नीरज बने बोलियों की क्रांति के ब्रांड ऐम्बैसडर – अब होगा बोली का बोल भाला
नीरज चोपड़ा पहले हरियाणा राजस्थान के ओटीटी प्लेटफॉर्म स्टेज एप्प के ब्रांड ऐम्बैसडर बनाए गए हैं.. स्टेज़ एप्प जुड़कर सबसे बड़ा कार्यक्रम अपने गांव से ही शुरू किया है और कहा है कि अपनी हरियाणवी बोली पर लाज नहीं नाज करना चाहिए.. वही उन्होंने कहा है कि स्टेज एप्प बोलियों की एक ऐसी क्रांति लेकर आई है जिसपर हम संस्कृति और गांव को अपनी बोलियां में देख पाएंगे.. वहीं स्टेज अप के संस्थापक विनय सिंगला ने कहा कि नीरज चोपड़ा को ब्रांड एंबेसडर बनाने के पीछे नीरज चोपड़ा अपनी मां बोली को भरपूर सम्मान देते हैं.. वैश्विक स्तर पर भी अपने इंटरव्यू को हरियाणवी में बोलकर गर्व महसूस करते हैं.
हरियाणवी बोलने पर लाज नहीं नाज करें
ओलंपिक स्वर्ण विजेता नीरज चोपड़ा अपनी हरियाणवी अंदाज को लेकर लगातार चर्चा में आ रहे हैं..हरियाणवी बोली को इस प्रकार से प्रमोट कर रहे हैं कि क्षेत्रीय बोलियों को मान सम्मान दिलवाने के लिए बोलियों की क्रांति का हिस्सा बनने का फ़ैसला लिया है। नीरज चोपड़ा ने कहा है कि अपनी हरियाणवी बोलने का डर खत्म हरियाणवी बोलने पर गर्व करना चाहिए.. हरियाणा की भूमि से ऐसे ऐसे उदाहरण पेश किए गए हैं कि हम कहीं भी पहुंच सकते हैं.. नीरज चोपड़ा ने कहा है कि अपनी बोली से इतना ज्यादा लगाव होना चाहिए…जिस प्रकार से मां-बाप और अपने गांव से लगाव होता है.. वहीं उन्होंने यह भी कहा है कि हरियाणवी को मातृ बोली के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए.. विदेश में ट्रेनिंग में रहने के दौरान बातचीत के दौरान अपनापन महसूस नहीं होता.. और इस दौरान अगर हरियाणवी भाषा में बातचीत करने का मौका मिल जाता है तो एक अपनापन महसूस होता है और मजा आ जाता है… नीरज चोपड़ा ने यह भी कहा है कि मुंबई जैसे महानगर में इंटरव्यू के दौरान हरियाणवी भाषा बोलने में उन्हें एक परसेंट भी संकोच नहीं था.. बहुत ही प्राउड फील हुआ.. लोगों को समझ आए या ना आए लेकिन लोगों प्रतिक्रिया बहुत अच्छी प्राप्त हुई है..
