भारत ने किया Hypersonic missile का सफल परीक्षण, दुनिया ने देखी सैन्य ताकत
भारत ने रविवार को लंबी दूरी की Hypersonic missile का सफल परीक्षण कर रक्षा क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह परीक्षण ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया। इस सफलता के साथ भारत ने उन चुनिंदा देशों की सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया है, जिनके पास उन्नत हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी है।
क्या है हाइपरसोनिक मिसाइल?
हाइपरसोनिक मिसाइल एक ऐसी मिसाइल होती है जो ध्वनि की गति से पांच गुना या उससे अधिक गति से चलती है।
- रफ्तार: लगभग 6,200 किमी प्रति घंटा।
- विशेषता: यह दुश्मन के रडार को चकमा देने और किसी भी परिस्थिति में अपने मिशन को पूरा करने में सक्षम होती है।
- तकनीक: हाइपरसोनिक मिसाइलें क्रूज और बैलिस्टिक दोनों प्रकार की हो सकती हैं। इनकी खासियत है कि ये हवा में अपने रास्ते खुद बना सकती हैं और लक्ष्य को बेहद सटीकता से भेद सकती हैं।
1500 किमी से अधिक रेंज वाली मिसाइल
यह हाइपरसोनिक मिसाइल 1500 किमी से अधिक दूरी तक विभिन्न प्रकार के पेलोड्स ले जाने में सक्षम है। यह मिसाइल अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल की तुलना में थोड़ी धीमी है, लेकिन इसकी डिजाइन और संचालन इसे अत्यधिक प्रभावशाली बनाती है।
टेस्टिंग में मिली सफलता
डीआरडीओ (DRDO) ने पुष्टि की कि यह परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा।
- मिसाइल को विभिन्न रेंज सिस्टम द्वारा ट्रैक किया गया।
- फ्लाइट डेटा ने यह साबित किया कि मिसाइल ने टर्मिनल मैन्युवर्स और लक्षित क्षेत्र में सटीकता से प्रहार किया।
रक्षा मंत्री का बयान
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर कहा,
“भारत ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप, ओडिशा के तट से लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और हमें गर्व है कि अब हम उन देशों में शामिल हो गए हैं, जिनके पास यह उन्नत प्रौद्योगिकी है।”
स्वदेशी तकनीक की जीत
इस हाइपरसोनिक मिसाइल को पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है।
- निर्माण स्थान: हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल परिसर।
- सहयोग: डीआरडीओ की प्रयोगशालाएं और उद्योग भागीदार।
रक्षा सचिव और डीआरडीओ अध्यक्ष ने इस सफलता के लिए टीम को बधाई दी।
हाइपरसोनिक मिसाइल की विशेषताएं
- अविश्वसनीय गति: यह मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना तेज चलती है।
- रडार चकमा देने की क्षमता: दुश्मन के रडार को मात देने में सक्षम।
- ऑपरेशन में सटीकता: किसी भी परिस्थिति में मिशन को पूरा करने की क्षमता।
- सटीक लक्ष्य भेदन: लक्ष्य को बिना चूके भेदने में माहिर।
दुनिया में हाइपरसोनिक तकनीक का महत्व
हाइपरसोनिक तकनीक सैन्य क्षेत्र में एक क्रांति के रूप में देखी जा रही है।
- चुनिंदा देश: अमेरिका, रूस, और चीन के बाद भारत चौथा देश बन गया है, जिसके पास यह तकनीक है।
- रणनीतिक उपयोग: यह मिसाइल दुश्मन के कमांड सेंटर्स, हथियार भंडार और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों को सटीकता से निशाना बना सकती है।
डीआरडीओ का बयान
डीआरडीओ ने इस परीक्षण को भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।
- यह परीक्षण भारत की सैन्य ताकत और स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- डीआरडीओ ने कहा कि यह मिसाइल आधुनिक युद्धक्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम है।
रक्षा क्षेत्र में भारत की मजबूती
भारत पिछले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में लगातार मजबूत हो रहा है।
- स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों का विकास।
- अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा में प्रगति।
- उन्नत सैन्य उपकरणों का स्वदेशी उत्पादन।
आगे का रास्ता
इस परीक्षण के बाद भारत अपनी हाइपरसोनिक तकनीक को और उन्नत बनाने की दिशा में काम करेगा।
- डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग: स्वदेशी उपकरणों का उत्पादन बढ़ाना।
- निर्यात: अन्य देशों को रक्षा तकनीक निर्यात करना।
- रणनीतिक मजबूती: भारत की सीमाओं की रक्षा को और सुदृढ़ करना।
हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण ने भारत को रक्षा क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। यह उपलब्धि भारतीय वैज्ञानिकों और रक्षा क्षेत्र के लिए गर्व का क्षण है। इस सफलता के साथ भारत ने दुनिया को अपनी ताकत का परिचय दिया है और यह साबित कर दिया है कि वह भविष्य की रक्षा तकनीक में भी अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।