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Sleep Apnea: योग थेरेपी से खर्राटों की समस्या का समाधान, स्लीप एपनिया से बचें

Sleep Apnea: खर्राटे लेना एक आम समस्या मानी जाती है, लेकिन इसके पीछे कई गंभीर बीमारियां छिपी हो सकती हैं। कुछ लोग इतनी जोर से खर्राटे लेते हैं कि दूसरों की नींद में खलल पड़ जाता है। वास्तव में, खर्राटे शरीर में किसी समस्या का संकेत हो सकते हैं। मोटापा, नाक और गले की मांसपेशियों की कमजोरी, धूम्रपान की आदत, फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी या साइनस की समस्या भी लोगों में खर्राटों का कारण बन सकती है। जो लोग नियमित रूप से खर्राटे लेते हैं, उनमें से हर चौथा व्यक्ति स्लीप एपनिया का शिकार हो सकता है। समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकता है, जैसे कि दिल का दौरा, मस्तिष्काघात और मधुमेह।

खर्राटों के पीछे कारण

खर्राटों का कारण कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। इनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  1. मोटापा: शरीर का अत्यधिक वजन नाक और गले की मांसपेशियों को प्रभावित कर सकता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है।
  2. थायराइड: थायराइड हार्मोन की कमी भी खर्राटों का कारण बन सकती है।
  3. टॉन्सिल: गले के टॉन्सिल बढ़ जाने से सांस लेने में रुकावट होती है, जिससे खर्राटे आते हैं।
  4. साइनस: नाक की बंदी या साइनस की समस्या के कारण भी खर्राटे हो सकते हैं।
  5. मधुमेह: उच्च शुगर स्तर खर्राटों को बढ़ा सकता है।
  6. अस्थमा: फेफड़ों में सूजन या अस्थमा के कारण सांस लेने में कठिनाई होती है, जिससे खर्राटे आते हैं।

स्लीप एपनिया के कारण

स्लीप एपनिया एक गंभीर स्थिति है जिसमें सोते समय सांस लेने में रुकावट होती है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  1. मोटापा: अत्यधिक वजन स्लीप एपनिया का प्रमुख कारण है।
  2. गलत जीवनशैली: खराब खानपान और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली इस समस्या को बढ़ा सकती है।
  3. उम्र बढ़ने के साथ: उम्र बढ़ने के साथ श्वसन तंत्र कमजोर हो जाता है, जिससे स्लीप एपनिया हो सकता है।

स्लीप एपनिया के लक्षण

स्लीप एपनिया के लक्षणों की पहचान करना आवश्यक है ताकि इसका समय रहते इलाज किया जा सके:

  1. सोते समय सांस रुकना
  2. गहरी नींद में बार-बार व्यवधान
  3. खर्राटे लेना
  4. नींद के दौरान पसीना आना

Sleep Apnea: योग थेरेपी से खर्राटों की समस्या का समाधान, स्लीप एपनिया से बचें

खर्राटों के दुष्प्रभाव

खर्राटे लेना सिर्फ आसपास सोने वाले लोगों की शांति को ही नहीं बल्कि आपकी सेहत को भी प्रभावित करता है। इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं:

  1. अनिद्रा: गहरी नींद न आने से अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
  2. उच्च रक्तचाप: खर्राटों की वजह से रक्तचाप बढ़ सकता है।
  3. उच्च कोलेस्ट्रॉल: शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।
  4. दिल का दौरा: लंबे समय तक खर्राटे लेने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
  5. मस्तिष्काघात: मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी से स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
  6. मधुमेह: खर्राटे और अनियमित नींद मधुमेह को बढ़ावा दे सकती है।

अच्छी नींद के लिए क्या करें?

खर्राटों से छुटकारा पाने और बेहतर नींद के लिए कुछ आदतों को अपनाना जरूरी है:

  1. मोबाइल से दूरी बनाएं: सोने से पहले मोबाइल या अन्य गैजेट्स से दूर रहें।
  2. रात को डायरी लिखें: सोने से पहले अपने विचारों को डायरी में लिखें। इससे मानसिक तनाव कम होगा और नींद अच्छी आएगी।
  3. ध्यान करें: सोने से पहले ध्यान करें, इससे मानसिक शांति मिलती है।

घरेलू उपचार

खर्राटों से निजात पाने के लिए कुछ घरेलू उपचार भी कारगर हो सकते हैं:

  1. पुदीना: पुदीना का सेवन और गरारे करने से नाक की सूजन कम होती है और सांस लेना आसान हो जाता है। एक कप गर्म पानी में 10 पुदीने की पत्तियां मिलाकर पीने से फायदा होगा।
  2. लहसुन: रात को सोने से पहले 1-2 लहसुन की कलियों का सेवन करने से नाक की रुकावट साफ होती है और नींद में खर्राटे कम होते हैं।
  3. हल्दी वाला दूध: सोने से पहले हल्दी मिलाकर दूध पीने से खर्राटों में आराम मिलता है।
  4. दालचीनी: एक गिलास गुनगुने पानी में दालचीनी मिलाकर पीने से खर्राटों से राहत मिलती है।
  5. इलायची: इलायची का सेवन करने से सांस लेने की समस्याएं दूर होती हैं।
  6. शहद और जैतून का तेल: एक गिलास गर्म पानी में शहद और जैतून का तेल मिलाकर पीने से खर्राटों से राहत मिलती है।
  7. भाप लेना: सोने से पहले भाप लेने से नाक की बंदी खुलती है और सांस लेना आसान होता है।

योग थेरेपी से खर्राटों का समाधान

स्वामी रामदेव द्वारा सुझाए गए कुछ योगासन खर्राटों की समस्या में काफी फायदेमंद हो सकते हैं। नियमित योगाभ्यास से नाक और गले की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, जिससे सांस की रुकावट कम होती है।

  1. भस्त्रिका प्राणायाम: इस प्राणायाम से फेफड़े मजबूत होते हैं और सांस की नली की सफाई होती है।
  2. कपालभाति: कपालभाति प्राणायाम करने से नाक की सफाई होती है और सांस लेने में सुधार होता है।
  3. अनुलोम-विलोम: यह प्राणायाम सांस को नियंत्रित करने में मदद करता है और श्वसन प्रणाली को सुधारता है।
  4. उज्जयी प्राणायाम: इस प्राणायाम से गले की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे खर्राटों की समस्या में कमी आती है।
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