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Quantum Key Distribution: आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम, भारतीय सेना को मिलेगी क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन तकनीक

Quantum Key Distribution: आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत, भारतीय सेना ने सोमवार को ‘इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस’ (आईडीईएक्स) के माध्यम से आठ नए अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, क्वांटम कुंजी वितरण (Quantum Key Distribution) के लिए 200 किलोमीटर की सिंगल हॉप तकनीक का प्रस्ताव क्वून लैब्स द्वारा आईडीईएक्स के ओपन चैलेंज 2.0 के तहत प्रस्तुत किया गया था।

क्वून लैब्स के साथ अनुबंधों पर हस्ताक्षर

इस तकनीक के माध्यम से भारतीय सेना के मौजूदा एन्क्रिप्शन सिस्टम की जगह क्वांटम कुंजी वितरण प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे सुरक्षा और मजबूत होगी। सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनसी राजा सुब्रमणि की उपस्थिति में यह अनुबंध नई दिल्ली में क्वून लैब्स के साथ जनरेशन ऑफ क्वांटम सिक्योर की (Quantum Key Distribution) के लिए हस्ताक्षरित किया गया।

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सुरक्षा में बड़ा सुधार

यह तकनीक, जो वर्तमान में एल्गोरिदम-आधारित एन्क्रिप्शन सिस्टम की जगह लेगी, भारतीय सेना की सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करेगी। क्वांटम कुंजी वितरण तकनीक (QKD) एल्गोरिदम आधारित प्रणाली की अपेक्षा कहीं अधिक सुरक्षित और अटूट मानी जाती है। क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन के माध्यम से भेजी गई जानकारी को किसी भी बाहरी हस्तक्षेप या हैकिंग से बचाया जा सकता है। इस तकनीक को आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत विकसित किया गया है, जिससे देश की सुरक्षा प्रणाली को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाया जा सकेगा।

आईडीईएक्स की शुरुआत

आईडीईएक्स की शुरुआत 12 अप्रैल 2018 को डिफेंस एक्सपो इंडिया 2018 के दौरान की गई थी। इसका उद्देश्य रक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना और एमएसएमई, स्टार्टअप्स और नवाचारकर्ताओं सहित अनुसंधान और विकास संस्थानों, शिक्षा क्षेत्र और उद्योगों को इसमें शामिल करना है। आईडीईएक्स के माध्यम से, रक्षा और सुरक्षा से जुड़े नवाचारों को प्रोत्साहन दिया जाता है ताकि देश के सुरक्षा तंत्र को आधुनिक और सुदृढ़ बनाया जा सके।

क्वांटम तकनीक का महत्व

क्वांटम कुंजी वितरण तकनीक वर्तमान समय में दुनिया के सबसे सुरक्षित एन्क्रिप्शन तकनीकों में से एक है। यह तकनीक विशेष रूप से सूचना को सुरक्षित रखने के लिए विकसित की गई है। क्वांटम तकनीक में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप का पता चल जाता है, जिससे डेटा की सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की चिंता नहीं होती। यह प्रणाली किसी भी छेड़छाड़ की कोशिश को तत्काल पहचान लेती है, जिससे जानकारी को चोरी होने से रोका जा सकता है।

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भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता

क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन तकनीक का भारतीय सेना में समावेश, भारत की तकनीकी क्षमता में एक बड़ा उन्नयन है। यह न केवल भारतीय सेना की सुरक्षा तंत्र को और अधिक सुरक्षित बनाएगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में भी अपने आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

भविष्य की ओर कदम

क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन तकनीक के साथ, भारतीय सेना न केवल अपनी संचार सुरक्षा को बेहतर बनाएगी बल्कि वैश्विक स्तर पर भी खुद को एक तकनीकी शक्ति के रूप में प्रस्तुत करेगी। यह तकनीक भविष्य के युद्धों और साइबर हमलों के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा दीवार का काम करेगी। इस तकनीक के सफलतापूर्वक लागू होने से भारतीय सेना की सुरक्षा प्रणाली अन्य देशों की सेनाओं के मुकाबले और भी अधिक सुरक्षित और उन्नत हो जाएगी।

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