सत्य खबर, नई दिल्ली।Now there will be a lot of elderly leaders in BJP, know how
मध्य प्रदेश में सत्ता में कायम रहने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई है। पार्टी ने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों पर तो दांव लगाया ही है, बुजुर्गो में फिर से विश्वास जताना शुरू कर दिया है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी से इसलिए मुंह फेर लिया था कि पार्टी ने उनकी जगह युवाओं को तरजीह दी थी। भाजपा को इसका बड़ा खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
कर्नाटक में भी काटा था बुजुर्ग नेताओं का टिकट
राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि हो सकता है कि यह कर्नाटक में पार्टी को लगे झटके का नतीजा हो। क्योंकि, वहां इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 67 वर्षीय पूर्व सीएम जदगदीश शेट्टार और 74 साल के पूर्व उपमुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा का टिकट इसी वजह से काट दिया था कि वे पार्टी की उम्र सीमा को पार कर गए थे या करने वाले थे।
आडवाणी-जोशी भी उम्र की वजह से लग चुके हैं किनारे
दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में भारतीय जनता पार्टी में ऐसा देखने में आया है कि 75 साल सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट की एक नीति की तरह है। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज इसी नियम की वजह से ऐक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हुए हैं। यशवंत सिन्हा जैसे नेता तो यही आरोप लगाते हुए पार्टी के सबसे बड़े आलोचकों में शामिल हो चुके हैं।
मध्य प्रदेश में भाजपा के उम्मीदवार, उम्र के 80 बसंत से भी पार
मध्य प्रदेश चुनाव में देखें तो पार्टी सतना जिले की नागौद विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह नागौद को चुनाव लड़ा रही है, जो इस साल मार्च में ही 80 वर्ष के हो चुके हैं। इसी तरह रीवा की गुढ़ सीट से पार्टी उम्मीदवार नागेंद्र सिंह 79 वर्ष के हैं। दोनों ही पार्टी के मौजूदा विधायक हैं। एक राजनीतिक विश्लेषक जयराम शुक्ला के मुताबिक कुछ महीने तक ये दोनों ही नेता चुनाव लड़ने को लेकर अनिच्छा जता रहे थे।
2018 में कई दिग्गजों की कट गया था टिकट
पार्टी की फेहरिस्त में ऐसे और 12 नाम हैं जो 70 साल से ज्यादा के हैं। जानकारी के मुताबिक 2016 में शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट से तब 76 साल के हो जाने की वजह से ही सरताज सिंह को हटना पड़ गया था। 2018 में उन्हें इसीलिए टिकट नहीं मिला कि वह 78 के हो चुके थे। वह बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे, हालांकि होशंगाबाद सीट पर वह चुनाव नहीं जीत सके थे। इसी तरह पिछली बार तत्कालीन मंत्री कुसुम महदेले का भी टिकट कट गया था, क्योंकि, वह 75 की हो चुकी थीं।
भाजपा के बुजुर्ग नेताओं में जगी नई उम्मीद
इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार भाजपा की तुलना में ज्यादा युवा हैं, जिसने 70 से ज्यादा उम्र के सिर्फ 9 लोगों को ही टिकट दिया है और उसमें सबसे बुजु्र्ग 77 साल के हैं। भाजपा की यह बदली हुई रणनीति बहुतों को चौंका रही है, लेकिन पार्टी के जिन नेताओं पर रिटायरमेंट की तलवार लटकी हुई है उनके लिए उम्मीद की एक नई किरण जग गई है। कई लोग इस बात को याद दिला रहे हैं कि 2019 के अप्रैल में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि पार्टी ने 75 साल अधिक के नेताओं को टिकट नहीं देने का फैसला किया है। इसी चक्कर में आडवाणी और जोशी जैसे दिग्गज भी नप गए थे। वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीक्षित के मुताबिक भाजपा सुविधा की राजनीति कर रही है और सरकार में बने रहने के लिए आजमाए और परखे हुए दिग्गजों पर दांव लगा रही है।