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India’s Longest Train: भारत की इस ट्रेन के डिब्बे गिनते गिनते आ जाएंगे चक्कर, खींचने के लिए लगते है 6 इंजन

Indian Railways: भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है और यह पूरी दिनिया में चौथे स्थान पर आता है। यह रेल नेटवर्क पूरे देश को आपस में जोड़ने का काम करता है। इसके साथ ही यह देश के हर कोने तक लोगों और सामान को पहुंचाने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

रेलवे ने बीते कुछ सालों में कई बड़े बदलाव किए हैं, जिससे इसका संचालन और अधिक असरदार और आधुनिक बन गया है। इन बदलावों में तेज रफ्तार ट्रेनों की शुरुआत, नई मालगाड़ियों का परिचालन और रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर का उन्नयन शामिल है।

यह है भारत की सबसे लंबी ट्रेन

भारतीय रेलवे में कई तरह की ट्रेनों का संचालन होता है, लेकिन जब बात सबसे लंबी ट्रेन की आती है, तो सुपर वासुकी का नाम सबसे ऊपर आता है। यह ट्रेन भारतीय रेलवे के इतिहास में अब तक की सबसे लंबी ट्रेन है, जिसे 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुरू किया गया था।

इस ट्रेन की कुल लंबाई इतनी अधिक है कि अगर कोई व्यक्ति इसके डिब्बे गिनने बैठे, तो उसे 1 से 1.5 घंटे का समय लग सकता है। भारत में आमतौर पर लंबी दूरी तय करने वाली यात्री ट्रेनों में 24 डिब्बे होते हैं, जबकि कुछ स्पेशल ट्रेनों में 30 या 40 डिब्बे भी हो सकते हैं।

लेकिन सुपर वासुकी इन सभी ट्रेनों से काफी अलग है, क्योंकि इसमें कुल 295 डिब्बे हैं। यह ट्रेन लगभग 3.5 किलोमीटर लंबी है, जो इसे भारत की सबसे लंबी ट्रेन बनाती है। जब यह ट्रेन चलती है, तो इसकी विशालता और शक्ति का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है।

ट्रेन को खींचने के लिए लगते हैं 6 इंजन

सुपर वासुकी एक मालगाड़ी है, जो भारी मात्रा में सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए बनाई गई है। यह ट्रेन करीब 27,000 टन भार लेकर चलती है। यह भार आमतौर पर कोयले का होता है, जिसे बिजली उत्पादन के लिए पावर प्लांट तक पहुंचाया जाता है।

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इस ट्रेन को छत्तीसगढ़ के कोरबा से रवाना किया जाता है और यह नागपुर के राजनंदगांव तक की यात्रा करती है। इस सफर को तय करने में ट्रेन को लगभग 11 से 20 घंटे का समय लगता है।

भारतीय रेलवे में ज्यादातर ट्रेनों को 1 या 2 इंजन के साथ चलाया जाता है, लेकिन सुपर वासुकी के मामले में यह संभव नहीं है। इसकी विशालता और वजन को देखते हुए इस ट्रेन में कुल 6 इंजन का उपयोग किया जाता है।

यह 6 इंजन मिलकर 295 डिब्बों को खींचने का काम करते हैं। जब यह ट्रेन ट्रैक पर दौड़ती है, तो इसकी गड़गड़ाहट दूर तक सुनाई देती है और इसका नजारा देखने लायक होता है।

ऐसे किया जाता है इस ट्रेन का संचालन

इस ट्रेन का संचालन भारतीय रेलवे के मालगाड़ी नेटवर्क के तहत किया जाता है। इसे भारी सामान, जैसे कि कोयला, लोहा और अन्य खनिज पदार्थों की ढुलाई के लिए तैयार किया गया है।

सुपर वासुकी को चलाने के लिए रेलवे के उच्च तकनीकी विशेषज्ञों की टीम कार्य करती है। इस ट्रेन को सफलतापूर्वक चलाने के लिए रेलवे ने कई खास तकनीकों का इस्तेमाल किया है, ताकि इसकी स्थिरता और सुरक्षा बनी रहे।

अगर हम सुपर वासुकी की तुलना अन्य मालगाड़ियों से करें, तो यह सामान्य मालगाड़ियों से काफी अधिक भार वहन करने की कपैसिटी रखती है। इस ट्रेन को पांच अलग-अलग मालगाड़ियों के रेक को जोड़कर तैयार किया गया है।

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इसकी कपैसिटी इतनी अधिक है कि यह ट्रेन जितना कोयला लेकर जाती है, वह 3,000 मेगावाट के पावर प्लांट को एक दिन तक सुचारू रूप से चलाने के लिए पर्याप्त होता है।

यह ट्रेन भारतीय रेलवे का महत्वपूर्ण प्रयोग

सुपर वासुकी भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयोग है, जिससे यह साबित हुआ है कि भारतीय रेलवे फ्यूचर में और भी लंबी और भारी मालगाड़ियों को चलाने की कपैसिटी रखता है।

इस ट्रेन के सफल संचालन के बाद रेलवे अब और भी लंबी और अधिक सक्षम ट्रेनों को विकसित करने की योजना बना रहा है। यह भविष्य में लॉजिस्टिक्स और माल परिवहन को और भी आसान और कुशल बनाने में मदद करेगा।

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