सरकारी शिक्षक कर रहे फूड डिलिवरी, जानिए कहां ओर क्यों
सत्य खबर, नई दिल्ली ।
हाल ही में बिहार सरकार ने बड़े पैमाने पर शिक्षकों को बहाल किया है. लेकिन भागलपुर से शिक्षकों की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसे देख आप इस नौकरी के पीछे कभी नहीं पड़ेंगे. दरअसल भागलपुर में एक व्यक्ति सरकारी शिक्षक होते हुए भी उसे फूड डिविलरी का काम करना पड़ रहा है. ये सुन कर आपके मन मे कई तरह के सवाल आए होंगे. लेकिन ये सच है कि वो शारिरिक शिक्षक के रूप में मध्य विद्यालय रजनन्दीपुर में कार्यरत हैं, इसके बाबजूद फ़ूड डिलवरी का काम करते हैं.
इसको लेकर जब उस शिक्षक से संपर्क किया तो पहले उनसे मुलाकात मध्य विद्यालय में बच्चों को खेल की शिक्षा देने के क्रम में हुई. जब उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि मेरा नाम अमित रंजन है. मैं शिक्षक भी हूं और शाम में फूड डिलिवरी का काम भी करता हूं. शाम में फूड डिलीवरी करते समय उनसे पुनः मुलाकात हुई. उन्होंने बताया कि हमलोग कहने को तो सरकारी शिक्षक हैं लेकिन तनख्वाह दिहाड़ी मजदूर से भी कम है. उन्होंने बताया कि मैं 2022 में शारीरिक शिक्षक के रूप में बहाल हुआ. उस समय मेरी भी नियुक्ति उसी तरह हुई जैसे अन्य शिक्षकों की होती है. सारे परीक्षा हमने भी दिए लेकिन जब जॉइन की बात आई तो हमलोगों को सैलरी बिना बताए अंशकालिक लिख कर जॉइन करा दिया गया. जब बाद में पता चला तो मेरी सेलरी महज 8 हजार रुपया है. अब 8 हजार में कैसे गुजारा कर पाएंगे.
पिछले कुछ समय पहले हुआ यूं कि चार माह का वेतन नहीं मिला भूखमरी जैसी हालात हो गए अब आप शिक्षक हैं और किसी से पैसे मांगेंगे तो शर्मिदगी जैसी महसूस होती है. तभी मैंने पार्ट टाइम जॉब ढूंढना शुरू किया तो फ़ूड डिलीवरी में था तो मैंने शुरू कर दिया. अब सुबह से स्कूल में जॉब करने के बाद पुनः वापस घर आता हूं तुरंत तैयार होकर 5 बजे से 1 बजे रात तक फ़ूड डीलीवरी का कार्य करता हूं. इसी तरीके से जिंदगी चल रही है. जब जॉब लगी थी तो घर मे खुशी का माहौल था. लेकिन अब शिक्षक होकर ये काम करना पड़ रहा है अपने आप मे शर्मिंदगी महसूस तो होती ही है लोग भी बोलते हैं गुरु जी होकर ये काम कर रहे हैं. लेकिन घर चलाना है तो करना ही होगा.
उन्होंने बताया कि हमलोग पुनः विधानसभा सत्र के शुरू होते ही आंदोलन करेंगे. सरकार हम लोगों को फिर से सक्षमता परीक्षा ले. लेकिन पूर्णकालिक कर समान काम का समान वेतन दे. वहीं अन्य शिक्षकों को 40 हजार से अधिक वेतन मिल रहा है तो हमलोग 8 हजार में कैसे जिंदगी चलाएंगे. शारिरिक शिक्षक कहने को सिर्फ शिक्षक हैं लेकिन दिहाड़ी मजदूर से भी बदतर जिंदगी है.