हरियाणा

Haryana : मतगणना से पूर्व भूपेंद्र हुड्डा ने डाला दिल्ली में डेरा

सत्य खबर, पानीपत ।
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर वोटों की काउंटिंग से पहले कांग्रेस में हलचल बढ़ गई है। लगभग सभी एग्जिट पोल्स में कांग्रेस को बहुमत में दिखाया गया है। जिसके बाद अब यहां सीएम की कुर्सी को लेकर रस्साकस्सी तेज हो गई है।

2 बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र हुड्‌डा रविवार रात ही रोहतक से दिल्ली रवाना हो गए हैं। जहां उनकी कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया से मुलाकात हुई। शाम को वे राहुल गांधी से भी मिल सकते हैं। दिल्ली रवाना होने से पहले उन्होंने अपने भरोसेमंद उम्मीदवारों के रोहतक में घर पर मीटिंग भी की।

इस बारे में जब भूपेंद्र हुड्‌डा से पूछा गया कि मुख्यमंत्री या हरियाणा के एग्जिट पोल, पार्टी की जीत की संभावनाओं के बारे में उनकी हाईकमान से कोई बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में वह किसी बाहरी प्लेटफॉर्म पर कुछ नहीं बताएंगे। CM की दूसरी बड़ी दावेदार कुमारी सैलजा वोटिंग के दिन ही राजस्थान में सालासर धाम पहुंच गईं थी। वहां पूजा करने के बाद उन्होंने गाय की पूंछ से भी सीएम बनने का आशीर्वाद लिया।

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तीसरे दावेदार रणदीप सुरजेवाला ने एग्जिट पोल आने के बाद उत्तराखंड में केदारनाथ धाम में माथा टेका है। वह चुनाव के दौरान भी मुख्यमंत्री बनने की महत्वकांक्षा जाहिर कर चुके हैं। इन तीन चेहरों के अलावा कांग्रेस में भूपेंद्र हुड्‌डा के सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्‌डा का नाम भी सीएम को लेकर चर्चा में है। हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनने की सूरत में किसी तरह की सेंधमारी न हो, इसके लिए हाईकमान भी एक्टिव हो चुका है।

हाईकमान ने AICC के महासचिव केसी वेणुगोपाल और अजय माकन को हरियाणा पर नजर रखने के लिए कहा है। वोटिंग से पहले ही केंद्रीय ऑब्जर्वर्स के नाम तय किए जा रहे हैं। हालांकि इन्हें रिजल्ट आने के बाद ही चंडीगढ़ भेजा जाएगा।
हरियाणा में कांग्रेस के जीतने पर इसका नेशनल इंपैक्ट देखते हुए कांग्रेस हाईकमान भी पूरी तरह से नजर बनाए हुए हैं। काउंटिंग के दिन यानी कल 8 अक्टूबर को राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दिल्ली में ही रहेंगे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक रिजल्ट आने के बाद किसी तरह की रणनीति को लेकर फैसले में देरी न हो, इसके लिए यह फैसला लिया गया है।

कांग्रेस में सीएम चुनने की प्रक्रिया के तहत पहले ऑब्जर्वर्स भेजे जाते हैं। जो वन टू वन विधायकों की राय लेते हैं। उसके बाद इसकी रिपोर्ट हाईकमान को दी जाती है। फिर वहां से सीएम का नाम फाइनल किया जाता है। हालांकि आम तौर पर कांग्रेस विधायक दल एक लाइन का प्रस्ताव पास कर हाईकमान को अंतिम फैसले की छूट दे देता है। फिर भी कांग्रेस ज्यादा विधायकों की एक राय हो तो उसे नजरअंदाज नहीं करती।

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