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गौतम गंभीर का राजनीति से मोहभंग, जानिए क्या है कारण

सत्य खबर/नई दिल्ली:

नई दिल्ली: मशहूर क्रिकेटर गौतम गंभीर ने राजनीति की दुनिया को अलविदा कह दिया है. उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को पत्र लिखकर अपने फैसले से अवगत कराया है. पांच साल पहले वह बड़े जोर-शोर से राजनीतिक मैदान में उतरे थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने राजनीति की दुनिया छोड़ने का फैसला किया है. गौतम गंभीर का राजनीति से मोहभंग आकस्मिक नहीं है बल्कि इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं.

2019 के लोकसभा चुनाव में गौतम गंभीर ने पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव जीता था, लेकिन इस बार उनका टिकट कटना तय माना जा रहा था. पिछले पांच साल के दौरान बीजेपी के स्थानीय नेतृत्व के साथ उनकी ट्यूनिंग नहीं दिखी और बीजेपी की राज्य इकाई के साथ भी उनके रिश्ते मधुर नहीं रहे. माना जा रहा है कि इसीलिए पार्टी द्वारा राजधानी दिल्ली के लिए टिकटों की घोषणा से पहले ही गंभीर ने राजनीति की दुनिया को अलविदा कहने का फैसला कर लिया. इसके साथ ही गौतम गंभीर क्रिकेट को अपना पहला प्यार मानते रहे हैं और वह अब क्रिकेट की दुनिया में और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के इच्छुक हैं।

पार्टी में आते ही टिकट मिल गया

गौतम गंभीर ने टीम इंडिया के लिए अपना आखिरी टेस्ट मैच 2016 में खेला था और उसके बाद 2019 में वह बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी में शामिल होने के तुरंत बाद उन्हें पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया गया। इस चुनाव में गौतम गंभीर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली को हराने में सफल रहे.

2019 के लोकसभा चुनाव में गौतम गंभीर को करीब सात लाख वोट मिले थे और उन्होंने लवली को तीन लाख 91 हजार वोटों से हराया था. इसके बाद माना जा रहा था कि गौतम गंभीर राजनीति की दुनिया में लंबी पारी खेलेंगे, लेकिन पांच साल के अंदर ही उनका राजनीति से मोहभंग हो गया और उन्होंने राजनीति छोड़ने का फैसला कर लिया.

बीजेपी के कार्यक्रमों से गंभीर की दूरी!

2019 का चुनाव जीतने के बाद गौतम गंभीर राजनीति की दुनिया में ज्यादा सक्रिय नहीं हैं. बीजेपी द्वारा घोषित कार्यक्रमों में भी उनकी बहुत कम भागीदारी रही है. बहुत कम मौकों पर उन्होंने पार्टी द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया है.
इसके साथ ही गौतम गंभीर का पार्टी के स्थानीय स्तर के नेताओं से भी मतभेद चलता रहा. इसे लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व गौतम गंभीर से नाराज भी था. माना जा रहा है कि इसी वजह से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस बार पूर्वी दिल्ली से उनका टिकट रद्द करने का फैसला किया है.

इस बार गंभीर का नाम नहीं भेजा गया

एक और खास बात यह है कि बीजेपी की राज्य इकाई ने पूर्वी दिल्ली के लिए केंद्रीय चुनाव समिति को जो पैनल भेजा था, उसमें गौतम गंभीर का नाम शामिल नहीं था. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पूर्वी दिल्ली सीट के लिए राज्य इकाई की ओर से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और मंत्री हर्ष मल्होत्रा का नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया है.

ऐसे में गौतम गंभीर को अंदाजा हो गया था कि इस बार उनका टिकट कटना तय है और टिकटों की घोषणा से पहले ही उन्होंने सम्मानजनक तरीके से राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया.

स्थानीय नेताओं से तालमेल की कमी

जानकार सूत्रों का कहना है कि पिछले साल आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गौतम गंभीर की स्थानीय विधायक ओपी शर्मा से तीखी बहस हो गई थी. इसके बाद बीजेपी की राज्य इकाई के एक मजबूत गुट ने भी सांसद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

विधायक द्वारा उनके खिलाफ इस्तेमाल किये गये तीखे शब्दों की शिकायत भी शीर्ष नेतृत्व से की गयी थी. इसके साथ ही गौतम गंभीर पर स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया गया है. वह बीजेपी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पा रहे थे और इसलिए उन्होंने राजनीति से अलग होने का बड़ा ऐलान कर दिया.

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