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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने IPS सौम्या मिश्रा को भेजा अवमानना नोटिस ।

सत्य ख़बर, चण्डीगढ़, सतीश भारद्वाज :

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब के फिरोजपुर शहर में तैनात एक आईपीएस अधिकारी को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि क्यों ना उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जाए । मामला वर्ष 2022 से लापता एक नाबालिग लड़की की जांच से संबंधित न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का था जिसमे वे हाजिर नहीं हुआ। जिससे अदालत को यह आदेश जारी करना पड़ा।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संदीप मौदगिल ने कहा कि, “वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्तर के आईपीएस अधिकारी से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह न्यायालय के निर्देश को गंभीरता से न ले, विशेष रूप से, वर्तमान याचिका में शामिल मुद्दे के आलोक में, जिसमें एक नाबालिग लड़की का पता नहीं चल पाया है, जिसकी एफआईआर 17.08.2022 को संख्या 201, धारा 363 और 366-ए आईपीसी के तहत पुलिस स्टेशन गुरुहरसहाय, फिरोजपुर में दर्ज की गई थी और जांच अधिकारी की गंभीरता संदेह के घेरे में थी।”

वहीं न्यायालय ने कहा, “यह न्यायालय, प्रथम दृष्टया, उचित संदेह से परे संतुष्ट है कि सुश्री सौम्या मिश्रा, आईपीएस, एसएसपी, फिरोजपुर ने पूरी तरह से अपनी मनमर्जी से न्यायालय के समक्ष उपस्थित न होने का विकल्प चुनकर जानबूझकर न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया है।” एकल पीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि “न्यायालय के आदेशों या वचनों का पालन न करना, जहां पुलिस प्रशासन का उच्च स्तर जानबूझकर और स्वेच्छा से उनका पालन करने में विफल रहता है या जानबूझकर मना करता है, न्यायालय का अनादर करके न्याय प्रशासन के लिए जोखिम पैदा करता है और इस तरह का गैर-अनुपालन न्यायालय के अधिकार के सार को कमजोर करता है और कानून के शासन को खतरा पहुंचाता है।” ये टिप्पणियां, एक मामले में जांच की मांग करने वाली याचिका के जवाब में आईं, जिसमें अगस्त, 2022 से एक नाबालिग लड़की लापता है। इससे पहले, न्यायालय ने कहा कि पुलिस द्वारा प्रस्तुत जांच की स्थिति रिपोर्ट असंतोषजनक है क्योंकि जांच के दौरान उठाए गए प्रभावी कदमों के बारे में न्यायालय में उपस्थित अधिकारी द्वारा कोई उचित औचित्य नहीं दिया गया है। न्यायालय ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को स्थिति रिपोर्ट के साथ उपस्थित रहने को कहा था। हालांकि वर्तमान कार्यवाही में उनकी ओर से केवल स्थिति रिपोर्ट ही दाखिल की गई थी।

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जबकि राज्य की तरफ से पेश वकील ने तर्क दिया कि कानून व्यवस्था की स्थिति में गड़बड़ी की आशंका के कारण एसएसपी ने अपने स्थान पर रहना उचित समझा और उनकी ओर से फिरोजपुर के पुलिस अधीक्षक (जांच) रणधीर कुमार को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए नियुक्त किया।

सरकारी वकील का तर्क सुनने के बाद न्यायालय ने कहा, कि एजी, पंजाब द्वारा प्रस्तुत किया गया स्पष्टीकरण, जिसमें सुश्री सौम्या मिश्रा, आईपीएस, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, फिरोजपुर की इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने में असहायता दर्शाई गई है, किसी भी तरह से विश्वसनीय नहीं है।”

फिरोजपुर में पुलिस अधीक्षक स्तर का एक अन्य अधिकारी है, जिसे सुश्री मिश्रा ने न्यायालय की कार्यवाही में उपस्थित होने के लिए उनकी जगह पर नियुक्त किया है, अन्यथा उन्हें उस स्थान पर ड्यूटी सौंपी जा सकती थी, जहां कानून व्यवस्था की गड़बड़ी की आशंका थी। या सुश्री मिश्रा को न्यायालय के समक्ष छूट मांगने के लिए आवेदन करना चाहिए था, लेकिन ऐसा करने के बजाय, अधिकारी ने जानबूझकर इस न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का अनादर किया है।

वहीं न्यायमूर्ति मौदगिल ने कहा कि, “सुश्री मिश्रा का आचरण, प्रथम दृष्टया इस न्यायालय द्वारा दिनांक 26.04.2024 के आदेश के तहत जारी निर्देशों का अनादर करने के लिए उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2(सी) के अनुसार आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने का मामला बनाता है।”

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न्यायालय ने एसएसपी को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।

अदालत ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख देते हुए आदेश की एक प्रति पुलिस महानिदेशक, पंजाब तथा गृह सचिव, पंजाब को सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए भी भेजने का निर्देश दिया है।

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