Haryana: हरियाणा विधानसभा बजट सत्र के अंतिम दिन पारित किए गए 6 विधेयक, देखिए किन-किन कानूनों को मिली मंजूरी?

Haryana: हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन 6 विधेयक पारित किए गए। इनमें हरियाणा विधानसभा (सदस्यों को चिकित्सा सुविधाएं) संशोधन विधेयक 2025, हरियाणा विधानसभा (सदस्यों को सुविधाएं) संशोधन विधेयक 2025, हरियाणा विनियोग (संख्या 2) विधेयक 2025, हरियाणा (बंदी आदान-प्रदान) निरसन विधेयक 2025, हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक 2025 और अपर्णा संस्था (प्रबंधन तथा नियंत्रण ग्रहण) विधेयक 2025 शामिल हैं।
हरियाणा विधानसभा (सदस्यों को चिकित्सा सुविधाएं) संशोधन विधेयक, 2025 के तहत पूर्व व वर्तमान विधायक स्वयं और परिवार के सदस्यों के लिए उचित चिकित्सा सुविधाओं के हकदार होंगे। वर्तमान में पारिवारिक पेंशन पाने वाले को ऐसी चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान नहीं है। नए विधेयक के तहत पूर्व विधायकों को भी सुविधा मिलेगी।
इन विधेयकों को भी मिली हरी झंडी
हरियाणा विधानसभा (सदस्यों को सुविधाएं) संशोधन विधेयक-2025 के तहत विधायकों को पहले घर व गाड़ी के लिए मिलने वाले सस्ते लोन की राशि 80 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ कर दी गई है। अब कोई भी विधायक 80 लाख तक का घर बनाने व 20 लाख तक का वाहन खरीदने का लोन ले सकता है। इस राशि पर चार फीसदी व्याज लगेगा।
1948 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय बंदी आदान प्रदान विधेयक बना था। इसके तहत पाकिस्तान में बंदी बनने वाले लोगों को वापस लेने और पाकिस्तान जाने वाले बंदियों को उन्हें देने की प्रक्रिया चलती थी। हरियाणा (बंदी आदान-प्रदान) निरसन विधेयक 2025 के जरिए इस कानून को निरस्त कर दिया गया है।
इन लोगों को लेना होगा लाइसेंस
बजट सत्र के अंतिम दिन हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक 2025 पारित हो गया। इसके तहत सब्जी, मसालों के पौधों, रुचिकर-सामग्री, फूलों, सजावटी, औषधीय और सुगंधमयी फसलों की नर्सरी लगाने वालों को 6 माह में सक्षम प्राधिकारी से लाइसेंस लेना होगा।
नर्सरी मालिक को फलों के पौधों के 10 साल और अन्य बागवानी पौधों के दो साल का रिकॉर्ड रखना होगा। नियमों का अवहेलना करने वाले नर्सरी मालिक को एक वर्ष तक की सजा या एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
पौधा या पौधे की सामग्री का प्रमाणिक नहीं होना भी नियमों की अव्हेलना है। नर्सरी मालिकों को राज्य बागवानी विश्वविद्यालयों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों या भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से विकसित किस्मों के साथ-साथ निजी बीज कंपनियों की किस्मों को बेचने की अनुमति होगी।