Gaushala work hangs due to corruption
सत्य खबर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज । पालम विहार क्षेत्र स्थित कामधेनु गौशाला में गौंवश को बारिश, धूप, ठंड आदि से बचाने के लिए बनाए जा रहे शैड एक वर्ष पूरा होने के बाद भी अधूरा पड़ा हुआ है। प्रशासन भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जिसके चलते गौवंश को धूप, बारिश में परेशानी उठानी पड़ रही है। बताया जाता है कि कार्टरपुरी स्थित गौशाला जिसकी देखरेख गुडग़ांव नगर निगम द्वारा की जा रही है। इस गौशाला में करीब चार हज़ार गोधन है।Gaushala work hangs due to corruption
इसी गोधन की संख्या को ध्यान में रखते हुए सरकार के द्वारा यहां पर पहले से बनाए गए शैड कम पडऩे के कारण 5 नए शैड बनाने की योजना को अमल में लाया गया। इन 5 शैड में से 4 शैडो का टेंडर नगर निगम के अधिकारियों द्वारा आमंत्रित किया गया जिसमें कई ठेकेदारों ने अपनी निविदाएं भरी विभाग द्वारा बनाए जाने वाले इन 4 शैड़ों के निर्माण के लिए वशिष्ठ ड्रीम टेल नामक कंपनी ने इन शैड़ों के निर्माण का ठेका लगभग चार करोड़ रुपए में लिया और इसका निर्माण कार्य गत वर्ष सितंबर में स्थानीय विधायक सुधीर सिंगला व नगर निगम के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से उसकी नींव रख कर के कार्य को प्रारंभ किया। इस नीव को रखे हुए एक वर्ष से ऊपर हो गया है लेकिन आज तक यह कार्य पूर्ण नहीं हो पाए हैं।
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इसके पीछे बताया जाता है कि नगर निगम अधिकारियों की काफी खामियां रही हैं। बताया जाता है कि नगर निगम के द्वारा जिस समय इन शैड़ों के बनाने का ठेका दिया गया, उस समय इस ठेके में शैड के ऊपर लगने वाली चादर और नीचे अंदर बनने वाले वाले फर्श को शामिल करना भूल गए। यही नहीं इन शैड़ों को निर्मित करने वाले ठेकेदार को भी आज तक लगाई गई कीमत का केवल मात्र 40 परसेंट ही पेमेंट हुआ है, जबकि इन शैड़ों का निर्माण करने वाले ठेकेदार वशिष्ठ ड्रीम कंपनी के मालिक ने बताया कि उन्होंने इन इन शैड़ों के निर्माण का कार्य चार करोड़ में लिया था और उन्होंने जितना कार्य टेंडर में निगम अधिकारियों ने दर्शाया था। वह लगभग पूरा कर दिया है लेकिन उन्होंने आज तक निगम से केवल मात्र 50 लाख ही प्राप्त हुए हैं।Gaushala work hangs due to corruption
जबकि बाकी का बकाया निगम में ही है। वही गौशाला के उपाध्यक्ष पूर्ण सिंह यादव का कहना था कि गौशाला में अभी भी पशु धूप और बारिश से परेशान हो रहे हैं। अधिकारियों को भी अवगत करा दिया लेकिन किसी के सर पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
जब इस बारे में निगम के कमिश्नर मुकेश कुमार अहूजा से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया जिससे उनका पक्ष नहीं लिखा।
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