भाजपा के लिए हरियाणा के यह जिले जीतने हो सकते हैं मुश्किल
It may be difficult for BJP to win these districts of Haryana
सत्य खबर, चंडीगढ़ ।
हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधनीय सरकार ने वर्ष 2024 के लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव को लेकर अलग अलग ढंग से तैयारी शुरू कर दी है। जजपा ने प्रदेश में अपना नेटवर्क मजबूत करना शुरू कर दिया है, वहीं भाजपाई संगठनात्मक ढांचा अभी भी हिचकोले खा रहा है। राज्य का प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस का “हाथ” अपनों को ही हाथ दिखाने में व्यस्त हैं, जबकि आम आदमी पार्टी धीमी गति से अपनी रफ़्तार बढ़ायें हुए हैं। इनैलो बिखराव के बाद संधर्षरत है, मगर सत्ता की दहलीज तक पहुंचना “मुंगेरी लाल के हसीन सपने” से कम नहीं नजर आ रही।
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हरियाणवी राजनीति राज्य के देसवाली जाट बैल्ट, अहीरवाल बैल्ट,बांगर बैल्ट,जी टी रोड बैल्ट तथा बागड़ी बैल्ट के इर्द-गिर्द घूमती है। सत्तापक्ष हो या विपक्ष के कई राजसी दिग्गजों ने इन बेल्टों में अपना आधार बनाते रखने के लिए अपने क्षेत्रों में विकास और भेदभाव के मुद्दे प्रमुखता से उठाने शुरू करते हुए हृदय परिवर्तन की मुहिम छेड़ दी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने देसवाली जाट बैल्ट तथा अहीरवाल बैल्ट पर फोकस बनाकर इस प्रचार को तेज कर दिया है कि सत्ता बागड़ी बैल्ट में जाने से उनके क्षेत्र में विकास की रफ्तार रुक सकती है। बागड़ी बैल्ट में स्व ताऊ देवीलाल,स्व बंसीलाल और स्व भजनलाल की चौधर रही है। देसवाली जाट बैल्ट में भूपेंद्र हुड्डा का अच्छा प्रभाव है, जिसमें सेंधमारी के लिए इनैलो जद्दोजहद कर रही है। हरियाणा का राजनीतिक इतिहास साक्षी है कि वर्ष 2005 में भूपेंद्र हुड्डा के साथ राव इंद्रजीत ने बागड़ी बैल्ट की “चौधर” को लेकर राग अलापते हुए अहीरवाल बैल्ट में डुगडुगी बजाकर कई विधानसभा क्षेत्रों में विजयी परचम लहराया था।
वर्तमान में राव इंद्रजीत भूपेंद्र हुड्डा की सर्जिकल स्ट्राइक की चपेट में आने के बाद भगवा कवच पहनकर मोदी सरकार में मंत्री पद पर विराजमान हैं। उस समय भूपेंद्र हुड्डा और राव इंद्रजीत ने अहीरवाल क्षेत्र में उनके हिस्से का पानी बागड़ी क्षेत्र को देने तथा हांसी बुटाना नहर के निर्णय को लेकर धुआंधार बैटिंग करके भूपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भूपेंद्र हुड्डा ने अपनी दूसरी पारी में जोड़-तोड़ कर बनाई थी,तब भी उन्हें देसवाली जाट बैल्ट तथा अहीरवाल बैल्ट में भारी जीत हासिल हुई थी। बागड़ी बैल्ट में इनैलो को भरपूर समर्थन तो मिला,मगर सत्ता की चाबी हाथ नहीं लगी। वर्तमान में देसवाली जाट बैल्ट तथा अहीरवाल बैल्ट के राजनीतिक समीकरणों में बदलाव देखा जा रहा है।
देसवाली जाट बैल्ट में भाजपा की सेंधमारी की अनदेखी नहीं कही जा सकती, क्योंकि इस क्षेत्र के कद्दावर नेता वीरेंद्र सिंह डूमरखां ने भगवा ध्वज उठाया हुआ है। पड़ोसी राज्य राजस्थान विधानसभा चुनाव परिणाम उपरांत मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल बाबा बालकनाथ की अनदेखी से अहीरवाल बैल्ट में “कमल का फूल” मुरझा सकता है, जबकि देसवाली जाट बैल्ट में “कमल के फूल” खिलने के आसार भी कम नजर आ सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषको का मानना है कि हरियाणवी राजनीति को समझना बहुत कठिन है, मगर फिर भी संभावना है कि यदि भाजपा अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ती है, तो “हैट्रिक” लगा सकती है, क्योंकि जिन विधानसभा में उनकी सहयोगी जजपा ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को पराजित करने अथवा करवाने में,जो राजनीतिक घाव दिए थे,शायद ठीक हो जायें। हरियाणवी मतदाताओं का निर्णय क्या रहेगा,यह तो आने वाला समय ही बताएगा, मगर ऐसे आसार दिखाई देने लगे हैं कि कांग्रेस के आपसी कलह का राजनीतिक लाभ उठाने के लिए भाजपा का अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत तथा सक्रिय कर अकेले चुनाव लडना लाभदायक साबित हो सकता ह