LAC पर तनाव कम करने के लिए भारत-चीन समझौता, विदेश मंत्री S. Jaishankar ने दी जानकारी
S. Jaishankar : भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति को सामान्य बनाने की प्रक्रिया में समय लगेगा। विदेश मंत्री S. Jaishankar ने मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया में एक सार्वजनिक मंच पर यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच हुए हालिया समझौते के तहत सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इसे पूरी तरह लागू होने में कुछ वक्त लगेगा। दोनों देशों के सैनिकों की स्थिति 2020 के पहले वाली स्थिति में वापस भेजने के काम में समय लगेगा। इस समझौते का उद्देश्य लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर तनाव को कम करना है, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को फिर से सामान्य किया जा सके।
भारत-चीन के बीच LAC पर तनाव और उसकी पृष्ठभूमि
भारत और चीन के बीच लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव अप्रैल 2020 से बढ़ना शुरू हुआ था, जब दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं और सीमा पर कई सैन्य टकराव हुए। इस स्थिति ने न केवल दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित किया, बल्कि पूरे क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी गंभीर असर डाला। इस दौरान दोनों देशों ने हजारों सैनिकों को तैनात किया और भारी सैन्य उपकरणों को सीमा पर भेजा। इन घटनाओं के बाद भारत और चीन के बीच कूटनीतिक बातचीत का दौर शुरू हुआ, लेकिन तनाव बरकरार रहा।
यह समझौता अक्टूबर 2024 में हुआ, जब दोनों देशों के नेताओं ने मिलकर सीमा पर शांति स्थापित करने के लिए कदम उठाने का निर्णय लिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि इस समझौते के तहत, दोनों देशों के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इसे पूरा करने में कुछ समय लगेगा।
समझौते के बाद की स्थिति
जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया तब शुरू हुई, जब भारत और चीन ने समझौता किया और सीमा पर तनाव को खत्म करने के लिए उपाय तय किए। हालांकि, यह प्रक्रिया एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है, क्योंकि दोनों देशों के सैनिकों को धीरे-धीरे अपनी-अपनी स्थिति में वापस भेजने की जरूरत है। यह काम 2020 से पहले की स्थिति पर लौटने में वक्त लेगा।
“यह सब एक साथ नहीं होगा, इसे कई स्तरों पर किया जाएगा। सैनिकों की वापसी के साथ-साथ पैट्रोलिंग की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है, लेकिन इसे पूरा होने में समय लगेगा,” जयशंकर ने कहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि समझौता धीरे-धीरे लागू होगा और इसमें कई चरणों में प्रगति होगी।
भारत और चीन के लिए द्विपक्षीय संबंधों का महत्व
जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-चीन संबंधों का भविष्य बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक रचनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पर ध्यान देने के साथ-साथ, अन्य कई पहलुओं पर भी बातचीत की जाएगी।
“हमारी प्राथमिकता यह है कि दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे से दूर रहें और सीमा पर शांति बनी रहे। यह प्रक्रिया अभी जारी है और इस पर दोनों पक्षों की संतुष्टि को ध्यान में रखते हुए काम किया जा रहा है,” उन्होंने कहा। जयशंकर ने यह भी बताया कि इस समझौते के तहत, पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सहमति बनी है कि दोनों देशों के विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अन्य उच्च अधिकारी आपस में मिलकर द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए बातचीत करेंगे।
समझौते के महत्व और भविष्य की दिशा
जयशंकर ने यह भी कहा कि यह समझौता केवल एक सैन्य समझौता नहीं है, बल्कि इससे दोनों देशों के बीच व्यापार, कूटनीति और क्षेत्रीय सहयोग को भी एक नई दिशा मिल सकती है। दोनों देशों के बीच संबंधों का सुधार सिर्फ सैन्य मुद्दों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापारिक संबंधों और वैश्विक राजनीति पर भी असर डाल सकता है।
“भारत और चीन के रिश्ते भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, और हमें इस दिशा में एक रचनात्मक और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा,” जयशंकर ने कहा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का सुधार एक दीर्घकालिक प्रक्रिया होगी और इसके लिए दोनों पक्षों को सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होगी।
भारत-चीन सैनिकों की वापसी और पैट्रोलिंग
समझौते के अनुसार, दोनों देशों के सैनिकों को धीरे-धीरे 2020 से पहले की स्थिति पर लाया जाएगा। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे पूरी होगी, क्योंकि सीमा पर तैनात भारी सैन्य उपकरणों की वापसी और पैट्रोलिंग के संचालन में समय लगता है। दोनों देशों के अधिकारियों ने इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है, जिसके तहत सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए अन्य उपाय किए जाएंगे।
भारत और चीन के बीच LAC पर तनाव को खत्म करने की दिशा में हुए समझौते का लागू होना एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया होगी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बात को स्वीकार किया कि यह प्रक्रिया जल्द नहीं पूरी होगी, लेकिन दोनों देशों के सैनिकों की वापसी और सीमा पर शांति को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच भविष्य में बेहतर द्विपक्षीय संबंधों की संभावना है, और इस समझौते के लागू होने से न केवल सैन्य तनाव कम होगा, बल्कि भारत-चीन संबंधों के नए रास्ते भी खुल सकते हैं।