Chandigarh की लंबित समस्याओं के समाधान की उम्मीद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से, 3 दिसंबर को आने वाले नेता
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Chandigarh के नागरिकों के लिए अब केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से ही उम्मीदें बची हैं। शहर की समस्याएं वर्षों से लंबित हैं और अब लोग यह आशा कर रहे हैं कि उनके मुद्दों का समाधान इन दोनों नेताओं की आगामी यात्रा से हो सकता है। 3 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह चंडीगढ़ के दौरे पर आ रहे हैं, और इस दौरान शहरवासियों की कई समस्याओं को हल करने की उम्मीद जताई जा रही है।
चंडीगढ़, जो एक केंद्र शासित प्रदेश है, कई गंभीर मुद्दों का सामना कर रहा है। पिछले 15-20 वर्षों से शहर के विभिन्न वर्गों के लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन के दरवाजे खटखटा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में कोई हल नहीं निकला है। अब चंडीगढ़ के लोग प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के इस दौरे से उम्मीद लगाए हुए हैं कि शायद उनके मुद्दों को सुना जाएगा।
चंडीगढ़ की प्रमुख लंबित समस्याएँ
- लीज़ होल्ड से फ्री होल्ड: व्यापारियों और उद्योगपतियों की लंबे समय से मांग रही है कि चंडीगढ़ में औद्योगिक और व्यावसायिक संपत्तियों को लीज होल्ड से फ्री होल्ड किया जाए। इसके बिना, इन संपत्तियों पर व्यापारियों को ऋण मिलने में कठिनाई हो रही है। गृह मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को हाल ही में खारिज कर दिया था, जिससे सैकड़ों व्यापारी और उद्योगपति प्रभावित हो रहे हैं।
- शेयर वाइज संपत्ति स्थानांतरण: चंडीगढ़ में संपत्ति के पंजीकरण को फ्लोर वाइज बंद कर दिया गया है। इससे प्रशासन को 45 करोड़ रुपये के स्टांप ड्यूटी का नुकसान हुआ है, जबकि 600 करोड़ रुपये के सौदे अटके हुए हैं। इस नीति ने शहर के हजारों नागरिकों को प्रभावित किया है।
- लाल डोरा का विस्तार: चंडीगढ़ के गांवों में लाल डोरा के बाहर किए गए निर्माण की नियमितीकरण की प्रक्रिया वर्षों से लटकी हुई है। हालांकि, पूर्व प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने इस संबंध में नीति बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सांसद मनीष तिवारी ने संसद में भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए थे।
- स्वामित्व अधिकार: चंडीगढ़ में 40,000 से अधिक ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) घरों में निवासी स्वामित्व अधिकार की मांग कर रहे हैं। यह मुद्दा हर चुनाव में गरमाता है। प्रशासन ने इन घरों का सर्वेक्षण किया था, लेकिन केंद्रीय सरकार की मंजूरी के बिना इसे हल करना संभव नहीं है।
- कर्मचारियों की मांगें: चंडीगढ़ में कर्मचारियों के कई मुद्दे लंबित हैं, जिनमें पुरानी पेंशन योजना का कार्यान्वयन प्रमुख है। इसके अलावा, पंजाब और हरियाणा से ड्यूटी पर आए कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की मांग भी बनी हुई है। शहर के कई विभागों में कर्मचारियों की भारी कमी है, और 500 से अधिक पद PGI में खाली पड़े हुए हैं।
- नौकरी में डोमिसाइल का लाभ: चंडीगढ़ के युवाओं को डोमिसाइल होने का लाभ नहीं मिल रहा है। इसके कारण यहां के युवा सरकारी विभागों में नौकरी पाने में पीछे रह जाते हैं, जबकि पंजाब और हरियाणा के युवाओं को अपने राज्य में नौकरी मिलने पर निवास प्रमाणपत्र का लाभ मिलता है।
- नोटिस और उल्लंघन: व्यापारियों के सामने कई समस्याएँ हैं जिनका समाधान लंबे समय से नहीं हुआ है। इन समस्याओं में प्रमुख है कि शहर में बूथों पर अतिरिक्त मंजिल निर्माण की अनुमति का मुद्दा। व्यापारी प्रशासन से 500 रुपये प्रति वर्ग फीट जुर्माने के नोटिसों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं और ऊपरी मंजिल निर्माण की अनुमति चाहते हैं।
- स्टार्टअप नीति का कार्यान्वयन: प्रशासन ने स्टार्टअप नीति बनाने के लिए 50 से अधिक बैठकें की हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस नीति नहीं बन पाई है। नीति की कमी के कारण युवाओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई उद्योगपति मोहाली और पंचकुला में शिफ्ट हो चुके हैं।
- आवास योजना: चंडीगढ़ के 3950 कर्मचारियों के परिवार 16 वर्षों से आवास योजना के तहत फ्लैट्स का इंतजार कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशासन इस योजना के तहत फ्लैट्स बनाने के लिए तैयार नहीं है और इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
- वित्तीय संकट: पंजाब विश्वविद्यालय में भारी वित्तीय संकट है, क्योंकि राज्य सरकारों द्वारा अपनी हिस्सेदारी न दिए जाने के कारण विश्वविद्यालय के पास धन की कमी हो रही है। साथ ही, वहां के कर्मचारियों और छात्रों के बीच कई मुद्दे भी बढ़ गए हैं, और इसके कारण राजनीतिक स्थिति भी गरमाई हुई है।
चंडीगढ़ प्रशासन का नियंत्रण और केंद्र सरकार की भूमिका
चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश है, जिसका प्रशासन सीधे गृह मंत्रालय के अधीन आता है। इसलिए, चंडीगढ़ में चल रही समस्याओं को सुलझाने के लिए केंद्रीय स्तर पर हस्तक्षेप की आवश्यकता है। विशेष रूप से, उन मामलों में जहां राज्य सरकारों का सहयोग या वित्तीय समर्थन जरूरी है, गृह मंत्रालय की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के दौरे से उम्मीदें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के चंडीगढ़ दौरे से अब नागरिकों की उम्मीदें और बढ़ गई हैं। चंडीगढ़ के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि शायद इस बार उनके लंबित मुद्दों का समाधान किया जाएगा। लोग यह आशा कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री उनके मुद्दों पर गंभीरता से विचार करेंगे और जल्द ही कार्यवाही शुरू करेंगे।
चंडीगढ़ के लोग वर्षों से प्रशासन से अपने अधिकारों और समस्याओं के समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या प्रशासन उन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करेगा और चंडीगढ़ के नागरिकों को राहत प्रदान करेगा। चंडीगढ़ की समस्याओं का समाधान न केवल शहर के लिए, बल्कि इसके नागरिकों की भलाई के लिए भी बेहद आवश्यक है।