हरियाणा

गुरुग्राम के मानेसर नगर निगम में 40 करोड़ का पब्लिक टॉयलेट घोटाला उजागर

सत्य ख़बर,गुरुग्राम,सतीश भारद्वाज:  हरियाणा में गुरुग्राम जिले के दुसरे मानेसर नगर निगम का एक बड़ा भ्रष्टाचार का घोटाला सामने आया है, जिसमें पब्लिक टॉयलेट बनाने में हुए करोड़ों रुपए का दुरुपयोग व गोलमोल होने का मामला उजागर हुआ है। यह घोटाला करीब 40 करोड़ रुपये का निगम के अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच हुई कथित मिलीभगत से होना बताया जा रहा है।

साल 2022 में मानेसर नगर निगम ने गांवों में पब्लिक टॉयलेट बनाने का वादा किया था, ताकि खुले में शौच की समस्या खत्म की जा सके और गुरुग्राम को शौचालय मुक्त बनाया जा सके। हालांकि, तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी यह योजना पूरी तरह से सिरे नही चढ़ पाई है। लेकिन इसमें हुआ महा घोटाला व भ्रष्टाचार की पोल खुलकर सामने आ गई है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मानेसर नगर निगम की ओर से 107 पब्लिक टॉयलेट बनाने का कार्य करने का ठीक का एक ठेकेदार को दिया गया था। लेकिन तीन साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी अधिकतर टॉयलेट्स नहीं बने। इसके बावजूद ठेकेदारों को पहले ही भारी रकम जारी कर दी गई। इन टॉयलेट्स की लागत करीब 29 से 30 लाख रुपये प्रति यूनिट बताई जा रही है, जबकि असल में टॉयलेट्स का निर्माण बहुत ही कम स्तर पर हुआ है।

वहीं गांव नोरगपुर के निवासी कुड़िया ने आरोप लगाया कि एक पब्लिक टॉयलेट पर करीब 29 से 30 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि टॉयलेट की गहरी खुदाई मात्र 5 फीट से अधिक नहीं की गई। कुछ टॉयलेट्स तो ऐसी जगहों पर बनाए गए हैं, जहां कोई व्यक्ति आसानी से नहीं पहुंच सकता।

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वहीं एक टॉयलेट नगर निगम मानेसर के कूड़ा डंपिंग स्थल के पास पहाड़ी की चोटी पर बनाया है, जहां न तो पानी का कनेक्शन है और न ही वहां कोई टॉयलेट का उपयोग करने जाता है। कुड़िया ने यह भी बताया कि कई जगह तो टॉयलेट बनाए ही नहीं गए, लेकिन उनके लिए पहले ही पैसे रिलीज कर दिए गए।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों ने अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों का घोटाला किया। जब शिकायत की गई, तो नगर निगम मानेसर के अधिकारियों ने किसी भी प्रकार की ठोस जांच नहीं की। उन्होंने बताया कि अगर शिकायत करते हैं तो जांच भी उसी अधिकारी को दे दी जाती है, जो इन घोटालों में समय लिप्त होते हैं। इस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा जिससे वह अपनी जांच में खुद को क्लीन चिट दे देता है।

यह घोटाला इस बात को भी उजागर करता है कि सरकारी परियोजनाओं में कैसे अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से जनता के पैसे का इस्तेमाल हो रहा है। उनका आरोप है कि पूरी योजना और इसके तहत किए गए खर्चों की कोई स्पष्टता नहीं है, और लोगों को इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है।

यह मामला अब जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है और सवाल उठ रहे हैं कि क्या हरियाणा सरकार इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई करेगी या यह मामला भी पहले के घोटालों की तरह दबकर रह जाएगा। लोग यह जानने के लिए बेचैन हैं कि आखिर कब तक इस तरह के घोटाले होते रहेंगे और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएंगे।

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इस पूरे मामले में मानेसर नगर निगम के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं और लोग सरकार से इस घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

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