सत्य खबर, चंडीगढ़, सतीश भारद्वाज :
Punjab and Haryana High Court slammed the priest who conducted child marriage and directed the girl to leave her father’s house
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक पंडित पर बाल विवाह करने के मामले को लेकर कड़ी टिप्पणी करते हुए पंडित की खिंचाई की है। जिसने विवाह करने से पूर्व उम्र की पुष्टि किए बिना बाल विवाह संपन्न कराया था। जिसमें उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया गया था।
न्यायालय सूत्रों व मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार सुखविंदर सिंह और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य में उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार, पंजाब, हरियाणा और यू.टी. में मंदिर के सभी पंडित, मस्जिद के मोलवी, गुरुद्वारा के ग्रंथी और गिरजाघर के पादरी। चंडीगढ़, वर्ष के हर तीन महीने के बाद उस क्षेत्र पर अधिकार क्षेत्र वाले SHO के समक्ष काउंटर-फाइल के साथ अपना रजिस्टर पेश करने का निर्देश दिया गया जहां ऐसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर स्थित हैं और निरीक्षण के बाद इसे वापस लौटाने का निर्देश दिया गया।
न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान ने कैसे की सुनवाई के दौरान पाया कि विवाह कराने वाला पंडित उपरोक्त निर्देशों का पालन करने में विफल रहा है और उसके द्वारा दिखाए गए रिकॉर्ड से पता चलता है कि सत्यापन के संबंध में स्थानीय क्षेत्र के SHO की कोई मुहर नहीं है। इससे यह नहीं पता लग पा रहा है कि कब-कब कोई बाल विवाह हुआ है या नहीं।”
न्यायालय ने कहा कि पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले जोड़े ने यह साबित करने के लिए फर्जी दस्तावेज पेश किए थे कि लड़की बालिग है। “यहां तक कि, जो पंडित रिकॉर्ड लेकर आया है, उसने अपने रिकॉर्ड में कहीं भी (लड़की की) जन्मतिथि नहीं दर्शाई है और ऐसा प्रतीत होता है कि बिना किसी दस्तावेज के सत्यापन के, उसने केवल अपनी फीस लेने के लिए कथित विवाह कराया लगता है। जिसपर
अदालत ने पंचकुला के पुलिस आयुक्त को नाबालिग लड़की की कथित शादी के प्रदर्शन के संबंध में मामले को देखने का निर्देश दिया।
यह टिप्पणियां नाबालिग लड़की के पिता द्वारा एक SHO के खिलाफ दायर अवमानना याचिका में की गईं। नाबालिग लड़की ने कथित तौर पर अपने माता-पिता से पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए 27 साल के लड़के से शादी कर ली थी। वहीं
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार, लड़की की जन्म तिथि 8 फरवरी 2007 है और आधार कार्ड में भी वही जन्म तिथि है।
इस बात का भरोसा हेडमास्टर, सरकारी हाई स्कूल, मुल्लांवाल, गुरदासपुर द्वारा 30 अगस्त 2023 को जारी प्रमाण पत्र के आधार पर है।
न्यायालय ने कहा कि ये दोनों दस्तावेज़ वास्तविक दस्तावेज़ प्रतीत होते हैं और सुरक्षा याचिका में दम्पति द्वारा जिस आधार कार्ड पर भरोसा किया गया वह एक “झूठा दस्तावेज़” है, उस व्यक्ति के बारे में तो बिल्कुल भी टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए, जिसने अनुवाद किया है जिसमें जन्म तिथि अंकित है। 7 अगस्त 2002 के रूप में दिखाया गया है, और यह आधार कार्ड का सही अनुवाद नहीं है। वहीं
पीठ ने कहा कि पिछले आदेश के अनुपालन में गुरदासपुर (ग्रामीण) के पुलिस उपाधीक्षक की ओर से हलफनामा अदालत में दायर किया गया है, जिसे रिकॉर्ड पर लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि जांच की गई है और जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार, लड़की की उम्र 08.02.2007 है और वह कम उम्र की होने के कारण पंडित के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई बनती है।
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इसमें सुखविंदर सिंह और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य का उल्लेख किया गया, जहां न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा और यू.टी. में पुजारियों, काजियों, पिताओं को कई निर्देश जारी किए। अदालत ने पंचकुला के पुलिस आयुक्त को एक लड़की की कथित शादी के प्रदर्शन के संबंध में मामले को देखने का निर्देश दिया, जो बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत निषिद्ध है।
मामले को 12 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए, इसने SHO और महिला हेड कांस्टेबल को बच्ची को वापस लेने और उसके पिता के आवास पर छोड़ने का निर्देश दिया है।
Punjab and Haryana High Court slammed the priest who conducted child marriage and directed the girl to leave her father’s house.