हरियाणा

हरियाणा में HSVP की करोड़ों की जमीन फर्जी पत्र रिलीज मामले में FIR दर्ज, 6 कर्मचारियों से की पूछताछ शुरू।

सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार की फर्जी कैबिनेट बैठक दिखा कर जारी जारी किए गए पत्र से एचएसवीपी की करोड़ों की जमीन रिलीज के आदेश खुलासा होने पर हरियाणा सरकार में हड़कंप मचा हुआ है। जिसकी चर्चाएं राजनीतिक दलों में जोर शोर से हो रही है। इस गंभीर मुद्दे को लेकर जहां विपक्षीय दलों को भाजपा सरकार को घेरने का मौका मिल गया है, वहीं

सरकार ने अब इस गंभीर मामले की जांच के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (SIT) का गठन कर दिया है। इस मामले में स्थानीय पुलिस की बजाय क्राईम ब्रांच को एसआईटी के साथ लगाया गया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बताया गया है की पंचकूला पुलिस डीसीपी ने मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद के निर्देश पर पंचकूला सेक्टर-5 थाने में मामला दर्ज कराया है। तथा जांच का जिम्मा क्राइम ब्रांच को सौंपा है, जिसमें क्राइम ब्रांच ने 6 लोगों को विरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

फर्जीवाड़े के इस मामले में सचिवालय के 3 विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत साफ नजर आ रहीं हैं । जिनमें मुख्य सचिव कार्यालय की कैबिनेट ब्रांच, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग और गुरुग्राम के कुछ अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। जिन्होंने प्रॉपर्टी डीलरों से मिलकर फर्जी लेटर से गुरुग्राम के राजीव चौक, बादशाहपुर और घसौला की जमीन रिलीज कराकर रजिस्ट्री कराई जाने की योजना चल रही थी। एचएसवीपी की करीब 50 एकड़ जमीन 500 करोड रुपए के आसपास की बताई गई है।

अब इस मामले में जांच टीम पांच जिलों में पुछताछ कर रही है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि यहां के प्रॉपर्टी डीलरों की भूमिका संदिग्ध मिली है। इनमें पंचकूला, गुरुग्राम, रोहतक, पानीपत और सोनीपत शामिल हैं। हालांकि अभी तक पुलिस ने किसी का नाम इसमें उजागर नहीं किया है। पुलिस सूत्रों का यह भी कहना है कि इन सभी डीलरों और उनके साथ काम करने वालों से जिलों की पुलिस की अलग – अलग टीमें पूछताछ कर रही हैं।

इस लेटर में कैबिनेट ब्रांच के सुपरिटेंडेंट के फेक सिग्नेचर भी मिले हैं। इसका खुलासा जांच में हुआ है। 3 दिन पहले इस मामले की शिकायत पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर के पास पहुंची थी। कैबिनेट का लेटर देखकर पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर खुद हैरान रह गए और उन्होंने आनन-फानन में मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद से जानकारी ली। मुख्य सचिव ने जब ब्रांच के कर्मचारियों से बात की पता चला कि कैबिनेट मीटिंग का पत्र पूरी तरह से फर्जी है।

गुरुग्राम के बादशाहपुर और राजीव चौक क्षेत्र की बेशकीमती जमीनों को रिलीज करने के लिए कैबिनेट मीटिंग का एक फर्जी पत्र तैयार किया। इस पत्र में 15 और 21 दिसंबर 2023 की तारीख लिखी गई है। जबकि इस दौरान कोई कैबिनेट बैठक ही नहीं हुई। इससे पहले नवंबर महीने में कैबिनेट बैठक हुई थी।

वहीं इस फर्जीवाड़े का खुलासा कैबिनेट बैठक में कई जाने वाली कागजी कार्रवाई में भी अनियमितता पाई जाने पर भी समझ में आ रहा है। फर्जी पत्र तैयार करने वाले लोग राजस्व विभाग के स्थानीय कर्मचारियों से मिलीभगत कर जमीन की रजिस्ट्री कराने की तैयारी में थे। लेकिन इससे पहले उनका भंडाफोड़ हो गया। जिससे उनके अरमानों पर पानी फिर गया। सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि हाउसिंग फॉर आल में तैनात एक वरिष्ठ कर्मचारी ने गृह विभाग में तैनात एक कर्मचारी को वॉट्सऐप पर पत्र भेजकर उसके कागजात निकलवाने को कहा गया था। जब वह कर्मचारी कैबिनेट ब्रांच के अधीक्षक के पास पत्र लेकर पहुंचा तो उसे देखते ही अधीक्षक के होश उड़ गए। जब कर्मचारियों के आपसी तार जोड़े गए तो पता चला कि कर्मचारी को उसके हिसार के एक दोस्त ने कागज निकालने के लिए कहा था। देखना यह है कि जांच एजेंसी इस मामले में दूध का दूध पानी का पानी करती है या राजनीतिक रसूखदार लोगों को बचाने में कामयाब होती है।

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