अखबार छपता नही पीडीएफ से पाठकों को मूर्ख बनाया जा रहा है : विमल वर्मा
सत्य ख़बर,नई दिल्ली:
सतीश भारद्वाज : भारत रत्न संविधान रचयिता डॉ. अगवेकर के जयंती अवसर पर होने जा रहे समारोह की तैयारी में आयोजित एक बैठक में बतौर मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार विमल वर्मा ने प्रेस वार्ताओं के संयुक्त सवालों के जवाब देते हुए कहा कि इन दिनों पीडीएफ फाइल में बनने वाले फर्जी अखबारों को मीडिया के लिए घातक बताते हुए विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश में लोकतंत्र का एक मजबूत स्तम्भ मीडिया है, जिसकी ओट लेकर न जाने कितने ही फर्जी मीडिया कर्मी रक्त बीज नामक किसी राक्षस की तरह बढ़ते देखे जा सकते हैं। बहुत सारी जगह मीडिया के नाम पर कोई न कोई माईक आई.डी लिए आपको नजर आ ही जाएगा हालांकि मीडिया के नाम पर वह केवल एक छलावा ही हैं। ऐसे छलिया मीडियाकर्मी पत्रकारिता के नाम व काम को बदनाम कर रहे हैं, जिससे देश में मीडिया के प्रति विश्वास व सम्मान कम हो रहा है। आम नागरिक मीडिया में भरोसे की भारी गिरावट के लिए चाटूकार व दलाल स्तर के पत्रकारों को जिम्मेदार मानते हुए देश की मीडिया को गोदी मीडिया के नाम से संबोधित करते देखे जा सकते हैं। यह गोदी मीडिया ही है जो देश के असल मुद्दों से जनता का सारा ध्यान भटकाने का अनैतिक काम कर रहे हैं। देश के सबसे मजबूत चार स्तम्भ न्याय पालिका, कार्य पालिका, विधायिका और मीडिया में बहुत हद तक गलत मानसिकता के लोगों की घुसपैठ को अनदेखा नही किया जा सकता है और यह एक कटु सत्य है। यही कारण है कि देश में समस्याओं के अंबार लगते जा रहे हैं और समाधान के नाम पर सिर्फ झूठ, जुमले और नौटंकी ही हो रही है जिसका खामियाजा देश की जन साधारण जनता को भुगतना पड़ रहा है। आज अखबार के नाम पर पीडीएफ का चलन तेजी से बढ़ती जा रहा है और चिंता व हैरानी की बात तो यह है कि अखबार जो कभी छपते ही नही हैं उनके साथ शासन प्रशासन और नेता पुलिस आपस में तालमेल बनाए हुए हैं। रोजाना वॉट्सऐप आदि सोशल मीडिया पर हजारों अखबार पीडीएफ के रूप में परोसे जा रहे हैं। जिनका कभी प्रकाशन होता ही नही है। जो अखबार राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हैं उनमें लोकतंत्र व मानवता के प्रति कोई निष्पक्षता ढूंढे नही मिलती है। जो सच को दबाने और सत्ता पक्ष व अन्य जो इनका स्वार्थ पूरा करने वाले हैं उनकी ये सरेआम झूठी तारीफों के पुल बांधते हैं। आम जनता को गुमराह कर ये सभी भांड मीडिया देश को पूरी तरह से बर्बादी व गुलामी की ओर धकेल रही है, लेकिन जो लोग सच को उजागर करते हैं या जनहित में समर्पित हैं उनकी जान जोखिम में आ जाती है। देश में जन हितेषी, मानवतावादी और जनक्रांति लाने वाले संगठन व बुद्धिजीवी वर्ग न होते तो देश को तानाशाही में स्पष्ट महसूस हर नागरिक झेलते हुए करता जो गनिमत है कि अभी तक तानाशाही पूरी तरह हावी नही है। यह तमाम बातें देश के अलग अलग राज्य व जिला क्षेत्रों के आम आवाम के विचार हैं जिन्हें एकत्रित कर समाचार के रूप में जनहित में प्रकाशित किया गया है।