Again earthquake in delhi ncr
सत्य खबर , दिल्ली । दिल्ली-एनसीआर में शनिवार रात 7.58 बजे भूकंप के झटके महसूस हुए। कंपन से खबराए लोग अपने अपने घरों और ऑफिसों से बाहर खुले जगह पर एकत्रित हो गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक इसका केंद्र नेपाल में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.4 मापी गई।Again earthquake in delhi ncr
इससे पहले शाम चार बजकर 25 मिनट पर उत्तराखंड में भी भूकंप आया था। जानकारी के अनुसार ऋषिकेश भूकंप का केंद्र रहा। रिक्टर पैमाने में 3.4 तीव्रता दर्ज की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर में फरीदाबाद, गुरुग्राम, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़, लखनऊ, बाराबंकी, श्रवास्ती में भी झटके महसूस हुए।
इससे पहले बीते मंगलवार को भी दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में देर रात भूकंप (Earthquake) के तेज झटके लगे थे। उस वक्त भी भूकंप का केंद्र रहे नेपाल ही थी और तब इसमें डोटी जिले में एक घर गिरने से छह लोगों की मौत हो गई हुई थी।
भूकंप के झटके यूपी के लखनऊ, मुरादाबाद, मेरठ, बरेली आदि शहरों में भी महसूस किए गए। वहीं एनसीआर के फरीदाबाद, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा में भी झटके महसूस हुए। हालांकि राहत की बात यह है कि इन जगहों से किसी तरह की दुर्घटना की खबर नहीं आई।Again earthquake in delhi ncr
भूकंप के लिहाज से दिल्ली-एनसीआर काफी संवेदनशील
विशेषज्ञ बताते हैं कि दिल्ली-एनसीआर सिस्मिक जोन-4 में है। भूकंप के लिहाज से यह संवेदनशील है। यहां छह-सात तीव्रता तक के भूकंप आने की आशंका बनी रहती है। ऐसा होने की सूरत में बड़े पैमाने पर नुकसान होगा। दिल्ली में करीब 50 लाख इमारतें हैं। इसमें आलीशान बहुमंजिला इमारतें भी हैं और दिल्ली देहात के मकान भी। अनधिकृत कॉलोनियों में बड़ी संख्या में चार-पांच मंजिला मकान बने हैं। अलग-अलग समय में डीडीए, एमसीडी, आपदा प्रबंधन विभाग समेत दूसरी सरकारी एजेंसियों ने इमारतों का सर्वे किया है। इसमें भूकंपीय क्षेत्र-4 को ध्यान में रखकर इमारतों की सुरक्षा की जांच की गई है।
80 फीसदी इमारतें तेज भूकंप के लिहाज से सुरक्षित नहीं
डीडीए के टाउन प्लानर रहे एके जैन बताते हैं कि सभी एजेंसियों के आंकड़ों पर गौर करने से पता चलता है कि मोटे तौर पर 80 फीसदी इमारतें जोन-4 के झटके को सहने में सक्षम नहीं हैं। अगर भूकंप का केंद्र दिल्ली-एनीआर हुआ और तीव्रता भी ज्यादा रही तो दिल्ली की हालत 2001 के गुजरात के भूकंप सरीखी हो सकती है। भुज भी जोन-4 में ही आता है। यह बड़ी आपदा होगी, जिससे होने तबाही का अंदाजा लगाना मुमकिन नहीं। सरकारों को इमारतों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संजीदा कदम उठाने होंगे।
सरकारी इमारतें भी सुरक्षित नहीं
नाम उजागर न करने की शर्त पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली सचिवालय, पीएचक्यू, जीटीबी अस्पताल, लुडलो कैसल स्कूल एवं मंडलायुक्त कार्यालय भवन पुराने भारतीय मानकों के आधार पर बने हुए हैं। सात तीव्रता के भूकंप की दशा में इन भवनों के ब्लॉक आपस में टकराएंगे। इससे बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है। ऐसे में इमारतों को नए सिरे से मजबूत करने की जरूरत है। जरूरत के हिसाब से इमारतों की मरम्मत के साथ रेट्रोफिटिंग या ढांचागत बदलाव किया जा सकता है। अगर तीनों तरीकों से बात नहीं बनती तो उसे गिरा देना बेहतर होगा।
खतरे की जद में दिल्ली-एनसीआर
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) में प्रोग्राम डायरेक्टर, सस्टेनेबल हैबिटेट प्रोग्राम रजनीश सरीन बताते हैं कि सिस्मिक जोन-4 में होने से एनसीआर निश्चित ही खतरे की जद में तो है ही, यहां निर्माण भी तेजी से हो रहा है। 30-35 मंजिला गगनचुंबी इमारतें बड़ी संख्या में बन रही हैं। सवाल यही है कि लिहाजा क्या ये फ्लैट भूकंप रोधी हैं? क्या इन फ्लैटों या इमारतों को भूकंप के दौरान नुकसान नहीं होगा और यहां रहने वाले लोग सुरक्षित होंगे? जवाब नकारात्मक ही मिलता है। एक मिनट के लिए मान लें कि सरकारी इमारतें ठीक हो सकती हैं, लेकिन बड़ी संख्या में अनधिकृत कॉलोनियों में इसका कोई खास ध्यान नहीं है।
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