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Kapil Sibal का प्रश्न: चुनाव आयोग के डेटा अपलोड करने में किस पर रुकावट?

Kapil Sibal: लोकसभा चुनाव के पांच चरणों का मतदान पूरा हो चुका है. बाकी दो चरणों के मतदान के लिए सभी पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. लेकिन इस बीच चुनाव आयोग कई कारणों से आरोपों और विवादों के केंद्र में है. चुनाव आयोग पर एक आरोप यह भी है कि वह वोटिंग के आंकड़े देर से जारी कर रहा है. जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. वोटिंग डेटा जारी करने से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से एक हफ्ते के भीतर अपना पक्ष रखने को कहा है.

अब राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष Kapil Sibal ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने बताया है कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि फॉर्म 17 सी का डेटा वेबसाइट पर अपलोड करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है. चुनाव आयोग की इस दलील को Kapil Sibal ने चौंकाने वाला बताया है. उन्होंने कहा है कि इससे पता चलता है कि कुछ गड़बड़ है. इससे राजनीतिक दल सशंकित हो रहे हैं.

Kapil Sibal का प्रश्न: चुनाव आयोग के डेटा अपलोड करने में किस पर रुकावट?

Kapil Sibal का मोदी पर तंज

Kapil Sibal ने कहा है कि अगर गिने हुए वोट अपलोड होते हैं तो डाले गए वोट क्यों नहीं? हम ऐसे आयोग पर कैसे भरोसा कर सकते हैं! Kapil Sibal ने तंज कसते हुए कहा है कि अब हमें भगवान के पास जाना होगा, मोदी भगवान हैं, भगवान हजारों साल बाद आए हैं. सभी पार्टियों को उस भगवान (मोदी) के पास जाकर कहना चाहिए कि 80 करोड़ लोग गरीबी में हैं, उन्हें बचाइए, उनके खाते में 15 लाख डाल दीजिए. भगवान ने सब कुछ त्याग दिया था.

फॉर्म 17सी क्या है?

कुल वोटर और टोटल वोटर का डेटा दो फॉर्म में भरा जाता है. यह चुनाव संचालन नियम 1961 के तहत किया जाता है। पहले फॉर्म को 17A और दूसरे को फॉर्म 17C कहा जाता है। 17ए में पोलिंग ऑफिसर बूथ पर आने वाले हर वोटर की हर बात दर्ज करता है और रजिस्टर पर हस्ताक्षर भी करता है. इसके बाद बारी आती है फॉर्म 17C भरने की. यह फॉर्म मतदान के अंत में भरा जाता है।

चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49S के अनुसार, मतदान समाप्त होने के बाद, पीठासीन अधिकारी फॉर्म 17C में दर्ज मतों का लेखा-जोखा तैयार करेगा। फॉर्म 17C के भी दो भाग होते हैं. पहले भाग में दर्ज वोटों का लेखा-जोखा होता है, जबकि दूसरे भाग में गिनती के नतीजे होते हैं। पहला भाग मतदान के दिन भरा जाता है, जिसका खुलासा करने की मांग की जा रही है। इस फॉर्म में मतदान केंद्र का नाम और संख्या, इस्तेमाल की गई ईवीएम की आईडी संख्या, उस विशेष मतदान केंद्र के लिए पात्र मतदाताओं की कुल संख्या, प्रत्येक वोटिंग मशीन में दर्ज वोट जैसी जानकारी शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट तक कैसे पहुंचा मामला?

बूथ पर वोटों की संख्या से संबंधित फॉर्म 17-सी की स्कैन कॉपी अपलोड करने को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर और कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयोग मतदान में गिने गए वोटों की कुल संख्या मतदान खत्म होने के तुरंत बाद वेबसाइट पर जारी करे. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ मामले की अगली सुनवाई 24 मई को करेगी।

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