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कर्नाटक सरकार को झटका, विधान परिषद में अटका मंदिरों पर टैक्स लगाने का विधेयक

सत्य खबर/ नई दिल्ली:

कर्नाटक में मंदिरों पर टैक्स लगाने की तैयारी कर रही सिद्धारमैया सरकार को बड़ा झटका लगा है. इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत विधेयक विधान परिषद में पारित नहीं हो सका. कर्नाटक सरकार द्वारा शुक्रवार को विधान परिषद में पेश किए गए हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक का राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टियों भाजपा और जद (एस) ने कड़ा विरोध किया। विधान परिषद में विपक्ष का बहुमत होने के कारण यह बिल विधान परिषद में अटक गया. मंदिरों से जुड़ा ये बिल पिछले हफ्ते विधानसभा में पास हो गया था लेकिन विधान परिषद में राज्य सरकार को तगड़ा झटका लगा है.

बिल में क्या है प्रावधान

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कर्नाटक सरकार द्वारा तैयार किए गए इस बिल में राज्य के मंदिरों पर टैक्स लगाने की तैयारी है. विधेयक में प्रावधान किया गया है कि जिन मंदिरों की वार्षिक आय 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक है, उन पर पांच फीसदी टैक्स लगाया जाएगा. राज्य के उन मंदिरों पर 10 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा जिनकी सालाना आय 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
राज्य सरकार का कहना है कि मंदिरों पर टैक्स से होने वाली आय को कॉमन पूल फंड में रखा जाएगा. इस फंड का संचालन राज्य धार्मिक परिषद के माध्यम से किया जाएगा. विधेयक में कहा गया है कि इस निधि का उपयोग राज्य के ‘सी’ श्रेणी के मंदिरों के पुजारियों के कल्याण के लिए किया जाएगा, जिनकी वार्षिक आय पांच लाख से कम है। राज्य सरकार का कहना है कि इस पैसे का इस्तेमाल मंदिरों की हालत सुधारने में भी किया जाएगा. इससे मंदिरों की स्थिति में सुधार होगा और सुविधाएं बढ़ेंगी।

विधान परिषद में अटका बिल

वहीं सरकार की इस योजना का विपक्ष द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि राज्य सरकार हिंदू समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण नीति अपना रही है और मंदिरों पर टैक्स लगाकर अपना खजाना भरने की कोशिश कर रही है. विपक्ष का यह भी सवाल है कि मुस्लिमों और ईसाई समुदायों के धार्मिक संस्थानों के लिए भी ऐसा प्रावधान क्यों नहीं किया गया.
यह बिल शुक्रवार को विधान परिषद में पेश किया गया लेकिन सरकार इसे पास कराने में सफल नहीं हो सकी. इस बिल का बीजेपी और जेडीएस के सदस्यों ने कड़ा विरोध किया. विधान परिषद में इस बिल को ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया. इसे कर्नाटक सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है और अब यह बिल लंबित है.

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सरकार की सफाई से विपक्ष संतुष्ट नहीं

विधान परिषद में विपक्ष ने आपत्ति जताई तो कर्नाटक सरकार के मंत्री वी रामलिंगा रेड्डी ने सफाई भी पेश की लेकिन विपक्षी विधायक इससे संतुष्ट नहीं हुए. मंत्री ने कहा कि मंदिर समिति के अध्यक्ष के मनोनयन में सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी और टैक्स कम करने पर भी विचार किया जायेगा.
हालांकि, सरकार की ओर से सफाई पेश करने के बाद भी विपक्ष ने बिल का जोरदार विरोध किया और बिल विधान परिषद में अटक गया.

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