सत्यखबर चंडीगढ़ (ब्यूरो रिपोर्ट) – हरियाणा सरकार ने पिछड़ा वर्ग-सी श्रेणी के पदों को सामान्य एवं अनारक्षित कोटे में भरने का निर्णय लिया है। सरकार ने यह कदम हरियाणा पिछड़ा वर्ग एक्ट, 2016 पर हाईकोर्ट का स्टे और मामले में एसएलपी के सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण उठाया है। चूंकि, जब तक मामला कोर्ट में विचाराधीन है, पिछड़ा वर्ग सी श्रेणी के पदों पर कोई नियुक्ति नहीं की जा सकती। इसे देखते हुए सरकार ने पूरे मामले पर पुनर्विचार के बाद इन पदों को सामान्य कोटे व अनारक्षित श्रेणी में भरने का फैसला किया है। पिछड़ा वर्ग सी श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए सरकार ने विकल्प दिया है कि वे चाहें तो सामान्य, अनारक्षित और आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी में आवेदन कर सकते हैं।
मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, डीसी, एसडीएम, बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशकों व मुख्य प्रशासकों को इस संबंध में पत्र जारी कर दिया है।
उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वे पिछड़ा वर्ग सी श्रेणी के पदों को सामान्य व अनारक्षित श्रेणी में भरने के लिए सक्षम आयोग को अपनी डिमांड भेजें। याद रहे कि हरियाणा पिछड़ा वर्ग एक्ट, 2016 में सरकार ने ए, बी श्रेणी के पदों के लिए छह प्रतिशत और सी, डी श्रेणी पदों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान पिछड़ा वर्ग सी श्रेणी के लिए किया था। मगर, यह आरक्षण कानूनी पचड़े में फंस गया और इस पर 2016 से हाईकोर्ट का स्टे लगा हुआ है।
दस फीसदी सवर्ण आरक्षण का ही मिलेगा लाभ
हरियाणा सरकार ने आर्थिक पिछड़ा आरक्षण को वापस लेते हुए सामान्य श्रेणी की सभी भर्तियों में अब दस फीसदी सवर्ण आरक्षण ही लागू करने का फैसला लिया है। सरकार का मानना है कि जब आर्थिक रूप से कमजोर आरक्षण लागू हो चुका है तो आर्थिक रूप से पिछड़ा आरक्षण को प्रभावी रखने का कोई औचित्य नहीं है।
आर्थिक रूप से पिछड़ा आरक्षण में ए, बी श्रेणी के लिए पांच प्रतिशत और सी, डी श्रेणी के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान सामान्य श्रेणी के लिए था। अब इन सभी भर्तियों में दस प्रतिशत आरक्षण ही लागू होगा। सरकार ने सभी विभागों को इस आधार पर ही पद भरने की मांग भेजने के निर्देश दिए हैं।
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