हमें अपनी बोली पर लाज नहीं ने करना चाहिए -नीरज चोपडा
क्षेत्रीय बोलियां को मान सम्मान दिलाने वाली स्टेज एप्प के ब्रांड एंबेसडर बने नीरज चोपड़ा ने स्टेज ऐप के मंच से बोलते हुए कहा हमें अपनी बोली पर ‘लाज नहीं ने नाज होना चाहिए’.. उन्होंने मंच से लोगों को मोटिवेशन करते हुए यह भी कहा है कि कोई भी काम कहीं पर भी करें,लेकिन खुलकर अपनी बोली में बोले.. और आत्मविश्वास से भरी हुई हरयाणवी बोली का अपना ही एक अलग रुतबा होता है.. आत्मविश्वास से भरा हुआ कोई भी काम करने से लोगों को पसंद जरूर आता है. हम अपने गांव की मिट्टी से जुड़े रहे हैं और बाहर भी रहे हैं.. लेकिन जहां भी रहे हैं धूम्मा उठाया है..अपने पैतृक के स्थान से हमेशा जुड़े रहने को लेकर उन्होंने अपील की है और कहा है कि दादा चाचा ताऊ सारे इकट्ठे बैठे हैं तो बहुत मजा आ रहा है.. हरयाणवी कल्चर और संस्कृति ने सबसे बड़ा काम भाईचारा सिखाया है.. उन्होंने यह भी कहा है बोलियां खोई हुई नहीं है, सोई हुईं हैं.. उन्होंने अंग्रेजी का उदाहरण देते हुए कहा है कि अक्सर हम उसे एक स्किलस के तौर पर देखते हैं.. जबकि इंग्लिश एक लैंग्वेज है, बोलना कोई बड़ा महत्व नहीं है, लेकिन आपका अपनी बोली या अपनी भाषा को कॉन्फिडेंस में बोलना बड़ा महत्व है.. अभिभावकों से भी अपील करते हुए कहा है कि अपनी बोली को जिंदा रखो.. और बोलियां को दोबारा से घर-घर तक पहुंचाने के लिए एक क्रांति की जरूरत है..ये क्रांति स्टेज एप्प के माध्यम से लगातार घर-घर पहुंच रही है.. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में जहां पहले सब एक साथ बैठकर बातचीत करते थे और वह सब अब कहीं गुम हो गई है.. बोलियों को जिंदा करने के लिए स्टेज एप्प ने हरियाणवी और राजस्थानी में बोलियों की ऐसी क्रांति लाई है कि एक बार फिर लोग अपनी मां बोली को बोलने के लिए गर्व कर रहे हैं.. हमारी पुरानी संस्कृति को बोली के माध्यम से वापिस लाने का काम स्टेज़ एप्प कर रहा… इसलिए स्टेज़ से जुड़ने का फैसला किया है.. खुलकर आत्मविश्वास से जीओ अपने कल्चर को प्रमोट करो..
स्टेज एप ने बोलियों को मान सम्मान दिलवाने में हर सम्भव कोशिश की है और इनकी इसी कोशिश ने मुझे प्रेरित किया है और अब मैं इस क्रांति के साथ हूँ और अपनी तरफ़ से इस क्रांति को आगे बढ़ाने में मदद करूँगा। नीरज ने कहा कि स्टेज राजस्थानी बोली में भी काम करता है और व्यक्तिगत रूप से मैं राजस्थान से बहुत जुड़ा हूँ , मेरी प्रेरणा महाराणा प्रताप हैं ।महाराणा प्रताप का शस्त्र भाला है और भाला ही मेरा खेल है ।
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स्टेज के संस्थापक विनय सिंघल ने कहा कि नीरज चोपड़ा को ब्रांड ऐम्बैसडर बनाने के पीछे हमारा सबसे बड़ा कारण यही था कि नीरज अपनी माँ बोली को भरपूर सम्मान देते हैं। भले ही नीरज आज पूरे विश्व का चेहरा है पर अपने अधिकतर इंटर्व्यू वे अपनी माँ बोली में ही देते हैं। जब इतने बड़े वैश्विक चेहरे को हरियाणवी बोलने में झिझक महसूस नहीं होती तो फिर आम आदमी को किस बात की झिझक।
स्टेज के सह संस्थापक शशांक वैष्णव और प्रवीण सिंघल ने कहा कि नीरज के स्टेज के साथ आने से क्षेत्रीय बोलियों के प्रति युवाओं का प्रेम और सम्मान बढ़ेगा और स्टेज हमेशा बोलियों को आगे बढ़ाने में प्रयासरत रहेगा। जहां हरियाणा और राजस्थान के युवा मुंबई में फ़िल्म और टेलिविज़न में काम करने के लिए मुंबई में संघर्ष करते थे..आज स्टेज के आने के बाद युवाओं को मुंबई जाने की ज़रूरत महसूस नहीं होती। हरियाणा और राजस्थान के फ़िल्म मेकर जहां फ़िल्म बनाने के लिए संघर्षरत थे , आज इन प्रदेशों में हर महीने पाँच-छह वेब सीरीज और फ़िल्मों के शूट हो रहे हैं। स्टेज ने क्षेत्रीय बोलियों के लेखकों, अभिनेताओं और फ़िल्म से जुड़े अन्य रोज़गार मुहैया करवाने का भी प्रयास किया है.. आने वाले समय में स्टेज पर बने क्षेत्रीय भाषा में बने कांटेंट को पूरा विश्व देखेगा..