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Punjab news: पार्टी में गहराता संकट, कांग्रेस में बढ़ता विवाद और गुटबाजी

Punjab news: चंडीगढ़ में कांग्रेस पार्टी में बढ़ती गुटबाजी और संघर्ष एक गंभीर राजनीतिक संकट बनता जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने बिजली निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है, जबकि लोकसभा चुनावों के बाद से वह राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहे थे। अब बंसल ने सार्वजनिक रूप से शहर के मुद्दों पर अपनी राय रखना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही बंसल गुट ने सांसद मनीष तिवारी और कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लकी गुट के खिलाफ मोर्चा खोलने की योजना बनाई है। इस आंतरिक संघर्ष के कारण पार्टी की स्थिति और अधिक नाजुक होती जा रही है।

बंसल समर्थकों की उपेक्षा

वर्तमान में पार्टी में बंसल समर्थकों को नजरअंदाज किया जा रहा है। पार्टी नेतृत्व द्वारा बंसल गुट के नेताओं और कार्यकर्ताओं को पर्याप्त स्थान नहीं दिया जा रहा है, जो कि पार्टी में आंतरिक असंतोष को बढ़ावा दे रहा है। खासकर चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन को लेकर बंसल गुट की स्थिति स्पष्ट है। बंसल गुट गठबंधन के पक्ष में नहीं है, और वे इसे पार्टी की सशक्तता के लिए हानिकारक मानते हैं। बंसल गुट का मानना है कि AAP से गठबंधन करके कांग्रेस को किसी तरह का लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि यह पार्टी की स्थिति को और कमजोर कर सकता है।

चंडीगढ़ में AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन केवल भाजपा को रोकने के लिए किया जा रहा है, खासकर मेयर चुनावों में। हालांकि, यह गठबंधन पार्टी के भीतर मतभेदों का कारण बन चुका है। पार्टी के भीतर गठबंधन के पक्षधर और विपक्षी दोनों पक्षों के बीच बढ़ती हुई खींचतान ने पार्टी के आंतरिक मामलों को और जटिल बना दिया है।

Punjab news: पार्टी में गहराता संकट, कांग्रेस में बढ़ता विवाद और गुटबाजी

बिजली निजीकरण के खिलाफ बंसल की पहल

पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने हाल ही में चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने बिजली निजीकरण को रोकने की मांग की थी। बंसल ने कर्मचारियों के पक्ष में खुलकर समर्थन जताया है और बिजली निजीकरण को शहर के लिए नुकसानकारी बताया है। उनके बेटे मनीष बंसल ने भी बिजली निजीकरण के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई की है और उन्होंने कर्मचारियों और निवासियों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन किया।

शुक्रवार को बापू धाम में एक मोमबत्ती मार्च का आयोजन किया गया, जबकि रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लकी के नेतृत्व में एक और विरोध प्रदर्शन हुआ। इन दोनों प्रदर्शनों के दौरान, दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच दूरी देखने को मिली, जो कि पार्टी में बढ़ती गुटबाजी का संकेत है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी ताकत दिखाने के लिए अलग-अलग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

आने वाले दिनों में संघर्ष के बढ़ने की आशंका

इन दोनों प्रदर्शनों में बंसल और लकी गुट के कार्यकर्ता एक-दूसरे से अलग रहते हुए दिखाई दिए, जिससे यह स्पष्ट है कि दोनों गुटों के बीच राजनीतिक मतभेद गहरे हो चुके हैं। बंसल के सक्रिय होने के बाद लकी गुट के समर्थक भी सक्रिय हो गए हैं, और इस स्थिति में दोनों गुटों के बीच संघर्ष के बढ़ने की संभावना है। यह संघर्ष पार्टी के भीतर और भी जटिल हो सकता है, जिससे भविष्य में चुनावों में पार्टी की स्थिति प्रभावित हो सकती है।

