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Indian Army ने उठाया बड़ा कदम, LAC पर चीनी सैनिकों की वापसी के बाद ‘ईस्टर्न प्रहार’ सैन्य अभ्यास की शुरुआत

Indian Army: भारत-चीन के बीच हाल के तनावों के बीच, LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर चीनी सैनिकों की वापसी के बाद भारत ने अपनी सैन्य स्थिति को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारतीय सेना ने ‘ईस्टर्न प्रहार’ नामक एक बड़े संयुक्त सैन्य अभ्यास की शुरुआत की है, जिसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच समन्वय और युद्धक क्षमता का परीक्षण किया जाएगा। यह अभ्यास भारत के पूर्वी सीमा पर रक्षा स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है और इसका उद्देश्य भारत की संयुक्त रक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित करना है।

‘ईस्टर्न प्रहार’ अभ्यास का उद्देश्य

ईस्टर्न प्रहार का उद्देश्य भारत की सैन्य तैयारियों का परीक्षण करना और सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच समन्वय को और बेहतर बनाना है। इस अभ्यास के दौरान भारत की तीनों सेनाएं, भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना, अपनी संयुक्त ताकत और युद्धक क्षमता का प्रदर्शन करेंगी। इस अभ्यास में भारतीय सेना के इन्फैंट्री कॉम्बैट यूनिट्स, आर्टिलरी गन्स, हल्के कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स और बिना पायलट वाले विमानों (UAVs) का इस्तेमाल किया जाएगा।

Indian Army ने उठाया बड़ा कदम, LAC पर चीनी सैनिकों की वापसी के बाद 'ईस्टर्न प्रहार' सैन्य अभ्यास की शुरुआत

इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना भी इस अभ्यास का हिस्सा होगी, जिसमें कोलकाता, हाशीमारा, पानागढ़ और कलाईकुंडा जैसे प्रमुख वायुसेना अड्डों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन एयरबेसों पर सुखोई-30MKI, राफेल, C-130J, हॉक और विभिन्न हेलीकॉप्टर यूनिट्स के साथ अभ्यास किया जाएगा। भारतीय नौसेना के मर्कोस कमांडो भी इस अभ्यास में भाग लेंगे, जो अपनी विशेष युद्ध क्षमता का प्रदर्शन करेंगे।

चीन के साथ जारी वार्ता के बीच सैन्य क्षमता को बढ़ावा

ईस्टर्न प्रहार अभ्यास के समय की रणनीतिक महत्ता को समझा जा सकता है, क्योंकि भारत अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर अपनी सैन्य स्थिति को और मजबूत कर रहा है। भारत-चीन सीमा पर स्थित तवांग क्षेत्र में दिसंबर 2022 में पीएलए (पार्लामेंट लिबरेशन आर्मी) के साथ संघर्ष के बाद से ही इस क्षेत्र में पैट्रोलिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, भारत और चीन के बीच गतिरोध कम करने के प्रयास जारी हैं, जिनमें भारतीय सैनिकों को इस क्षेत्र में फिर से पैट्रोलिंग करने की अनुमति देने के लिए वार्ता शामिल है।

इसके अलावा, भारत अपने सैन्य दृष्टिकोण में एक समानांतर रणनीति अपनाते हुए, LAC पर अपनी संयुक्त लड़ाई क्षमताओं को बढ़ा रहा है। इस दोहरे दृष्टिकोण से न केवल भारत की सैन्य ताकत बढ़ेगी, बल्कि यह शांतिपूर्ण समाधान की ओर बढ़ने में भी मदद करेगा। भारतीय सेना ने हमेशा शांति की ओर अपनी प्राथमिकता जाहिर की है, लेकिन साथ ही अपनी तैयारियों को भी मजबूत किया है ताकि किसी भी संभावित स्थिति का सामना किया जा सके।

विदेश मंत्री ने क्या कहा?

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में ब्रिसबेन दौरे के दौरान भारतीय समुदाय के एक सवाल का जवाब दिया, जिसमें उनसे भारत-चीन संबंधों के बारे में पूछा गया था। विदेश मंत्री ने इस पर जवाब दिया कि भारत और चीन के बीच कुछ प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के रिश्तों में कुछ कारणों से दरार आई थी, लेकिन अब दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख से अपने-अपने सैनिकों की वापसी कर ली है। उनका यह बयान भारत-चीन सीमा पर हालात की स्थिरता और दोनों देशों के बीच संवाद के महत्व को रेखांकित करता है।

जयशंकर ने इस बातचीत में यह भी कहा कि चीन के साथ द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार की दिशा में काम किया जा रहा है, और इस संबंध में हालात धीरे-धीरे बेहतर हो रहे हैं। उन्होंने चीन के साथ भारत के रिश्तों में सुधार की प्रक्रिया को लंबा और सतत बताया, जिसमें सैन्य संवाद, कूटनीतिक प्रयास और तनाव कम करने के लिए अन्य पहलुओं का ध्यान रखा जा रहा है।

LAC पर भारतीय सैनिकों की वापसी

भारत और चीन के बीच LAC पर सैनिकों की वापसी का एक बड़ा कदम उठाया गया है। दोनों देशों ने पिछले कुछ महीनों में कई दौर की वार्ता की है, जिसके परिणामस्वरूप इस वर्ष की शुरुआत में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हुई। यह प्रक्रिया विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख में हुई थी, जहां भारत और चीन के सैनिकों के बीच गंभीर गतिरोध हुआ था। दोनों देशों ने 2020 से 2022 के बीच कई बार तनावपूर्ण स्थिति का सामना किया था, लेकिन अब हालात में सुधार की दिशा दिख रही है।

‘ईस्टर्न प्रहार’ अभ्यास के महत्व

ईस्टर्न प्रहार अभ्यास का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह भारतीय सेना की समग्र युद्धक क्षमता को उभारने के साथ-साथ उसके वायु, नौसेना और सेना के बीच बेहतर समन्वय की क्षमता को भी सुनिश्चित करता है। इससे भारतीय सेना यह प्रदर्शित कर सकती है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है, चाहे वह सीमावर्ती क्षेत्र में सुरक्षा की जरूरत हो या किसी बड़े युद्ध की स्थिति में उसकी संपूर्ण तैयारी।

इस अभ्यास का उद्देश्य केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह भारत के रक्षा क्षेत्र में संयुक्त प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने का है। इसके साथ ही, यह चीन को भी यह संकेत देता है कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है और उसे चुनौती देने का कोई भी प्रयास असफल होगा।

भारत का ‘ईस्टर्न प्रहार’ सैन्य अभ्यास, चीन के साथ गतिरोध और LAC पर तैनात सैनिकों की वापसी के बाद एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यह अभ्यास न केवल भारत की सैन्य शक्ति को दिखाता है, बल्कि भारत के समग्र रक्षा दृष्टिकोण को भी मजबूत करता है। भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के संयुक्त प्रयासों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इसके साथ ही, भारत और चीन के बीच जारी कूटनीतिक वार्ता यह दर्शाती है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन भारत अपने सैन्य और रक्षा मोर्चे पर अपनी तैयारियों को भी लगातार मजबूत कर रहा है।

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