Punjab news: पंजाब सरकार को दिया गया समय, 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होगी डल्लेवाल के मामले की सुनवाई
Punjab news: किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को अपना आदेश पालन करने के लिए समय दिया है। यह आदेश डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के संदर्भ में था, जिसे पंजाब सरकार को 20 दिसंबर तक पूरा करना था। डल्लेवाल पिछले 26 नवम्बर से अनशन पर बैठे हैं और उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की इस मामले में देरी को लेकर सख्त रुख अपनाया था और आदेश दिया था कि डल्लेवाल को अस्पताल भेजा जाए। अब पंजाब सरकार को इस मामले में 2 जनवरी तक सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और पंजाब सरकार की स्थिति
सुप्रीम कोर्ट की vacation bench, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्याकांत और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया शामिल थे, ने इस मामले की अगली सुनवाई 2 जनवरी को तय की है। इससे पहले, मंगलवार को अदालत ने पंजाब सरकार को यह समय दिया कि वह डल्लेवाल को अस्पताल भेजने के अपने आदेश का पालन करे। पंजाब सरकार के मुख्य वकील, गुरमिंदर सिंह ने कोर्ट में कहा कि सरकार ने इस मामले में तीन दिन का और समय मांगा है ताकि वह अपने आदेश को लागू कर सके।
गुरमिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि पंजाब सरकार की एक प्रतिनिधि टीम किसानों के साथ बातचीत कर रही है, जो खनौरी सीमा पर विरोध कर रहे हैं, और उनका प्रयास है कि डल्लेवाल को खनौरी सीमा के पास एक अस्थायी अस्पताल में भर्ती किया जाए।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी और सरकार की स्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की ओर से डल्लेवाल को अस्पताल भेजने में हो रही देरी पर कड़ी टिप्पणी की थी। 28 दिसंबर को अदालत ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि उसने अब तक डल्लेवाल को अस्पताल क्यों नहीं भेजा। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी संदेह जताया था कि जो किसान नेता डल्लेवाल के स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा सहायता का विरोध कर रहे हैं, उनकी मंशा पर सवाल उठ रहे थे। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह मामला केवल चिकित्सा सहायता का था, और इसे राजनीतिक विवाद से बाहर रखा जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार से यह भी पूछा था कि वे डल्लेवाल को अस्पताल क्यों नहीं भेज पा रहे हैं और इसके पीछे के कारण क्या हैं। हालांकि, सरकार ने कहा कि वह किसान नेताओं के साथ बातचीत कर रही है और कोशिश की जा रही है कि डल्लेवाल को किसी तरह से अस्पताल भेजा जा सके।
किसान आंदोलन और डल्लेवाल की अनशन की वजह
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 26 नवंबर से अनशन शुरू किया था, जिसका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार से कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग करना था। डल्लेवाल और उनके साथ अन्य किसान नेताओं ने यह आंदोलन शुरू किया था ताकि किसानों को उनकी फसल के उचित मूल्य की गारंटी मिल सके।
यह आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukta Kisan Morcha) और किसान मजदूर मोर्चा (Kisan Mazdoor Morcha) द्वारा चलाया जा रहा है, जो एक गैर-राजनीतिक संगठन है। इन संगठनों ने फरवरी 13 से पंजाब और हरियाणा की सीमा पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाल रखा है। इस आंदोलन के दौरान, किसानों ने दिल्ली की ओर मार्च करने की भी कई बार कोशिश की, लेकिन उन्हें रोक दिया गया।
किसान नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने उनके साथ की गई पिछली सहमति का पालन नहीं किया और उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। इसके बाद, डल्लेवाल और उनके साथी किसान नेताओं ने MSP की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर संघर्ष तेज किया।
राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में मामला
किसान आंदोलन का यह मामला केवल एक कृषि मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है। पंजाब में किसानों का एक बड़ा वर्ग इस आंदोलन से जुड़ा हुआ है, और उनकी चिंता केवल कृषि मूल्य निर्धारण से संबंधित नहीं है, बल्कि वे यह चाहते हैं कि सरकार किसानों की मेहनत का उचित मूल्य दे और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करे।
दूसरी ओर, पंजाब सरकार ने इस मामले में बार-बार यह कहा है कि वे किसानों के साथ संवाद बनाए हुए हैं और उनके हितों का ख्याल रख रहे हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और किसानों के विरोध ने यह संकेत दिया है कि सरकार को इस मुद्दे पर और सक्रिय होने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का महत्व
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश केवल डल्लेवाल के स्वास्थ्य के संबंध में नहीं है, बल्कि यह भी एक संकेत है कि अदालत किसानों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के प्रति गंभीर है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसान नेताओं के स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा सहायता की आपूर्ति को राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए।
यह आदेश पंजाब सरकार के लिए एक चुनौती है, क्योंकि इसे न केवल डल्लेवाल को अस्पताल भेजने का तरीका खोजना है, बल्कि इस मामले को लेकर सरकार की नीयत को भी सही साबित करना है।
पंजाब में किसानों का आंदोलन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। डल्लेवाल का अनशन और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट का आदेश, यह दर्शाता है कि किसानों की समस्याएं केवल कृषि से जुड़ी नहीं हैं, बल्कि ये सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं को भी प्रभावित कर रही हैं। अब 2 जनवरी को होने वाली सुनवाई यह तय करेगी कि पंजाब सरकार इस मामले में अपने आदेशों का पालन करती है या नहीं। किसानों के अधिकारों के लिए यह संघर्ष एक नई दिशा ले सकता है, और इसके परिणाम राज्य और देश की राजनीति पर गहरा असर डाल सकते हैं।