Ola Electric की मनमानी नहीं चलेगी, उपभोक्ता शिकायतों के बाद सरकार ने उठाया बड़ा कदम
Ola Electric के खिलाफ उपभोक्ताओं से मिल रही शिकायतों के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ओला इलेक्ट्रिक द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और सेवाओं में कथित ‘खामियों’ के संबंध में जांच का आदेश दिया है। CCPA ने इस मामले की विस्तृत जांच करने के लिए जांच निदेशक को निर्देशित किया है। इस मामले में CCPA की प्रमुख निधि खरे की अध्यक्षता में आदेश जारी किया गया है, जो भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की भी प्रमुख हैं। इस आदेश के तहत BIS के निदेशक जनरल से 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
10,000 से अधिक शिकायतों के बाद सरकार ने लिया एक्शन
केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनी ने इस नोटिस का जवाब दिया है। अब CCPA ने जांच निदेशक को इस मामले की विस्तृत जांच करने और 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। यह कदम CCPA द्वारा 10,000 से अधिक शिकायतें प्राप्त करने के बाद उठाया गया है, जो राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) पर आई थीं। इसके बाद, 7 अक्टूबर को CCPA ने ओला इलेक्ट्रिक को नोटिस जारी किया था, जिसमें उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन, भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार प्रथाओं का आरोप लगाया गया था। कंपनी ने 21 अक्टूबर को इस नोटिस का जवाब दिया, जिसमें कहा गया कि उसने 10,644 शिकायतों में से 99.1 प्रतिशत का समाधान कर लिया है।
ओला इलेक्ट्रिक का बाजार हिस्सा घटा
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले क्वार्टर में ओला इलेक्ट्रिक का बाजार हिस्सा 49 प्रतिशत था, जो कंपनी का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। लेकिन इसके बाद, कंपनी का बाजार हिस्सा लगातार घटता जा रहा है। जुलाई 2024 में कंपनी का बाजार हिस्सा 39 प्रतिशत पर पहुंचा, और अगस्त में यह घटकर 31 प्रतिशत हो गया। सितंबर 2024 में यह गिरावट जारी रही और ओला इलेक्ट्रिक का बाजार हिस्सा 27 प्रतिशत तक पहुंच गया। इस स्थिति में ओला इलेक्ट्रिक के प्रतिद्वंद्वी कंपनियों जैसे एथर, टीवीएस, बजाज और हीरो को पूरी तरह से फायदा हो रहा है।
ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में गिरावट
हाल ही में ओला इलेक्ट्रिक का आईपीओ बाजार में सूचीबद्ध हुआ था। ओला इलेक्ट्रिक का आईपीओ 2 अगस्त को खुला और 6 अगस्त को बंद हुआ। कंपनी ने अपने आईपीओ के तहत 76 रुपये प्रति शेयर की दर से शेयर आवंटित किए थे। कंपनी 9 अगस्त को सूचीबद्ध हुई और पहले ही दिन कंपनी के शेयरों में भारी वृद्धि देखी गई। 20 अगस्त को NSE पर ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों की कीमत 157.40 रुपये तक पहुंच गई थी। लेकिन इसके बाद से कंपनी के शेयरों में लगातार गिरावट आई। 14 नवम्बर तक ओला इलेक्ट्रिक का शेयर मूल्य 70.12 रुपये तक गिर चुका था।
ओला इलेक्ट्रिक की बढ़ती चुनौतियां
ओला इलेक्ट्रिक की लगातार गिरती बाजार हिस्सेदारी और शेयर की कीमतों ने कंपनी के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। जहाँ एक ओर कंपनी ने खुद को इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की कोशिश की थी, वहीं अब उसे अपने उपभोक्ताओं और निवेशकों की नकारात्मक प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है। उपभोक्ताओं द्वारा की गई शिकायतें और सरकार का介ल इसमें सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) का यह कदम उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ सरकार का यह कड़ा रुख यह स्पष्ट करता है कि उपभोक्ताओं की संतुष्टि और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार गंभीर है।
कंपनियों को अब यह समझना होगा कि उपभोक्ताओं की शिकायतों को नजरअंदाज करने से न केवल उनके व्यवसाय की छवि को नुकसान होता है, बल्कि यह उन्हें कानूनी और वित्तीय चुनौतियों का भी सामना करवा सकता है। ओला इलेक्ट्रिक के लिए अब यह समय है कि वह अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करे और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करे, ताकि उनकी प्रतिष्ठा को फिर से हासिल किया जा सके।