राष्‍ट्रीयहरियाणा

BJP से कई दावेदारों के ठंडे पड़े तेवर, जानें क्यों

Many contenders from BJP have cooled down

सत्य खबर/नई दिल्ली: पीलीभीत बहेड़ी लोकसभा सीट को वरुण गांधी और मेनका गांधी का गढ़ भी कहा जाता है. मेनका गांधी 40 साल से यहां से राजनीति कर रही हैं. वह 6 बार सांसद हैं और उनके बेटे वरुण गांधी वर्तमान में बीजेपी से दूसरी बार सांसद हैं। इस बार वरुण गांधी का टिकट काटने की बात चल रही थी, लेकिन अब उन्हें लेकर बीजेपी नेताओं के सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं.

बीजेपी सांसद वरुण गांधी पार्टी लाइन से अलग अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में थे, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार उनका टिकट कट जाएगा, लेकिन अब हालात बदले हुए नजर आ रहे हैं. वरुण हाल ही में पीएम मोदी के रेलवे विकास कार्यक्रम में शामिल हुए थे और उन्होंने पीएम की तारीफ भी की थी, इन दिनों बीजेपी नेताओं का रुख भी उनके प्रति नरम हो गया है.

वरुण गांधी को लेकर बीजेपी के सुर बदल गए

बीजेपी के जिला अध्यक्ष समेत कई बड़े नेता, जिन्होंने वरुण गांधी से दूरी बना ली थी, एक बार फिर उनके साथ नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं सदर सीट से विधायक संजय सिंह गंगवार के तेवर भी ठंडे पड़ गये हैं. हाल ही में उनके जन्मदिन पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कमल के फूलों के साथ उनका जन्मदिन मनाया. सूत्रों के मुताबिक, इस इलाके में वरुण-मेनका गांधी की मजबूत पकड़ है, जिसके चलते बीजेपी का कोई भी उम्मीदवार उनका मुकाबला नहीं कर सकता.

पीलीभीत में मेनका गांधी हों या वरुण गांधी, दोनों ने यहां बीजेपी को मजबूत किया है. उन्होंने कई स्थानीय नेताओं को बढ़ावा दिया. इनमें पूरनपुर विधायक बाबू राम पासवान, बरखेड़ा से पूर्व विधायक किशनलाल राजपूत और मौजूदा विधायक जयद्रथ, सदर सीट से विधायक और मंत्री संजय सिंह गंगवार प्रमुख नाम हैं. बीजेपी को पता है कि अगर यहां से टिकट बदला गया तो गड़बड़ हो सकती है.

पीलीभीत का जातीय समीकरण

अगर बात करें पीलीभीत के सियासी समीकरण की तो यहां 5 विधानसभा सीटें बहेड़ी, पीलीभीत, बीसलपुर, बरखेड़ा, पूरनपुर हैं जहां कुल 18 लाख मतदाता हैं. इनमें 2.25 लाख कुर्मी, 4.30 लाख मुस्लिम, 1.7 लाख ब्राह्मण, 1 लाख सिख और चार लाख दलित मतदाता शामिल हैं. इनमें बांग्लादेश से आये शरणार्थी भी शामिल हैं. इन सभी समुदायों पर मेनका गांधी की अच्छी पकड़ है.

ऐसे में वरुण-मेनका के खिलाफ दूसरा चेहरा उतारना बीजेपी के लिए महंगा साबित हो सकता है. पीलीभीत में बीजेपी से 33 लोगों ने दावेदारी पेश की है. इनमें लोध राजपूत समाज से मंत्री हेमराज वर्मा, बरखेड़ा विधायक स्वामी प्रकाशानंद, पूर्व विधायक किशनलाल राजपूत और संजय सिंह गंगवार का नाम शामिल है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी यहां अपना चेहरा बदल पाती है या फिर वरुण गांधी को मैदान में उतारेगी.

मेनका गांधी ने 1996 में पीलीभीत से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और सांसद चुनी गईं, जिसके बाद वह लगातार 2009 तक यहां से सांसद रहीं. साल 2004 में मेनका गांधी ने 2.55 लाख वोटों से जीत हासिल की थी. 2009 में बीजेपी ने वरुण गांधी को मैदान में उतारा और उन्हें 4.19 लाख वोट मिले. 2014 में मेनका गांधी एक बार फिर यहां से सांसद बनीं. 2019 में वरुण गांधी को फिर यहां से मैदान में उतारा गया और उन्होंने जीत हासिल की. इस सीट पर उन्हें 7.40 लाख वोट मिले.

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