Indian Navy: सरकार की भारतीय नौसेना को और अधिक शक्तिशाली बनाने की योजना, साल के अंत तक तीन रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर
Indian Navy: भारतीय नौसेना की सुरक्षा और युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार इस वित्तीय वर्ष के अंत तक तीन प्रमुख रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकती है। इनमें 31 MQ9B ड्रोन, तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन सबमरीन और 26 राफेल एम कॉम्बैट प्रोजेक्ट शामिल हैं। इस साल के बजट में भारतीय नौसेना को 61 हजार करोड़ रुपये का पूंजी आवंटन करके, सरकार ने नौसेना के आधुनिकीकरण पर पूरा जोर दिया है।
भारतीय नौसेना के लिए तीन प्रमुख रक्षा समझौते
सरकार ने भारतीय नौसेना की निगरानी और युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए इस वित्तीय वर्ष के अंत तक तीन महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों को अंतिम रूप देने की योजना बनाई है। ये समझौते निम्नलिखित हैं:
- 31 MQ9B ड्रोन डील: भारतीय नौसेना को 31 MQ9B ड्रोन मिलेंगे, जो समुद्री निगरानी और पनडुब्बी से लड़ने की क्षमता से लैस होंगे। इसके अलावा, भारतीय सेना और वायु सेना को भी आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे।
- तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन सबमरीन: तीन और स्कॉर्पीन सबमरीन का निर्माण किया जाएगा, जो फ्रांसीसी नेवी ग्रुप और भारतीय मजगांव डॉकयार्ड लिमिटेड के साथ साझेदारी में किया जाएगा। इन सबमरीन की लागत प्रति यूनिट 40 हजार करोड़ रुपये होगी। ये सबमरीन मौजूदा छह सबमरीन से ज्यादा आधुनिक क्षमताओं से लैस होंगी।
- 26 राफेल एम कॉम्बैट प्रोजेक्ट: भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल एम लड़ाकू विमान इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्राप्त होंगे। ये विमान INS विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर युद्धपोतों से जुड़े होंगे।
MQ9B ड्रोन समझौते की जानकारी
पहले समझौते के तहत, MQ9B ड्रोन को भारतीय नौसेना को प्रदान किया जाएगा। यह ड्रोन समुद्री निगरानी और पनडुब्बी का पता लगाने की क्षमताओं से लैस होगा। अमेरिका ने इस परियोजना की वैधता 31 अक्टूबर तक बढ़ा दी है और इस समयसीमा के भीतर यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। भारतीय सेना और वायु सेना को भी आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे। भारतीय हथियार प्रणाली को ड्रोन के साथ एकीकृत करने के लिए समझौता भी किया गया है।
स्कॉर्पीन सबमरीन का निर्माण
दूसरे प्रोजेक्ट के तहत, तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन सबमरीन का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना में फ्रांसीसी नेवी ग्रुप और भारतीय मजगांव डॉकयार्ड लिमिटेड की साझेदारी होगी। इस डील के लिए बोली में संशोधन किया गया है और अब प्रत्येक सबमरीन की लागत 40 हजार करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। इन सबमरीन में स्थानीय रूप से विकसित युद्ध प्रबंधन प्रणाली भी होगी।
26 राफेल एम विमान
तीसरे प्रोजेक्ट के तहत, भारतीय नौसेना को 26 राफेल एम लड़ाकू विमान प्राप्त होंगे। ये विमान INS विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर के साथ जुड़ेंगे। इस डील के लिए दो दौर की वार्ताएं की जा चुकी हैं और हाल ही में भारत ने इन विमानों में उत्तम रडार को लगाने के निर्णय को अस्वीकार कर दिया है। इस डील की लागत 50 हजार करोड़ रुपये के आसपास होगी, जिसमें मुद्रास्फीति की दर को भी जोड़ा जाएगा।
आधुनिकीकरण की दिशा में सरकार का प्रयास
सरकार ने भारतीय नौसेना को आधुनिक बनाने के लिए बजट में 61 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इस बजट के तहत, सरकार को इन परियोजनाओं के लिए कुल राशि का 15 प्रतिशत अग्रिम भुगतान करना होगा। इस कदम से भारतीय नौसेना की ताकत में वृद्धि होगी और इसकी सामरिक क्षमताओं में सुधार होगा।
प्रतिस्पर्धा और भविष्य की चुनौतियाँ
इन रक्षा समझौतों के पूरा होने के बाद, भारतीय नौसेना को अधिक सक्षम और सशक्त बनाया जाएगा। इन नई तकनीकों और संसाधनों के साथ, नौसेना की सामरिक स्थिति मजबूत होगी और यह समुद्री सुरक्षा को बेहतर ढंग से सुनिश्चित कर सकेगी। साथ ही, अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में भी भारत को एक मजबूत स्थिति प्राप्त होगी।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में उठाए गए कदम देश की सुरक्षा को मजबूती प्रदान करेंगे। तीन प्रमुख रक्षा समझौतों के जरिए, भारतीय नौसेना को नई तकनीकों और अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाएगा, जो कि भविष्य में भारत की सामरिक क्षमता को और भी बढ़ावा देंगे। इन समझौतों के पूरा होने से, भारतीय नौसेना की ताकत में वृद्धि होगी और यह देश की समुद्री सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।