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चिराग पासवान की चुप्पी पर उठ रहे सवाल, नीतीश की एनडीए में वापसी से हैं नाराज

Questions are being raised on Chirag Paswan’s silence, he is angry with Nitish’s return to NDA

सत्य खबर/नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान के भविष्य के कदम को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा अभी तक तय नहीं हुआ है और चिराग पासवान ने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है. जानकार सूत्रों का कहना है कि एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी से चिराग नाराज हैं. उनका मानना है कि नीतीश की वजह से उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठकों से उनकी दूरी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि अगर सीट बंटवारे को लेकर उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई तो वह अकेले ही लोकसभा के सियासी रण में कूदने का फैसला कर सकते हैं. चिराग और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच तकरार अभी खत्म नहीं हुई है और बीजेपी भी इसे लेकर असमंजस में फंसती नजर आ रही है.

पीएम मोदी की जनसभाओं से चिराग की दूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 2 मार्च को औरंगाबाद और बेगुसराय में सार्वजनिक बैठकें की थीं। इन बैठकों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और हम प्रमुख जीतन राम मांझी और अन्य एनडीए नेता मौजूद थे, लेकिन चिराग पासवान ने दोनों सार्वजनिक बैठकों से दूरी बनाए रखी। अब प्रधानमंत्री मोदी 6 मार्च को एक जनसभा के लिए बेतिया पहुंचने वाले हैं और चिराग के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह इस जनसभा में भी शामिल नहीं होंगे.

चिराग पासवान के इस कदम को उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है. एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी से बिहार के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं और इसी बात को लेकर चिराग पासवान नाराज बताए जा रहे हैं. उनका मानना है कि नीतीश की वापसी के बाद उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है.

इसलिए सीट बंटवारे का मामला उलझ गया

जानकारों के मुताबिक 2019 के फॉर्मूले की तरह इस बार भी चिराग पासवान बिहार में छह लोकसभा सीटों की मांग कर रहे हैं. बीजेपी के लिए यह मांग पूरी करना मुश्किल माना जा रहा है क्योंकि एलजेपी में टूट के बाद पार्टी के पांच सांसद पशुपति पारस के साथ चले गए थे और चिराग पासवान अकेले रह गए थे. इससे एलजेपी को दी जाने वाली सीटों का मामला जटिल हो गया है.

चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों की ओर से 6-6 सीटों की मांग की गई है और इस मांग को पूरा करना मुश्किल है.

सूत्रों का कहना है कि बीजेपी दोनों गुटों को मिलाकर 6 सीटें दे सकती है लेकिन दोनों गुटों का एकजुट होना मुश्किल माना जा रहा है. दरअसल, नीतीश कुमार के साथ-साथ जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा भी एनडीए में आ गए हैं, जिससे सीट शेयरिंग का मामला उलझ गया है.

हाजीपुर सीट पर चाचा-भतीजा में टकराव

राम विलास पासवान की विरासत मानी जाने वाली हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर चाचा-भतीजे के बीच खींचतान चल रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस ने इस लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी और इस बार भी वह इस सीट पर दावा कर रहे हैं. वहीं, चिराग पासवान इसे अपने पिता की पारंपरिक सीट बताते हुए इसे छोड़ने को तैयार नहीं हैं. इसे लेकर चाचा-भतीजे के बीच तीखी नोकझोंक हुई है।

अब नजरें चिराग के अगले कदम पर हैं

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर चिराग पासवान की बात नहीं बनी तो उनके पास दो ही विकल्प बचेंगे-महागठबंधन में शामिल होना और अकेले चुनाव लड़ना. अगर चिराग पासवान विपक्षी महागठबंधन में शामिल होने का कदम नहीं उठाते हैं तो ऐसी स्थिति में वह अकेले ही लोकसभा चुनाव के सियासी रण में कूद सकते हैं.

अगर बीजेपी और जेडीयू दोनों पार्टियां 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला करती हैं तो चिराग पासवान जेडीयू और कुछ अन्य सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला कर सकते हैं. ऐसी सीटों की संख्या 23 तक हो सकती है.

2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी चिराग पासवान ने जेडीयू की सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर नीतीश कुमार को बड़ा झटका दिया था. चिराग के उम्मीदवारों के कारण कई सीटों पर जेडीयू उम्मीदवारों की हार हुई. हालांकि, उस वक्त चिराग पासवान भी अपनी ताकत दिखाने में कामयाब नहीं हो पाए थे और उन्हें सिर्फ एक सीट ही मिली थी. ऐसे में अब सबकी नजरें चिराग पासवान के अगले कदम पर हैं.

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