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प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh और अकाली दल, एक ऐतिहासिक घटनाक्रम

2008 में प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को परमाणु समझौते को लेकर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। वामपंथी दलों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार पर संकट के बादल छा गए। उस समय शिरोमणि अकाली दल, जो एनडीए का हिस्सा था, के पास लोकसभा में 8 सांसद थे।

मनमोहन सिंह सरकार को बचाने के लिए लिबड़ा का कदम

ऐसे में जब यूपीए सरकार के गिरने की संभावना स्पष्ट थी, शिरोमणि अकाली दल के सांसद सुखदेव सिंह लिबड़ा ने पार्टी लाइन तोड़कर डॉ. मनमोहन सिंह का समर्थन किया। लिबड़ा ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान वोटिंग से गैरहाजिर रहकर सरकार को गिरने से बचा लिया।

पार्टी के विपरीत कदम: साहस या राजनीति?

लिबड़ा उस समय अकाली दल के मुख्य सचेतक (विप) थे और उन्होंने अपने सभी सांसदों को अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने का निर्देश दिया था। लेकिन खुद ही वोटिंग से गैरहाजिर रहे। यह कदम अकाली दल और एनडीए के भीतर तीखी आलोचना का कारण बना, लेकिन पंजाब में इसे काफी सराहा गया।

अकाली दल में बढ़ता असंतोष

सुखदेव सिंह लिबड़ा के इस कदम ने अकाली दल की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया। एनडीए के अन्य नेताओं ने इस पर नाराजगी जताई, लेकिन पंजाब के कई हिस्सों में इसे मनमोहन सिंह की नीतियों के समर्थन के रूप में देखा गया।

सुखबीर सिंह बादल ने जताया शोक

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन के साथ सार्वजनिक जीवन में एक युग का अंत हो गया है।”

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सादगी और ईमानदारी के प्रतीक

सुखबीर सिंह ने कहा, “डॉ. साहब ने अपने व्यक्तिगत जीवन में सादगी और राजनीति में शिष्टाचार, विनम्रता और ईमानदारी को बनाए रखा।” उन्होंने यह भी याद किया कि डॉ. मनमोहन सिंह का उनके पिता और अकाली नेता सरदार प्रकाश सिंह बादल के साथ घनिष्ठ संबंध था।

संघीय ढांचे के प्रति मनमोहन सिंह की प्रतिबद्धता

डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत के संघीय ढांचे को संविधान की आधारभूत विशेषता माना। वह धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई और क्षेत्रीय विविधताओं के प्रति संवेदनशील थे। उन्होंने अल्पसंख्यकों की भावनाओं और हितों की सुरक्षा को देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए जरूरी माना।

धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ

डॉ. मनमोहन सिंह का मानना था कि धार्मिक मामलों में सरकार का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए।

सुखबीर सिंह बादल का संदेश

सुखबीर सिंह ने डॉ. मनमोहन सिंह की महानता को याद करते हुए कहा, “डॉ. साहब ने देश के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान में अपनी अद्वितीय दृष्टिकोण का परिचय दिया। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।”

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मनमोहन सिंह का योगदान

डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति के एक ऐसे नेता थे जिन्होंने सादगी और ईमानदारी के साथ देश का नेतृत्व किया। उनकी नीतियां और उनके कार्य आज भी राजनीति में प्रेरणा के स्रोत हैं।

सुखदेव सिंह लिबड़ा और उनका योगदान

सुखदेव सिंह लिबड़ा का 2008 में लिया गया साहसिक कदम एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाक्रम है। यह घटना भारतीय राजनीति में पार्टी लाइन से अलग हटकर देशहित को प्राथमिकता देने का प्रतीक बनी।

डॉ. मनमोहन सिंह और सुखदेव सिंह लिबड़ा का यह प्रकरण भारतीय राजनीति में एक मील का पत्थर है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि सच्चा नेतृत्व वही है, जो देशहित को प्राथमिकता देता है और जनभावनाओं का सम्मान करता है।

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