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गुरुग्राम नगर निगम के आयुक्त डॉ. नरहरी सिंह बांगड़ एंटी करप्शन ब्यूरो के निशाने पर

सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :

गुरुग्राम नगर निगम के आयुक्त हरियाणा के सीनियर IAS अधिकारी डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ पर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) कार्रवाई करने की तैयारी में है। ब्यूरो ने अधिकारी के खिलाफ जांच करने की अनुमति के लिए प्रदेश सरकार को पत्र लिखा है। जिसमें साफ तौर पर कहा है कि अधिकारी ने हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन (HSIIDC) के एमडी पद पर रहते हुए पानीपत में तीन लोगों को सस्ते रेट पर प्लाट अलॉट किए।

ब्यूरो का आरोप है कि अगर इनकी नीलामी होती तो सरकार को ज्यादा राजस्व मिलता। इससे राजस्व को काफी नुकसान हुआ है। इस मामले में एसीबी ने आईएएस बांगड़ के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17-ए के तहत जांच के लिए एसीबी ने मुख्य सचिव से अनुमति मांगी है।

एसीबी ने पत्र में लिखा- साल 2003 में हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पानीपत के इंडस्ट्रियल एरिया में प्लाट आवंटन के लिए निविदा आमंत्रित की थी। विभाग की कमेटी ने सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 13 व्यक्तियों को योग्य ठहराया था।

जिसमें सुमन रानी, अरविंद कुमार और अश्वनी कुमार का भी नाम शामिल था। कार्रवाई में टिप्पणी की गई थी अलाटमेंट के लिए सिफारिश, अगर उपलब्ध हैं। अन्यथा प्लाटों की उपलब्धता तक वेटिंग लिस्ट में रखा जाए।

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जिन 13 व्यक्तियों को प्लाट के लिए योग्य माना गया था, उनमें से तीन व्यक्ति वरिष्ठता क्रम में पहले तीन स्थानों पर नहीं थे। इन तीनों लाभार्थियों ने नरहरि सिंह बांगड़, एमडी के साथ मिलीभगत कर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की। जिनमें 11 अप्रैल 2019, 23 मई 2019, 23 मई 2019 को आदेश पारित हुआ।

हाईकोर्ट ने केस की मैरिट पर टिप्पणी किए बगैर कहा कि हम याचिकाओं का निपटारा करते हैं, जिसमें प्रतिवादीगण को निर्देश देते हैं कि लीगल नोटिस पर विचार करते हुए स्पीकिंग ऑर्डर पास करते हुए निर्णय करें। उच्च न्यायालय ने आदेशों में कहीं भी तीनों लाभार्थियों के इंडस्ट्रियल प्लाट के योग्य होने पर कोई टिप्पणी नहीं की थी।

अदालत के आदेशानुसार 17 सितंबर, 2019 को एमडी रहते नरहरि सिंह बांगड़ के नेतृत्व में गठित अधिकारियों की कमेटी के सामने तीनों परिवादी पेश हुए। कमेटी ने तीनों व्यक्तियों को प्लाट आवंटित कर दिए। सुमन रानी को 209 वर्गमीटर, अरविंद्र कुमार को 525 वर्गमीटर, अश्वनी कुमार को 209 वर्गमीटर 20 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर की दर पर अलाट कर दिए।

ACB के मुताबिक ऐसा प्रतीत होता है कि नरहरि सिंह बांगड़ ने नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने फायदे के लिए तीनों लाभार्थियों से मिलीभगत करके ये अलाटमेंट की थी। अगर सभी 13 व्यक्तियों को बुलाकर नियमानुसार नीलामी की जाती तो विभाग को तत्कालीन मार्केट रेट के अनुसार 50 हजार से 60 हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से इन प्लाटों की कीमत प्राप्त हो सकती थी। लेकिन ऐसा न करके विभाग/सरकार को गंभीर वित्तीय हानि पहुंचाई गई है।

ACB ने कहा कि यह भी सूचना प्राप्त हुई है कि इन तीनों प्लाटों के आवंटन की पूरी प्रक्रिया में एचओडी (ई) को शामिल नहीं किया गया है। यदि नियमानुसार प्रक्रिया का पालन करते हुए तीनों प्लाटों की नीलामी की जाती तो विभाग को काफी वित्तीय लाभ प्राप्त होता और वेटिंग लिस्ट में नामजद अन्य व्यक्तियों को भी नियमानुसार मौका मिलता। इसलिए अगर इस संबंध में खुली जांच की जाए तो जांच के दौरान अन्य तथ्य/साक्ष्य सामने आ सकते हैं। जब इस बारे में निगम कमिश्नर से फोन पर बात करनी चाही तो उनका फोन बंद मिला जिससे उनका पक्ष नहीं लिखा जा सका।

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वहीं गुरुग्राम में भी कई मामलों में उन पर उंगलियां उठ रही है। अब अब देखना यह होगा कि आचार संहिता के चलते प्रदेश सरकार इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेगी या इसको ठंडे बस्ती में डलवा देगी।

 

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