सत्य खबर, चंडीगढ़ ।Do you know why girls come to their parents on the first teej after marriage?
हरियाली तीज का पर्व हर महिला के लिए बेहद ही खास होता है, फिर चाहें वह शादीशुदा महिला या फिर कुंवारी कन्याएं. क्योंकि यह महिलाओं का खास दिन होता है और इस दिन जगह-जगह आयोजित होने वाले मेलों में खूब मस्ती की जाती है. हालांकि, समय के साथ अब मेलों का भी स्वरूप बदल गया है और मेलों की जगह और तीज पार्टीज ने ले ली है. लेकिन हरियाली तीज से जुड़ी एक ऐसी परंपरा है जो कि आज तक नहीं बदली और इसका बखूबी पालन किया जा रहा है. आइए जानते हैं हरियाली तीज से जुड़ी इस खास परंपरा के बारे में डिटेल से.
मायके से सिंधारा आने की परंपरा
इस साल हरियाली तीज का पर्व आज यानि 19 अगस्त 2023, शनिवार के दिन मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में इसे बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व माना गया है. जो कि खास तौर पर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इस दिन शादीशुदा बेटियों के घर में सिंधारा भेजने की परंपरा है जो कि सदियों से चली आ रही है. मायके से सिंधारे में कपड़े, मिठाईयां और सुहाग का सामान भेजा जाता है. इसके बाद यह मिठाईयां पड़ोस में शगुन के तौर पर बांटी जाती हैं. सिंधारे के रूप में मायके वाले अपनी बेटी को खुशहाली का आशीर्वाद भेजते हैं.
मायके में मनाया जाता है हरियाली तीज का पर्व
आमतौर पर शादीशुदा महिलाएं सभी त्योहार ससुराल में ही मनाती हैं. लेकिन हरियाली तीज का पर्व मायके में मनाया जाता है. जब मायके से सिंधारा आता है तो साथ में बेटी को ससुराल से मायके ले जाया जाता है और वहां जाकर वह अपनी सहेलियों के लिए खूब मस्ती करती है. यह परंपरा आज भी जारी है. लेकिन इसके पीछे एक बेहद ही रोचक कहानी छिपी हुई है.
मायके क्यों आती हैं हरियाली तीज पर महिलाएं?
प्रचलित कथा के अनुसार हरियाली तीज के दिन राधारानी अपने ससुराल से मायके यानि बरसाना आई थी. मायके आकर उन्होंने अपने सखियों के साथ झूला झूलते हुए मस्ती और खूब हंसी-ठिठोली भी की. कहते हैं कि तभी से यह परंपरा है कि हरियाली तीज के दिन बेटी ससुराल से मायके आती है. इसलिए यह त्योहार मायके में मनाया जाता है.
यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं.
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