सत्य खबर/ नई दिल्ली:
देश के तीन अन्य राज्यों के साथ-साथ राजस्थान की सियासी तस्वीर भी आज साफ हो जाएगी. राजस्थान में रीति-नीति बदलती है या नियम, इस पर सबकी निगाहें हैं. राजस्थान में पिछले चुनाव की तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है, लेकिन ज्यादातर एग्जिट पोल में बीजेपी को मजबूत स्थिति में माना जा रहा है. ऐसे में अब सभी की निगाहें चुनाव नतीजों पर टिकी हैं.
नतीजे को लेकर दोनों पार्टियों की ओर से अलग-अलग स्तर पर तैयारियां की गई हैं. त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में दोनों पार्टियों ने मोर्चाबंदी का प्लान तैयार कर लिया है. कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पिछले दो-तीन दिनों से काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं. दोनों पार्टियों ने निर्दलीय और बागी उम्मीदवारों पर भी नजर रखी है और उनसे संपर्क करने की कोशिश की है.
बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों को उम्मीद है
हालांकि ज्यादातर एग्जिट पोल में बीजेपी को मजबूत स्थिति में दिखाया गया है, लेकिन कांग्रेस अभी भी हतोत्साहित नहीं है. कांग्रेस प्रत्याशियों से संपर्क स्थापित करने और फीडबैक लेने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शनिवार देर रात तक सक्रिय रहे. वहीं, बीजेपी नेताओं को इस बार जीत का पूरा भरोसा है. उनका मानना है कि एग्जिट पोल के नतीजे हकीकत में बदलेंगे और पार्टी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब होगी.
निर्दलीय और बागी उम्मीदवारों की मांग बढ़ी
इस बार विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने कई समर्थकों को टिकट दिलाने में असफल रहे. वसुंधरा के 11 और गहलोत के करीब सात समर्थकों के टिकट काट दिए गए. इनमें से अधिकतर नेता चुनावी मैदान में कूद चुके हैं और कई विधानसभा क्षेत्रों में उनकी स्थिति मजबूत मानी जा रही है.
दोनों दलों के नेताओं की नजर भी इन बागी प्रत्याशियों पर टिकी है. एक बात तो तय मानी जा रही है कि दोनों पार्टियों के बीच बेहद करीबी मुकाबला होने की स्थिति में बागी और निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका काफी अहम हो जाएगी. इस कारण इन उम्मीदवारों का महत्व काफी बढ़ गया है.
फेंसिंग का प्लान बनाएं, प्लेन भी बुक करें
राजस्थान में भले ही दोनों पार्टियां बहुमत हासिल करने का दावा कर रही हैं, लेकिन दोनों पार्टियों ने प्लान बी भी तैयार कर लिया है. राज्य में त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में बाड़ेबंदी का भी प्लान तैयार किया गया है. दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि विमान और हेलीकॉप्टर भी बुक किए गए हैं. राजनीतिक संकट की स्थिति में इनके जरिए विधायकों को दूसरी जगह भेजा जा सकता है.
कांग्रेस ने चुनाव जीते सभी विधायकों को सोमवार शाम तक जयपुर पहुंचने का निर्देश दिया है. पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी जयपुर में डेरा डाल दिया है. माना जा रहा है कि बीजेपी विधायकों के बीच तोड़फोड़ की स्थिति से बचने के लिए पार्टी ने पूरी रणनीति तैयार कर ली है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मतदान खत्म होने के बाद से ही सक्रिय हैं. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशियों से संपर्क स्थापित कर नतीजों के संबंध में फीडबैक लिया है. इसके साथ ही उन्होंने कई इलाकों में निर्दलीय और मजबूत बागी उम्मीदवारों से भी संपर्क किया है.
वसुंधरा राजे की सक्रियता बढ़ी
वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बीजेपी में सक्रियता से सियासी पारा चढ़ रहा है. संघ नेताओं से सलाह मशविरा करने के साथ ही वसुंधरा ने राज्यपाल कलराज मिश्र से भी मुलाकात की. जानकारों का मानना है कि इसके जरिए वसुंधरा ने अपनी मजबूत दावेदारी का संदेश देने की कोशिश की है. राजस्थान में इस बार बीजेपी की ओर से किसी भी नेता को सीएम चेहरा घोषित नहीं किया गया है और पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और काम के आधार पर चुनाव लड़ा है.
बीजेपी में सियासी जोड़-तोड़ तेज हो गई है
इस कारण अगर बीजेपी चुनाव जीतती है तो राजनीतिक जोड़-तोड़ तेज होने की उम्मीद है. पार्टी में सीएम पद के अन्य दावेदारों में सांसद बालकनाथ और जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी का नाम भी लिया जा रहा है. सांसद बालक नाथ ने तिजारा विधानसभा सीट से जबकि दीया कुमारी ने विद्याधरनगर से चुनाव लड़ा है.
एक एजेंसी द्वारा कराए गए सर्वे में बड़ी संख्या में लोगों ने बालकनाथ को भावी सीएम के तौर पर पसंद किया है. ऐसे में बीजेपी की जीत की स्थिति में बालकनाथ भी प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.