बंसल और मनीष तिवारी के बीच दरार

यह कोई नया मामला नहीं है, क्योंकि जब उच्च कमान ने बंसल का टिकट काटकर मनीष तिवारी को लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया, तब से दोनों के बीच तनाव बढ़ गया। बंसल गुट मनीष तिवारी को टिकट मिलने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लकी को जिम्मेदार ठहराता है। इस दौरान बंसल ने मनीष तिवारी के लिए प्रचार नहीं किया और उनका विरोध किया, जिससे दोनों के बीच संबंधों में और दरार आई। बंसल गुट आगामी नगर निगम चुनावों में अधिक से अधिक टिकट हासिल करने की योजना बना रहा है, ताकि अपने समर्थकों को सत्ता में हिस्सेदारी मिल सके।

पवन कुमार बंसल अपने बेटे की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सक्रिय

पवन कुमार बंसल ने अपनी राजनीतिक सक्रियता का एक नया अध्याय शुरू किया है। उन्होंने अपने बेटे मनीष बंसल को पंजाब विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था, और अब वह चाहते हैं कि मनीष चंडीगढ़ में भी अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करें। बंसल गुट के समर्थक मनीष बंसल को अपना नेता मानते हैं और उनकी गतिविधियों में बढ़ोतरी करने की योजना बना रहे हैं। यह स्थिति पार्टी में और भी गहराती हुई गुटबाजी को जन्म दे सकती है, जो कांग्रेस के लिए मुश्किलों का कारण बन सकती है।

लोकसभा चुनावों के बाद बंसल समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई

लोकसभा चुनाव के बाद, बंसल के समर्थकों को पार्टी से बाहर कर दिया गया। कांग्रेस अध्यक्ष ने बंसल गुट के पांच वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया, जिनमें दीपा दुबे, हाजीफ अनवर उल हक, रवि ठाकुर, अभिषेक शर्मा और साहिल दुबे शामिल थे। इसके अलावा, अन्य पांच नेताओं को उनके पदों से हटा दिया गया, जिनमें पूर्व मेयर हरफूल चंद कल्याण, हाकम सरहदी, विनोद शर्मा, सतिश काइंथ और मनोज गर्ग शामिल थे। अब यह नेता लकी गुट के खिलाफ सक्रिय हो गए हैं और पार्टी में अपने समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।

आंतरिक संघर्ष का भविष्य

कांग्रेस पार्टी में आंतरिक संघर्ष की स्थिति बनी हुई है, और बंसल गुट के समर्थक लकी गुट के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए तैयार हैं। हालांकि, इन नेताओं ने किसी अन्य पार्टी में शामिल होने का फैसला नहीं लिया है, लेकिन उनकी गतिविधियां कांग्रेस पार्टी के भीतर और भी अस्थिरता उत्पन्न कर सकती हैं। बंसल गुट की रणनीति अब पार्टी के भीतर अपनी स्थिति को मजबूत करने पर केंद्रित है, और वह नगर निगम चुनावों में अधिक से अधिक टिकट हासिल करने के लिए प्रयासरत हैं।

इस संघर्ष के परिणामस्वरूप कांग्रेस पार्टी में नई आंतरिक गुटबाजी और तनाव बढ़ने की संभावना है, जो पार्टी के भविष्य के लिए एक चुनौती बन सकती है। इन मुद्दों का समाधान जल्द से जल्द होना जरूरी है, ताकि पार्टी के भीतर की राजनीति और नेतृत्व के संकट से निपटा जा सके।

कांग्रेस में गहराता विवाद और गुटबाजी न केवल पार्टी की छवि को प्रभावित कर रहा है, बल्कि आगामी चुनावों में पार्टी की रणनीति और सफलता पर भी प्रश्न चिह्न लगा रहा है। पवन कुमार बंसल और उनके समर्थक इस समय कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकते हैं, क्योंकि वे अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सक्रिय हो गए हैं। पार्टी के भीतर आंतरिक संघर्ष और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, यह समय है कि कांग्रेस नेतृत्व अपनी स्थिति स्पष्ट करे और पार्टी को एकजुट करने के प्रयास करे, ताकि भविष्य में पार्टी को चुनावी सफलता मिल सके।

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