खेती-बाड़ी

सूरजमुखी की खेती को फिर से बढ़ावा देने की तैयारी में सरकार

भारत सरकार अब सूरजमुखी की खेती को फिर से लोकप्रिय बनाने के प्रयास में जुट गई है। इसके लिए विशेष रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में ग्रीष्मकालीन फसल के तौर पर सूरजमुखी की खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई गई है। राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन के तहत इस योजना का मकसद है कि खाद्य तेल के मामले में भारत की आयात निर्भरता को 2032 तक मौजूदा 57% से घटाकर 28% किया जाए।

2024-25 के सीजन में, कई राज्यों ने सूरजमुखी की खेती फिर से शुरू की है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, सूरजमुखी को रबी सीजन के धान की जगह लगाने की योजना बनाई गई है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य और मुनाफा मिल सके। छत्तीसगढ़ के कृषि संयुक्त निदेशक कपिलदेव दीपक ने बताया कि राज्य सरकार ग्रीष्मकालीन और रबी सीजन के धान की जगह सूरजमुखी की खेती को प्रोत्साहित कर रही है। इसके साथ ही प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना पर भी ध्यान दिया जा रहा है, ताकि किसानों को उपज का बेहतर दाम मिल सके।

साल 2010-11 में सूरजमुखी की खेती का क्षेत्रफल 0.93 मिलियन हेक्टेयर था, जो अब घटकर सिर्फ 0.15 मिलियन हेक्टेयर रह गया है। इसकी प्रमुख वजह है हाइब्रिड बीजों की उपलब्धता में कमी, और सस्ते आयातित सूरजमुखी तेल के कारण घरेलू कीमतों में गिरावट। भारत का अधिकांश सूरजमुखी तेल आयात यूक्रेन से होता है और 2023-24 के दौरान कुल 15.96 मिलियन टन खाद्य तेल में से 3.5 मिलियन टन (22%) सूरजमुखी तेल का आयात हुआ।

Sirsa Mandi: हरियाणा की सिरसा मंडी में इस रेट पर बिक रही फसलें, यहां देखें

हालांकि सूरजमुखी का हिस्सा कुल तिलहन क्षेत्रफल में बहुत कम (0.5%) है, लेकिन इसमें तेजी से विस्तार की संभावनाएं हैं। गर्मी के मौसम में सूरजमुखी, मूंगफली और तिल की खेती का क्षेत्रफल 2023 में 0.82 मिलियन हेक्टेयर था, जो 2024 में बढ़कर 1.03 मिलियन हेक्टेयर हो गया है।

सरकार अब क्लस्टर विकास, एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन), सहकारी समितियों और निजी कंपनियों के साथ मिलकर फसल कटाई के बाद की प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन भी दे रही है। इससे किसानों को स्थानीय स्तर पर ही सूरजमुखी की प्रोसेसिंग का लाभ मिलेगा और मूल्य श्रृंखला में भागीदारी बढ़ेगी।

राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन के तहत 10,103 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल का उत्पादन बढ़ाना है। इसके अलावा, मिशन द्वितीयक स्रोतों जैसे कपास के बीज, चावल की भूसी और वृक्षजन्य तेलों से तेल निष्कर्षण क्षमता बढ़ाने पर भी काम कर रहा है।

Sirsa Mandi: हरियाणा की सिरसा मंडी में इस रेट पर बिक रही फसलें, यहां देखें

इस प्रयास के तहत तिलहनों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में स्थायित्व और डायनामिक आयात शुल्क संरचना की भी योजना है, ताकि वैश्विक कीमतों के उतार-चढ़ाव से किसानों की आय प्रभावित न हो।

कुल मिलाकर, सूरजमुखी की खेती को पुनर्जीवित करने की यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ा सकती है, बल्कि भारत की खाद्य तेल सुरक्षा को भी मजबूत बना सकती है।

Back to top button