सत्य खबर, पानीपत ।
जिले के मतलौडा कस्बे में छोटे भाई को अपने बड़े भाई की मौत का इतना सदमा लगा कि वह खुद की मौत का इंतजार करने लगा। वह तीन महीने तक घर से बाहर नहीं निकला। करीब 45 दिन पहले उसने खुद को शौचालय में बंद कर लिया था। कभी कोई खाना दे देता तो खा लेता, नहीं तो खाली पेट ही समय गुजारता।
वह हमेशा मरने की बात करता था। वहीं दूसरा भाई मानसिक रूप से बीमार है। उसे दुनिया की कोई जानकारी नहीं है। वह भी सालों से एक ही चारपाई पर भूखा-प्यासा पड़ा है। उसने नहाया तक नहीं है। स्थानीय निवासियों ने इसकी सूचना जनसेवा दल संगठन को दी। चमन गुलाटी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। वहां पहुंचकर दोनों भाइयों को बचा लिया गया। दोनों को एंबुलेंस से सीधे संगठन के ‘अपना आशियाना’ लाया गया। उन्हें नहलाया-धुलाया गया और खाना खिलाया गया।
जानकारी देने वाले स्थानीय निवासी हरिचंद खुराना ने बताया कि ये 4 भाई थे। इनमें से किसी की शादी नहीं हुई थी। इनके पिता लखमीचंद छोले-भटूरे और आइसक्रीम बेचकर घर चलाते थे। 12 साल पहले उनकी मौत हो गई। दूसरा भाई अशोक लोन एजेंट के जाल में फंस गया और कई ग्रामीणों से पैसे निवेश करवा लिए। इससे अशोक कर्जदार हो गया। 5 साल पहले वो फरार हो गया। उसका कोई पता नहीं चल पाया।
कोरोना काल से पहले इनकी मां फूला देवी की मौत हो गई, तब भी अशोक नहीं आया। तीसरा भाई राजकुमार हिमाचल में हैंडलूम का काम करने लगा। वो भाइयों के खाने का इंतजाम करता था। तीन महीने पहले वो गांव आया था। कुछ दिन बाद उसकी मौत हो गई। छोटे भाई विजय ने अंतिम संस्कार किया। इसके बाद विजय ने खुद को शौचालय में बंद कर लिया। सबसे बड़ा भाई सुरेंद्र मानसिक रूप से बीमार है।