राष्‍ट्रीय

कांग्रेस की करारी हार के बाद बैठक

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बड़ा झटका लगा है. तीनों राज्यों में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. चुनाव जीतने के बाद बीजेपी इन तीनों राज्यों में नई सरकार बनाने की कोशिश में है. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कल भारत में विपक्षी दलों के गठबंधन की अहम बैठक बुलाई है. जानकारों के मुताबिक इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए नीतीश कुमार दिल्ली नहीं पहुंचेंगे. हालांकि, इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जरूर शामिल होंगे.

बैठक में ममता बनर्जी भी नहीं लेंगी हिस्सा

ममता बनर्जी पहले ही इस बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर चुकी हैं. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी का कहना है कि उनकी पार्टी को इस बैठक की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर को ममता का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम है और इस कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण वह बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली नहीं जाएंगी. बैठक में समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भी शामिल होने पर सस्पेंस बना हुआ है. सपा सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में अखिलेश की जगह रामगोपाल यादव शामिल हो सकते हैं.

क्यों अहम है विपक्ष की बैठक?

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खड़गे के बुलावे पर कल हो रही इंडिया अलायंस की बैठक को राजनीतिक लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है. तीन राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के निशाने पर है. अब कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अन्य विपक्षी दलों को कोई तरजीह नहीं दी.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन नहीं हो सका और इस वजह से सपा ने 69 विधानसभा सीटों पर अलग चुनाव लड़ा था. सीटों पर तालमेल नहीं होने पर दोनों पार्टियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई. माना जा रहा है कि बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है.

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नीतीश कुमार को विपक्ष का चेहरा बनाने की मांग

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इस बीच तीन राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद विपक्षी दलों ने कांग्रेस पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. जेडीयू की ओर से नीतीश कुमार को विपक्ष का चेहरा बनाने की मांग की गई है. जेडीयू नेता निखिल मंडल ने कहा कि अब विपक्षी गठबंधन को नीतीश कुमार का अनुसरण करना चाहिए और नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने में पूरी तरह सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ इस लड़ाई में नीतीश कुमार को विपक्ष का चेहरा बनाया जाना चाहिए.

विपक्षी गठबंधन के सपने को साकार करने में नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका रही है और उन्हीं की पहल पर विपक्षी दलों के नेताओं की पहली बैठक पटना में हुई थी. हालांकि, पिछले तीन महीने के दौरान विपक्षी गठबंधन की एक भी बैठक नहीं हुई है और इसे लेकर सवाल उठते रहे हैं. अब सबकी नजर कल होने वाली बैठक पर है.

 

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