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हरियाणा के फरीदाबाद में अस्पताल से लाश लेकर भागे परिजन, जानिए क्यों

सत्य खबर, फरीदाबाद:

फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल से शव लेकर भागने का मामला सामने आया है। शुक्रवार रात को 16 वर्षीय युवक को लेकर परिजन अस्पताल पहुंचे थे। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया ओर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए मोर्चरी में रखने को कहा। इसके बाद मृतक का भाई व अन्य परिजन शव को कंधे पर उठाकर भाग निकले। सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंच कर उनको रोका। शव का आज पोस्टमॉर्टम होगा।

मृतक की पहचान दीपांशु (16) के तौर पर हुई है। वह नगला एनक्लेव रामपाल मंडी के पास का रहने वाला था। वह बीएससी प्रथम ईयर में पढ़ रहा था। शुक्रवार रात लगभग 10 बजे उसके परिजन उसे बीके अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में लेकर पहुंचे थे।

परिजनों ने बताया कि युवक ने देर शाम घर में फंदा लगा लिया था। घटना के समय उसके पिता राजेश, मां नम्रता और भाई देव घर पर नहीं थे। दीपांशु का बड़ा भाई देव जब घर पर पहुंचा तो वह फंदे पर लटका हुआ था।

देव ने आनन-फानन में छोटे भाई को फंदे से उतारा और अपने कुछ दोस्तों के साथ उसे बादशाह खान सिविल अस्पताल में लेकर पहुंचा। इमरजेंसी में तैनात डॉ. हितेश नागर ने दीपांशु को मृत घोषित कर दिया। घटना की जानकारी अस्पताल स्थित पुलिस चौकी में दी गई, ताकि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए मॉर्च्युरी में रखवाया जा सके।

पुलिस के पहुंचते ही दीपांशु का बड़ा भाई देव अपने कुछ साथियों के साथ उसके शव को कंधे पर उठाकर भागने लगा। उसने हवाला दिया कि दीपांशु जिंदा है और वह किसी निजी अस्पताल में उसे एडमिट कराएगा। पुलिसकर्मियों ने उसे शव के साथ कुछ ही दूरी पर रोक लिया और समझाया कि दीपांशु की मौत हो चुकी है। कानूनी प्रक्रिया के तहत शव का पोस्टमॉर्टम किया जाना है।

देव नहीं माना और अपने छोटे भाई दीपांशु के शव को कभी गोद में तो कभी कंधे पर डालकर भागने लगा। ऐसा करते हुए पुलिसकर्मी और सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोका। मौके पर भीड़ बढ़ती गई। उनकी जिद के आगे पुलिस कुछ नहीं कर सकी। इसकी सूचना तीन नंबर पुलिस चौकी को दी गई। बाद में तीन नंबर पुलिस चौकी और डायल 112 की टीम बीके अस्पताल पहुंची।

पुलिस ने रास्ते में रोका

दीपांशु का भाई देव और उसके साथी दीपांशु के शव को बाइक पर रखकर बीके चौक होते हुए किसी निजी अस्पताल जाना चाह रहे थे। पुलिस ने पीछा करके उनको काबू कर लिया। इसके बाद पुलिस द्वारा उन्हें समझा बूझकर शव को दोबारा से बीके अस्पताल में लाया गया। इससे पहले काफी देर तक यहां हंगामा चला।

मृतक दीपांशु के पिता राजेश ने बताया कि उनके तीन बेटे हैं, जिनमें दीपांशु सबसे छोटा था। वह बीएससी फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा था। वह खुद एक कंपनी में सुरक्षा गार्ड है। उनकी पत्नी घर चलाने के लिए एक कंपनी में काम करती है। उन्होंने बताया की दीपांशु घर पर अकेला था। उसने किन कारणों से फंदा लगाया, उन्हें नहीं पता। वह चाहते हैं कि पुलिस पूरे मामले की बारीकी से जांच करें।

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