Punjab news: पंजाब में बड़े घटनाक्रम और राजनीतिक बदलाव
Punjab news: पंजाब में वर्ष 2024 कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह बना। इस साल ने न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण घटनाओं को देखा, बल्कि किसानों की लड़ाई और आतंकवादी हमलों जैसी घटनाओं ने राज्य को झकझोर दिया। इस लेख में हम पंजाब की कुछ प्रमुख घटनाओं, उनके राजनीतिक प्रभाव और सामाजिक परिवर्तनों पर चर्चा करेंगे।
1. किसान आंदोलन 2.0
किसान आंदोलन 2.0 ने पंजाब में फरवरी 2024 में शंभू बॉर्डर से शुरुआत की थी, जो 13 फरवरी को पटियाला के शंभू बॉर्डर पर किसानों द्वारा किया गया। किसानों ने इस आंदोलन के माध्यम से MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को कानूनी रूप से सुनिश्चित करने और कर्ज माफी जैसी मांगें रखी थीं। यह आंदोलन लगभग 11 महीने तक चला। इस दौरान किसानों और हरियाणा पुलिस के बीच कई झड़पें हुईं, जिनमें एक युवक की मौत भी हो गई।
पंजाब और केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना पड़ा और किसानों की मांगों को लेकर कई बार टिप्पणियाँ भी की गईं। दिसंबर में किसानों ने शंभू बॉर्डर से दिल्ली मार्च की योजना बनाई, जिसमें हरियाणा पुलिस ने पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले फेंके, लेकिन किसान अपनी मांगों पर अडिग रहे। शीतलहर के बावजूद किसान अपनी जगह पर डटे रहे और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे बॉर्डर से नहीं हटेंगे।
2. सुखबीर बादल पर आतंकवादी हमला
दिसंबर 4, 2024 को शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक आतंकवादी हमला हुआ। सुखबीर बादल को उस समय निशाना बनाया गया जब वे धार्मिक सजा लेने के लिए श्री हरमंदिर साहिब गए थे। इस हमले का आरोपी नरेन सिंह चौरा था, जो बाबर खालसा इंटरनेशनल से जुड़ा हुआ था। नरेन सिंह चौरा पहले पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था और भारत में कई मामलों में आरोपी था। इस हमले ने पंजाब में सुरक्षा की स्थिति को लेकर सवाल उठाए।
3. पंजाब चुनाव और राजनीतिक धारा
2024 पंजाब के लिए चुनावी वर्ष था। सबसे पहले जून महीने में लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें आम आदमी पार्टी (AAP) ने 13 सीटों में से सिर्फ 3 सीटें जीतीं। वहीं, कांग्रेस ने 7 सीटें जीतकर अपना दबदबा बनाए रखा। यह परिणाम AAP के लिए एक झटका था। इसके बाद, उपचुनावों में AAP ने अपनी खोई हुई ताकत को फिर से हासिल किया और जालंधर, गिद्दरबाहा, डेरा बाबा नानक और चब्बेवाल जैसे विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि, पार्टी को बरनाला सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस के लिए भी यह साल मिश्रित रहा, जहां उसने अपनी कुछ सीटें खो दीं, वहीं कुछ जगहों पर मजबूती से वापसी की। भाजपा और SAD को इन चुनावों में निराशाजनक परिणाम मिले, जिससे SAD ने उपचुनावों से अपने आप को अलग कर लिया। इन परिणामों ने सभी राजनीतिक दलों को 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया।
4. सिख पंथ से जुड़ी गल्तियां और अकाली दल
2024 में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और उनके मंत्रियों को श्री अकाल तख्त साहिब से धार्मिक सजा दी गई, क्योंकि उन पर पंथिक गलतियां करने का आरोप था। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से “पंथ रत्न फक्र-ए-कौम” का सम्मान भी वापस ले लिया गया। इस फैसले ने अकाली दल की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित किया और पार्टी के भीतर आंतरिक सुधारों की जरूरत को भी उजागर किया।
5. पंजाबी साहित्य जगत की क्षति: डॉ. सूरत पटार का निधन
पंजाबी साहित्य में 2024 में एक गहरी क्षति हुई, जब प्रसिद्ध कवि, लेखक और पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार डॉ. सुरजीत पटार का निधन हुआ। उनकी कविताएं और लेख हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे और समाज को मार्गदर्शन देते रहेंगे। उनका निधन 11 मई 2024 को हुआ और उनके अंतिम संस्कार में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। उनका साहित्यिक योगदान पंजाब और पूरे भारत में हमेशा याद रखा जाएगा।
6. बुद्धा दरिया के पुनर्जीवन के लिए पर्यावरणवादियों का आंदोलन
पंजाब में बुद्धा दरिया के प्रदूषण को लेकर लगातार चिंता जताई जा रही थी। यह नदी राज्य और राजस्थान में बीमारियों का प्रमुख कारण मानी जाती है। हालांकि, पंजाब सरकार ने नदी के पुनर्जीवन के लिए 650 करोड़ रुपये के बजट से परियोजना शुरू की, लेकिन स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया। इस बीच, काला पानी मोर्चा नामक पर्यावरणवादी संगठन ने इस नदी के पुनर्जीवन के लिए आंदोलन तेज किया। 3 दिसंबर को हजारों पर्यावरण प्रेमियों ने नदी में गिरने वाले गंदे पानी को रोकने के लिए एक बड़ा प्रदर्शन किया।
7. BSF द्वारा ISI के मंसूबों को नाकाम करना
पंजाब में BSF ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और पाकिस्तान से आने वाले नशे और हथियारों की तस्करी के खिलाफ कड़ा कदम उठाया। BSF ने 2024 में 290 ड्रोन को नष्ट किया और 300 किलोग्राम से अधिक हेरोइन और नशीले पदार्थों की बरामदगी की। इसके अलावा, 97 तस्करों को गिरफ्तार किया गया और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया गया।
2024 पंजाब के लिए एक ऐसा साल रहा जिसमें न केवल राजनीतिक घटनाएं घटित हुईं, बल्कि सामाजिक और सुरक्षा से जुड़ी भी कई चुनौतियों का सामना किया गया। इस साल ने पंजाब को एक नई दिशा दी, जहां राजनीतिक दलों को अपनी ताकत का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता महसूस हुई और राज्य की सुरक्षा, किसानों के आंदोलन और सिख पंथ से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने की दिशा में भी काम हुआ। 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में सभी दल अब और भी सतर्क हैं।