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Punjab Pollution: पंजाब में प्रदूषण और सर्दी से बच्चे हो रहे बीमार, श्वसन रोगियों की संख्या 5 गुना बढ़ी, कैसे करें बचाव?

Punjab Pollution: पिछले ग्यारह दिनों से प्रदूषण और धुंध का मिश्रण, जो जहरीली स्मॉग का रूप ले चुका है, शहर को घेर चुका है। साथ ही, पिछले तीन दिनों से सर्दी भी बढ़ी है। इस दौरान बच्चों की तबियत बिगड़ रही है, क्योंकि वे अत्यधिक प्रदूषण और ठंड के संपर्क में आ रहे हैं।

बच्चों में श्वसन संक्रमण की समस्या बढ़ी

बच्चों में गंभीर श्वसन संक्रमण की समस्या बढ़ गई है। वे खांसी, जुकाम, नाक बंद होना, बहती नाक, और छाती में संक्रमण के कारण बुखार जैसी शिकायतें कर रहे हैं। यदि इनका समय रहते इलाज न किया जाए, तो बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है।

सिर्फ एक हफ्ते में 5 गुना बढ़ी संख्या

पिछले हफ्ते तक, जहां डॉक्टर के पास बच्चों के लिए दिन में दस से बारह मरीज आते थे, वहीं अब डीयएमसी अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 60 से 70 मरीज आने लगे हैं। कुल मिलाकर, अब अस्पताल में 200 से 300 बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। यह संख्या पिछले कुछ दिनों में पांच गुना बढ़ चुकी है।

Punjab Pollution: पंजाब में प्रदूषण और सर्दी से बच्चे हो रहे बीमार, श्वसन रोगियों की संख्या 5 गुना बढ़ी, कैसे करें बचाव?

बच्चों के लिए प्रदूषण और सर्दी का खतरा ज्यादा

डॉ. करमबीर सिंह गिल, असिस्टेंट प्रोफेसर और अस्थमा व एलर्जी विशेषज्ञ, दिनानंद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने बताया कि बच्चों का शरीर प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होता है। ऐसे में प्रदूषित हवा को श्वास के द्वारा अंदर लेने से वे श्वसन संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा, बच्चों की इम्यून सिस्टम भी वयस्कों से कमजोर होती है, जिससे वे वायरस, बैक्टीरिया और अन्य संक्रमणों के शिकार होने का खतरा अधिक होता है।

पिछले दस दिनों में प्रदूषण में भारी बढ़ोतरी

पिछले दस दिनों से प्रदूषण स्तर में भारी बढ़ोतरी हो गई है। साथ ही, ठंड भी अचानक बढ़ी है, जिससे वायरल संक्रमण भी बढ़े हैं। इन तीनों कारकों का असर बच्चों पर विशेष रूप से स्कूल जाने वाले बच्चों पर पड़ रहा है, क्योंकि वे लंबे समय तक घर से बाहर रहते हैं। जिन बच्चों को पहले से अस्थमा और एलर्जी की समस्या थी, उनके लिए यह मौसम और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।

केमिस्ट से दवा लेना नहीं है सही तरीका

डॉ. गिल ने यह भी बताया कि एक और चिंता का विषय यह है कि जब बच्चों को खांसी, जुकाम या नाक बंद होने जैसी समस्याएं होती हैं, तो कई माता-पिता केमिस्ट से दवाइयां खरीद कर बच्चों को घर पर ही इलाज करने की कोशिश करते हैं। वे यह नहीं समझ पाते कि केमिस्ट को डॉक्टर की जगह नहीं लिया जा सकता। केमिस्ट को यह नहीं पता होता कि किसी खास उम्र के बच्चे को कितनी दवा दी जानी चाहिए।

समय पर डॉक्टर से इलाज लें

डॉ. करमबीर के अनुसार, अधिकांश माता-पिता तब डॉक्टर के पास जाते हैं जब बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है। वे कहते हैं कि जब बच्चों की छाती में आवाज आने लगती है, बच्चे खाना पीना बंद कर देते हैं या बुखार बहुत बढ़ जाता है, तब ही इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं। यह गलत है क्योंकि ज्यादातर बच्चों को ओपीडी इलाज से ठीक किया जा सकता है।

बच्चों को प्रदूषण से बचाने के उपाय

यदि आपके बच्चे को खांसी, जुकाम या किसी भी स्वास्थ्य समस्या का सामना हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

  • अगर आपका बच्चा एक साल से कम उम्र का है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
  • स्कूल जाने वाले बच्चों को खांसी, जुकाम या वायरल संक्रमण होने पर स्कूल न भेजें।
  • घर में बच्चों को अधिक से अधिक तरल पदार्थ दें, विशेष रूप से अगर वे स्तनपान कर रहे हैं, तो उन्हें जारी रखें।
  • छोटे बच्चों को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न ले जाएं। अगर मां को खांसी और जुकाम है तो मास्क पहनकर बच्चे को दूध पिलाएं।
  • अस्थमा और एलर्जी से पीड़ित बच्चों को अपने इनहेलर का उपयोग जारी रखना चाहिए, ताकि ठंडी हवा और प्रदूषण के कारण कोई संकट न आए।
  • प्रदूषण बढ़ने पर छोटे बच्चों को घर से बाहर न भेजें, और जिन बच्चों को स्कूल भेजना जरूरी हो, उन्हें कपड़े का मास्क पहनाकर भेजें।

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में लगातार गिरावट

रविवार को जिले का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) औसत 260 और अधिकतम 352 तक पहुंच गया, जो अत्यधिक खराब श्रेणी में आता है। पिछले छह दिनों से AQI 300 से ऊपर बना हुआ है। 16 नवंबर को यह 434 तक पहुंच गया था, लेकिन 17 नवंबर को यह 82 अंक गिरकर 352 पर आ गया। इसके बावजूद, शहर की हवा में जहरीला धुंआ बरकरार है और इस प्रदूषण से राहत केवल बारिश के बाद ही मिल सकती है।

प्रदूषण और सर्दी से बच्चों की तबियत बिगड़ने की समस्या पंजाब में गंभीर हो गई है। यदि बच्चों को समय पर सही इलाज न मिले, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें और किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही, प्रदूषण और सर्दी से बचाव के लिए उचित कदम उठाए जाएं ताकि बच्चों को स्वस्थ रखा जा सके।

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