फंसने से बच सकते हैं।

डीपफेक पहचान तकनीक विशेष रूप से उन उपयोगकर्ताओं के लिए उपयोगी साबित हो सकती है, जो ऑनलाइन संदिग्ध लिंक या ऐप्स से जुड़े होते हैं। यह तकनीक उन्हें यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि वे किसी फर्जी वीडियो के शिकार तो नहीं हो रहे हैं।

साइबर अपराध से बचाव के उपाय

साइबर अपराध से बचने के लिए कुछ उपायों को अपनाया जा सकता है:

  1. किसी भी संदिग्ध वेबसाइट या लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी सत्यता जांच लें।
  2. हमेशा आधिकारिक ऐप स्टोर से ही ऐप्स डाउनलोड करें।
  3. किसी भी अज्ञात नंबर से आई कॉल्स पर अपनी निजी जानकारी साझा न करें।
  4. साइबर सुरक्षा सॉफ्टवेयर का उपयोग करें और अपने डिवाइस को समय-समय पर अपडेट करते रहें।
  5. डीपफेक वीडियो की पहचान के लिए CloudSEK जैसी तकनीकों का उपयोग करें।

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