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Jalandhar Municipal Corporation Elections: महिलाओं की जीत, लेकिन मेयर की कुर्सी अब भी दूर

Jalandhar Municipal Corporation Elections: जलंधर नगर निगम के गठन के बाद से यह सातवां चुनाव था, लेकिन अब तक किसी भी पार्टी ने महिला पार्षद को मेयर बनाने पर विचार नहीं किया। इस बार भी 44 महिला पार्षद नगर निगम सदन में पहुंची हैं, लेकिन मेयर की कुर्सी उनसे अभी भी दूर है। 1991 में बने जलंधर नगर निगम के इतिहास में यह दूसरी बार है जब 44 महिला पार्षद चुनी गई हैं।

महिलाओं की संख्या घटी, प्रतिशत में आई गिरावट

इस बार नगर निगम के वार्डों की संख्या बढ़कर 85 हो गई, लेकिन महिला पार्षदों की संख्या 44 ही रही। इससे महिला प्रतिनिधित्व का प्रतिशत 55% से घटकर 51.76% रह गया। 2017 में हुए पिछले चुनाव में भी 44 महिला पार्षद चुनी गई थीं, लेकिन तब कुल वार्डों की संख्या 80 थी।

आप में मेयर पद को लेकर मंथन, वरिष्ठ उपमेयर पर नजर

आम आदमी पार्टी (आप) के अंदर मेयर पद को लेकर मंथन चल रहा है। संभावना है कि इस बार किसी महिला पार्षद को वरिष्ठ उपमेयर का पद मिल सकता है। आप ने इस बार 39 सीटों पर जीत दर्ज की है और उसने कांग्रेस और भाजपा से एक-एक महिला पार्षद को अपनी ओर खींचकर अपना बहुमत मजबूत किया है। इसके बाद अब आप के पास कुल 18 महिला पार्षद हैं।

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पार्टीवार महिलाओं की जीत का आंकड़ा

  • कांग्रेस: कुल 24 सीटों में से 17 पर महिलाओं ने जीत दर्ज की, जो 70.83% का उच्चतम प्रतिशत है।
  • भाजपा: 19 में से 9 सीटों पर महिलाओं की जीत हुई, जो 47.36% है।
  • आप: 39 में से 16 सीटों पर महिलाओं ने जीत दर्ज की, जो 41.02% है।

हालांकि महिला प्रत्याशियों का प्रदर्शन पुरुषों की तुलना में मजबूत रहा, लेकिन यह देखना बाकी है कि यह जीत उन्हें कितना राजनीतिक लाभ दिला पाती है।

पूर्व मेयर और उनकी पत्नी हार गईं चुनाव

कांग्रेस के पूर्व मेयर जगदीश राजा और उनकी पत्नी अनिता राजा, जिन्होंने इस बार आप के टिकट पर चुनाव लड़ा, दोनों चुनाव हार गए। वहीं, भाजपा के पूर्व विधायक शीतल अंगुराल के भाई राजन अंगुराल भी चुनाव में हार गए। इसके विपरीत, कांग्रेस के पूर्व विधायक और जलंधर शहरी प्रधान राजेंद्र बेरी की पत्नी उमा बेरी ने चुनाव जीत लिया।

महिलाओं को मेयर पद क्यों नहीं मिला?

महिलाओं के मेयर बनने का सपना पूरा न हो पाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। राजनीतिक दलों में महिला नेतृत्व को अभी भी उतनी प्राथमिकता नहीं दी जाती जितनी पुरुष नेताओं को दी जाती है। महिला पार्षदों की संख्या भले ही ज्यादा हो, लेकिन उन्हें निर्णय लेने वाले पदों पर लाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।

महिलाओं का योगदान, लेकिन दूसरा स्थान

महिलाओं ने इस बार भी बड़े पैमाने पर चुनाव में जीत दर्ज की है, लेकिन उन्हें अभी भी “दूसरी पंक्ति” में रखा गया है। मेयर पद के लिए महिला पार्षदों का नाम आगे न आना इस बात का संकेत है कि महिलाओं को अभी भी पुरुष नेताओं के पीछे खड़ा रहने को मजबूर किया जा रहा है।

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जलंधर में महिलाओं का राजनीतिक दबदबा

महिलाओं ने इस बार चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। कांग्रेस में महिलाओं का दबदबा सबसे ज्यादा रहा, जहां कुल 24 में से 17 सीटों पर महिलाओं ने जीत दर्ज की। भाजपा और आप में भी महिलाओं का प्रदर्शन मजबूत रहा। इसके बावजूद महिलाओं को महत्वपूर्ण पदों पर लाने की प्रक्रिया धीमी है।

महिलाओं की बढ़ती भूमिका और भविष्य की राह

महिला पार्षदों की बड़ी संख्या यह दर्शाती है कि जलंधर में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी लगातार बढ़ रही है। हालांकि, यह जरूरी है कि राजनीतिक दल महिलाओं को केवल चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार न बनाएं, बल्कि उन्हें नेतृत्व की जिम्मेदारी भी सौंपें।

महिलाओं का जलंधर नगर निगम चुनाव में प्रदर्शन शानदार रहा, लेकिन मेयर की कुर्सी अभी भी उनसे दूर है। यह समय है कि राजनीतिक दल महिलाओं को दूसरे दर्जे पर रखने की मानसिकता से बाहर निकलें और उन्हें नेतृत्व देने में विश्वास दिखाएं। जलंधर में महिलाओं की यह जीत केवल एक शुरुआत है और उम्मीद है कि आने वाले समय में वे और भी महत्वपूर्ण पदों पर नजर आएंगी।

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