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Karnataka: हिम्मत की मिसाल – व्यक्ति ने तेंदुए की पूंछ पकड़कर दिखाई बहादुरी

Karnataka: कर्नाटक के टुमुकरु जिले में एक दिलचस्प और साहसिक घटना सामने आई है। चिक्काकोट्टिगेहल्ली गांव में एक तेंदुए ने पिछले 5 दिनों से आतंक मचाया हुआ था। इस तेंदुए के कारण गांव में दहशत का माहौल था। ग्रामीण डरे हुए थे और बच्चों और महिलाओं को घर के अंदर रहने की सलाह दी जा रही थी। वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए बचाव अभियान शुरू किया।

तेंदुए का आतंक और बचाव अभियान

तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने गांव में जाल बिछाया। लेकिन तेंदुआ जाल में फंसने की बजाय महिलाओं और बच्चों की ओर भागने लगा। इसी दौरान, गांव के 43 वर्षीय योगानंद ने अदम्य साहस का परिचय दिया और तेंदुए की पूंछ पकड़ ली। यह घटना उनकी हिम्मत और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता का उदाहरण है।

Karnataka: हिम्मत की मिसाल - व्यक्ति ने तेंदुए की पूंछ पकड़कर दिखाई बहादुरी

योगानंद की बहादुरी

योगानंद ने तेंदुए को महिलाओं और बच्चों की ओर जाने से रोकने के लिए उसकी पूंछ पकड़ ली। इसके बाद, वन विभाग की टीम ने तेंदुए को चारों तरफ से घेरकर काबू में कर लिया। तेंदुए को पकड़ने के बाद उसे मैसूर के रेस्क्यू सेंटर भेजा गया। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर योगानंद की बहादुरी की खूब चर्चा हो रही है।

तेंदुए और इंसानों के बीच टकराव का इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब इंसान और जानवरों के बीच ऐसा टकराव हुआ हो। भारत के विभिन्न हिस्सों में जंगलों के पास रहने वाले लोग अक्सर जंगली जानवरों का सामना करते हैं। कभी बाघ, कभी तेंदुए और कभी हाथियों से इन क्षेत्रों में लोगों को खतरा बना रहता है।

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केरल में हाथी का कहर

इसी तरह की एक घटना केरल के कोझिकोड जिले के तिरुर में हुई। पुडियांगडी मंदिर उत्सव के दौरान, श्रीकुट्टन नामक एक हाथी अचानक बेकाबू हो गया। मंगलवार को दोपहर 12:30 बजे इस घटना ने उत्सव का माहौल बदल दिया। हाथी के गुस्से ने भगदड़ मचा दी, जिसमें 17 लोग घायल हो गए।

घायल लोगों का हाल

इस घटना में एक व्यक्ति की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिसे कोट्टक्कल के एमआईएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बाकी घायलों का इलाज नजदीकी अस्पताल में चल रहा है। अधिकांश घाव भगदड़ के कारण हुए। हाथी को लगभग 2:15 बजे नियंत्रण में लाया जा सका, जिससे और बड़े नुकसान को टाल दिया गया।

हाथी के गुस्से के कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे घटनाएं जानवरों के लगातार तनाव और शोर-शराबे के कारण होती हैं। मंदिर उत्सवों में पटाखों और बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ से जानवरों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे वे बेकाबू हो जाते हैं।

इंसानों और जानवरों का सह-अस्तित्व

कर्नाटक और केरल में हुई इन घटनाओं ने यह स्पष्ट किया है कि इंसान और जानवरों का सह-अस्तित्व कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जंगलों के पास बसे गांवों में जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है।

वन विभाग की जिम्मेदारी

वन विभाग को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर योजनाएं बनानी चाहिए। जैसे, जंगली क्षेत्रों के पास चेतावनी बोर्ड लगाना, नियमित निगरानी करना और बचाव अभियान के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती करना।

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ग्रामीणों की सतर्कता जरूरी

ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी जंगली जानवरों के प्रति सतर्क रहना चाहिए। ऐसे मामलों में, वन विभाग को तुरंत सूचना देना और जानवरों से दूरी बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण होता है।

टुमुकरु और केरल की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि साहस और समझदारी से बड़े से बड़े खतरे का सामना किया जा सकता है। योगानंद की बहादुरी और वन विभाग की त्वरित कार्रवाई ने टुमुकरु के ग्रामीणों को एक बड़ी त्रासदी से बचा लिया। साथ ही, यह घटनाएं हमें यह भी सिखाती हैं कि हमें जंगली जानवरों के साथ सह-अस्तित्व के लिए बेहतर योजना और सतर्कता अपनानी होगी।

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