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Odisha: झारसुगुड़ा में 60 लाख रुपये के धोखाधड़ी मामले में 4 लोग गिरफ्तार, पूर्व नगर निगम अधिकारी भी शामिल

Odisha: झारसुगुड़ा, ओडिशा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां नगर निगम अधिकारियों द्वारा सरकारी धन के गबन और धोखाधड़ी की रिपोर्ट सामने आई है। इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें पूर्व नगर निगम कार्यकारी अधिकारी मनोज कुमार टंडी भी शामिल हैं। आरोप यह है कि झारसुगुड़ा नगर निगम ने मच्छर भगाने वाले तेल की आपूर्ति के लिए अनुबंध में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की। इस मामले में अब तक 60 लाख रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है।

मच्छर भगाने वाले तेल की खरीद में गड़बड़ी

यह मामला 2022-23 और 2023-24 के दौरान झारसुगुड़ा नगर निगम में हुई एक गड़बड़ी का है। आरोप है कि नगर निगम के अधिकारियों ने आपूर्तिकर्ता के साथ मिलकर मच्छर भगाने वाले तेल को बाजार से बहुत अधिक कीमतों पर खरीदा। Vigilance विभाग ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो पाया कि 2023 में मनोज कुमार टंडी ने झारसुगुड़ा में एक आपूर्तिकर्ता से 10,200 लीटर मच्छर भगाने वाला तेल खरीदने का आदेश दिया था। लेकिन यह तेल लगभग 100 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदी गई थी।

विजिलेंस विभाग की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि आपूर्तिकर्ता ने नगर निगम को लगभग 9,500 लीटर मच्छर भगाने वाला तेल दिया और इसके बदले 7 बिल भेजे, जिनकी कुल कीमत करीब 70,30,000 रुपये थी।

पिछले साल की तुलना में कीमतें 10 गुना ज्यादा

विजिलेंस विभाग की जांच में यह भी सामने आया कि 2022-23 में नगर निगम ने मच्छर भगाने वाला तेल 77 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा था। लेकिन 2023-24 में उसी तेल को झारसुगुड़ा के एक आपूर्तिकर्ता से 740 रुपये प्रति लीटर की दर पर खरीदा गया, जो पिछले साल की कीमत से लगभग 10 गुना अधिक था। इस गड़बड़ी के कारण नगर निगम को 61,44,600 रुपये का भारी नुकसान हुआ और आपूर्तिकर्ता ने गलत तरीके से लाभ कमाया।

Odisha: झारसुगुड़ा में 60 लाख रुपये के धोखाधड़ी मामले में 4 लोग गिरफ्तार, पूर्व नगर निगम अधिकारी भी शामिल

विजिलेंस विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस गड़बड़ी का मामला 2022 से लेकर 2024 तक का है। झारसुगुड़ा नगर निगम ने 10,200 लीटर मच्छर भगाने वाले तेल की आपूर्ति के लिए टेंडर जारी किया था, जिसमें तीन आपूर्तिकर्ताओं ने भाग लिया था। झारसुगुड़ा के एक आपूर्तिकर्ता की कीमत 740 रुपये प्रति लीटर तय हुई और उसे आपूर्ति का जिम्मा सौंपा गया। इस बार की कीमतें पिछले साल के मुकाबले लगभग 100% ज्यादा थीं।

60 लाख रुपये की धोखाधड़ी

गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद यह सामने आया कि नगर निगम ने जिन आपूर्तिकर्ताओं से तेल खरीदा, उन्होंने बाजार से बहुत अधिक कीमतों पर तेल की आपूर्ति की, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ। 9,500 लीटर तेल की आपूर्ति करने के बाद आपूर्तिकर्ता को 70,30,000 रुपये का भुगतान किया गया। यह पूरी प्रक्रिया और गड़बड़ी नगर निगम की सतर्कता विभाग की जांच में सामने आई।

इस घोटाले के कारण राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है और यह मामला ओडिशा के लिए एक बड़ा घोटाला बन गया है।

अब तक 4 लोग गिरफ्तार

इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें झारसुगुड़ा नगर निगम के पूर्व कार्यकारी अधिकारी मनोज कुमार टंडी, आपूर्तिकर्ता और सफाई विशेषज्ञ शामिल हैं। जांच दल में कुल 10 लोग शामिल हैं, जो इस मामले की गहरी जांच कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है और उनके अन्य कनेक्शन भी जांचे जा रहे हैं।

जांच अधिकारी ने कहा, “जो भी इस मामले में दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

नगर निगम के अधिकारी और आपूर्तिकर्ताओं के रिश्ते

यह मामला नगर निगम के अधिकारियों और आपूर्तिकर्ताओं के बीच घोर भ्रष्टाचार को उजागर करता है। यह गड़बड़ी उस समय हुई जब नगर निगम को मच्छर भगाने वाले तेल की आवश्यकता थी, और इस दौरान सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ। इस पूरी प्रक्रिया को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि कैसे इतनी बड़ी धोखाधड़ी की गई और कैसे अधिकारियों ने इतनी बड़ी राशि को गलत तरीके से खर्च किया।

सवाल यह भी है कि अगर Vigilance विभाग ने समय रहते इसकी जांच नहीं की होती तो शायद यह घोटाला और भी बड़ा हो सकता था। जांच एजेंसियों का कहना है कि यह मामला केवल वित्तीय गड़बड़ी का नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार का एक बड़ा उदाहरण है, जिसे सामने लाया जाना जरूरी था।

जनता के प्रति जवाबदेही

इस घोटाले के खुलासे ने एक बार फिर से सरकारी अधिकारियों के प्रति जनता के विश्वास को चुनौती दी है। जब सरकारी अधिकारी इस तरह से धन का दुरुपयोग करते हैं, तो जनता का सरकार और प्रशासन के प्रति विश्वास टूटता है। यह गड़बड़ी न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि यह जनता के विश्वास को भी कमजोर करती है।

साथ ही, यह घटना यह भी दर्शाती है कि भ्रष्टाचार की प्रवृत्तियां किस प्रकार सरकारी मशीनरी में फैल सकती हैं और किस प्रकार एक छोटी सी गड़बड़ी बड़ी समस्याओं को जन्म दे सकती है। इस तरह के मामलों में कड़ी कार्रवाई न केवल दोषियों को दंडित करने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह एक संदेश भी भेजता है कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

झारसुगुड़ा में हुए 60 लाख रुपये के इस धोखाधड़ी मामले ने राज्य सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। नगर निगम अधिकारियों द्वारा की गई यह गड़बड़ी न केवल सरकारी धन का गलत उपयोग है, बल्कि यह पूरे सिस्टम की विफलता को भी दर्शाती है। मामले में अब तक की गई गिरफ्तारियां और जांच का रुख यह दर्शाता है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की योजना बना रही है। हालांकि, इस मामले के खुलासे के बाद यह उम्मीद की जाती है कि आने वाले समय में इस तरह के मामलों पर और कड़ी निगरानी रखी जाएगी, ताकि सरकारी धन का दुरुपयोग न हो सके।

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