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Punjab: पंजाब में मेडिकल प्रवेश के लिए रिश्तेदारों को NRI कोटे का नहीं मिलेगा लाभ, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Punjab: पंजाब सरकार को एनआरआई (गैर-निवासी भारतीय) कोटे से संबंधित मेडिकल प्रवेश में एक बड़ा झटका लगा है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की अपील को खारिज कर दिया और पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि चिकित्सा क्षेत्र में इस तरह के धोखाधड़ी को समाप्त करना चाहिए। इस लेख में, हम इस निर्णय के पीछे की प्रक्रिया, उसके प्रभाव और इसके भविष्य के निहितार्थों पर चर्चा करेंगे।

NRI कोटे में रिश्तेदारों को स्थान

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 10 सितंबर को उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने एनआरआई कोटे की सीमा को बढ़ा दिया था। इस आदेश के अनुसार, अब दूर के रिश्तेदारों जैसे चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई-बहनों को भी एनआरआई कोटे के तहत प्रवेश मिलने का प्रावधान था। इस कोटे के तहत मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए 15 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्णय

सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने कहा कि यह प्रणाली केवल धन कमाने की मशीन बन गई है। बेंच ने यह भी कहा कि वे सभी ऐसे आवेदनों को खारिज करेंगे। न्यायालय ने कहा कि एनआरआई का यह व्यवसाय केवल एक धोखाधड़ी है। उच्च न्यायालय के निर्णय को सही ठहराते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके दुष्परिणामों को देखिए, जिनमें यह भी शामिल है कि जो उम्मीदवार तीन गुना अधिक अंक प्राप्त करते हैं, वे एनईईटी-यूजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश खो देंगे।

मेरिट पर आधारित प्रवेश प्रणाली

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे दूर के रिश्तेदार, जैसे मामा, ताई और ताया जो विदेश में बसे हुए हैं, उन्हें मेरिट वाले उम्मीदवारों से पहले प्रवेश नहीं मिलना चाहिए। यह निर्णय न केवल चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह यह भी सुनिश्चित करता है कि योग्य और मेहनती छात्रों को उनकी मेहनत के अनुसार अवसर मिले।

सरकार का चेहरा

इस निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि पंजाब सरकार को चिकित्सा शिक्षा में एनआरआई कोटे का लाभ देने के लिए रिश्वतखोरी और पारिवारिक संबंधों के आधार पर प्रवेश देने की योजना पर पुनर्विचार करना होगा। उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रणाली भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है और योग्य छात्रों के साथ अन्याय करती है।

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भविष्य की चुनौतियाँ

अब, पंजाब सरकार को इस निर्णय के बाद एक नई रणनीति बनाने की आवश्यकता है। उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि मेडिकल प्रवेश प्रणाली को पारदर्शी और मेरिटोक्त रखा जाए। इसके अलावा, यह जरूरी है कि राज्य सरकार छात्रावासों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए आवश्यक उपाय करे।

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